नियमित तरीके से संरक्षित क्षेत्रों को छोड़ रहे हैं लुप्तप्राय हाथी: अध्ययन

संरक्षित क्षेत्रों में रहने वाले 44 फीसदी हाथी भोजन की तलाश के लिए और 45 फीसदी भोजन और साथी दोनों की चाह के लिए इलाका छोड़ते पाए गए
फोटो साभार : साइंटिफिक रिपोर्ट्स
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लुप्तप्राय वन्यजीवों को लोगों द्वारा होने वाले खतरों से बचाने के लिए, कुछ सरकारों और संस्थाओं ने संरक्षित कहे जाने वाले क्षेत्रों की स्थापना की है। ये क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोगों के द्वारा अतिक्रमण और निर्माण कार्य नहीं किए जा सकते हैं।

हालांकि इस बात पर बहुत सोच-विचार किया गया है कि कौन से क्षेत्र खतरे वाली प्रजातियों की रक्षा के लिए सबसे उपयुक्त हैं। इस बात पर बहुत कम ध्यान दिया गया है कि एक संरक्षित क्षेत्र अपने भीतर प्रजातियों के अलग-अलग तरह के व्यवहारों को कितनी अच्छी तरह समायोजित कर सकता है।

बदले में, कुछ प्रजातियों के व्यवहारों की अनदेखी का अर्थ यह हो सकता है कि एक क्षेत्र अपने उद्देश्य के साथ-साथ अपेक्षित या आशा की पूर्ति करने में विफल रहता है। प्रजातियों का एक प्रकार का व्यवहार हाल ही में ध्यान आकर्षित कर रहा है? जिस तरह से एक प्रजाति जगह का उपयोग करती है, या उपयोग नहीं करती है।

अनास्तासिया मैडसेन के शोधकर्ता हस्कर और तीन महाद्वीपों के सहयोगियों ने एशियाई हाथियों के बीच जगह के उपयोग को लेकर विश्लेषण किया। यह एक ऐसी लुप्तप्राय प्रजाति पर किया गया जिस पर अन्य एक पारिस्थितिकी तंत्र के चारों ओर बीज, मिट्टी और मूल्यवान पोषक तत्वों को पहुंचाने के लिए भरोसा किया जाता है।

लिंग में अंतर को देखते हुए  ज्यादातर एकान्त नर भोजन की तलाश और साथियों के लिए प्रतिस्पर्धा करते रहते हैं, जबकि वयस्क मादाएं सामाजिक समूह बनाती हैं जो नियमित रूप से दूर तक चली जाती हैं और फिर से आपस में जुड़ जाती हैं। शोध टीम ने इस बात पर गौर किया कि, क्या ये अंतर उनके संबंधित स्थान के उपयोग को आकार दे सकते हैं।

नौ साल तक शोधकर्ताओं ने श्रीलंका के संरक्षित क्षेत्र उदावलावे नेशनल पार्क में 516 वयस्क एशियाई हाथियों पर नजर रखी। टीम ने पाया कि अधिकांश वयस्क नर और आधी मादा, जो कि कुल मिलाकर नजर रखे गए हाथियों का लगभग 75 फीसदी था, जिन्होंने इस क्षेत्र में लंबे समय तक निवास नहीं किया। अक्सर ये काफी लंबे समय के लिए वहां से गायब हो जाते हैं।

मैडसेन और उनके सहयोगियों ने जगह के उपयोग को लेकर नर और मादा के बीच भी काफी अंतर देखा। केवल 11 फीसद वयस्क नरों ने एक साथी को खोजने के लिए विशेष रूप से संरक्षित क्षेत्र का उपयोग किया, जो अपने यौनवस्था में प्रवेश करते हैं और इलाके को छोड़ देते हैं। वहीं 44 फीसदी भोजन की तलाश  के लिए और 45 फीसदी भोजन और साथी दोनों की चाह के लिए इलाका छोड़ते पाए गए।

वयस्क मादाएं, इस बीच, दो से 22 तक के समुदायों में रहती हुई पाई गई। हालांकि टीम को इस बात के कुछ सबूत मिले कि सामाजिक संबंधों ने महिलाओं के बीच इलाके के उपयोग को लेकर असर दिखाई दिया, जहां इनके रिश्ते अपेक्षा से अधिक कमजोर पाए गए। नौ साल की लंबी अवधि के दौरान हर एक अपने समुदायों के अलग-अलग हाथियों के साथ चली गई।

शोधकर्ताओं ने कहा एशियाई हाथियों के पर्याप्त आबादी वाले उदावलावे नेशनल पार्क के बाहर हाथियों ने अपने जीवन का काफी लंबा समय बिताया। यह अध्ययन संरक्षण प्रयासों के लिए यह आस पास के इलाकों के महत्व को सामने लाता है। एक ही लिंग और यहां तक कि एक ही समुदाय के हाथियों के बीच स्थान के उपयोग में इतना अंतर पाया गया है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि उनके संरक्षित क्षेत्रों के अंदर और बाहर दोनों जगह हाथियों पर नजर रखने से अतिरिक्त जानकारी हासिल कर पाए। यह शोध जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है।

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