
आखिरकार तमिलनाडु में हाथियों की जान बचाने के लिए एआई यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता कारगर साबित हुई है। राज्य के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन विभाग के अनुसार कोयंबटूर के मदुक्कराई वन क्षेत्र में लागू की गई एआई आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने जंगली हाथियों को रेलवे ट्रैक पार करने में 2,500 बार सुरक्षित तरीके से मदद की है।
वन विभाग का कहना है कि विभाग ने फरवरी 2024 में इस परियोजना को लागू किया था। मार्च 2025 में इस प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के कामकाज की समीक्षा की गई तब यह जानकारी सामने आई। कोयंबटूर के पास एआई आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने मार्च में हाथियों के 150 से अधिक ट्रैक क्रॉसिंग का पता लगाया है। यह वन क्षेत्र तमिलनाडु-केरल सीमा के पास मदुक्कराई में आता है।
विभाग का कहना है कि पिछले एक साल में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का परिणाम आश्चर्यजनक रहा है। इस प्रणाली के उपयोग करने से जंगली हाथियों की दुर्घटना की दर शून्य पर पहुंच गई है। विभाग के अनुसार इस प्रणाली ने 5,011 अलर्ट उत्पन्न किए और 2,500 हाथियों को सुरक्षित तरीके से रेलवे ट्रैक पार करने में मदद की।
ध्यान रहे कि यह पूरा काम स्थानीय आदिवासी युवाओं द्वारा ही संचालित किया जाता है। विभाग के अनुसार स्थानीय आदिवासी युवाओं द्वारा संचालित कमांड सेंटर द्वारा नियंत्रित 12 टावरों पर एआई संचालित थर्मल कैमरे चौबिशों घंटे रेलवे ट्रैक की निगरानी करते हैं। ये लगातार समय-समय पर लोको ड्राइवरों और गश्ती दलों को सचेत करते रहते हैं। इन कैमरों से यह भी पता चला कि रेलवे द्वारा बनाए गए दो अंडरपास का हाथियों द्वारा बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है।
विभाग ने जानकारी दी है कि एक साल पहले ही यह प्रणाली शुरू की गई थी। क्योंकि इस इलाके में जंगली हाथियों की आवाजाही बहुत अधिक होती है और इसके चलते रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों से टकराने की कई घटनाएं होती हैं। लेकिन पिछले एक साल में लगभग डेढ़ सौ अधिक बार हाथियों द्वारा सुरक्षित तरीके से ट्रैक पार किया गया और कोई भी दुर्घटना नहीं हुई है। चूंकि यह जंगली इलाका है और जंगली पेड़-पौधे रेलवे के ट्रैक के काफी पास तक उग आए हैं। ऐसे में इस प्रणाीली को कारगर करने के लिए पहले कोयंबटूर के मदुक्करई में रेल ट्रैक के आसपास बड़ी मात्रा में झाड़ियों को हटाया गया।
यह प्रणाली अकेले जंगली जानवरों की निगरानी के लिए नहीं है बल्कि इस इलाके के जंगलों में मानव द्वारा किए जाने वाले अतिक्रमण की निगरानी एआई आधारित निगरानी प्रणाली से की जा रही है। हाथियों को ट्रेनों की चपेट में आने से बचाने के लिए बेहतर समन्वय बनाने के लिए एआई आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली में 12 ई-निगरानी टावर हैं। इन पर उच्च रिजॉल्यूशन वाले कैमरे लगे हुए हैं। ये कैमरे एट्टीमदाई-वालयार सेक्शन पर ट्विन सिंगल लाइन ट्रैक ए और बी पर लगाए गए हैं।
ये कैमरे थर्मल इमेजिंग और ऑप्टिकल विजुअल प्रदान करते हैं। वे करीब एक किलोमीटर की दूरी को कवर कर सकते हैं और 360 डिग्री घुमाए जा सकते हैं, जहां हाथियों के क्रॉसिंग के बारे में जाना जाता है। कैमरे नियंत्रण कक्ष को थर्मल इमेजिंग और ऑप्टिकल विजुअल प्रदान करते हैं, जिसके साथ एआई सिस्टम जानवरों की हरकतों का पता लगाता है और अलर्ट जारी करता है।
हालांकि वर्तमान में कैमरों को जंगलों और मानव बस्तियों के बीच विशेष बिंदुओं पर केंद्रित किया गया है ताकि जंगली जानवरों विशेषकर हाथियों की आवाजाही की जांच की जा सके और उन्हें गांवों में प्रवेश करने से रोका जा सकें। मरुथमलाई के पास लगाया गया कैमरा आईओबी कॉलोनी की ओर हाथियों की आवाजाही का पता लगाता है, जहां अक्सर जंगली हाथियों की आवाजाही देखी जाती है। मदुक्करई रेंज में स्थापित एक कैमरे का उपयोग लगभग 300 मीटर के क्षेत्र की निगरानी के लिए किया जाएगा जहां जंगली जानवरों की आवाजाही अक्सर होती है। ध्यान रहे कि पहले रात और सुबह की ट्रेनों के कारण हाथियों की सबसे अधिक मौतें होती थीं।
वन्यजीवों की आवाजाही को बेहतर तरीके से देखने के लिए बड़ी मात्रा में आक्रामक झाड़ियों को हटाया गया है। इसके चलते पूर्व चेतावनी प्रणाली ने वन विभाग के फील्ड स्टाफ को (जो ट्रैक पर गश्त करते हैं) हाथियों के दिखने पर तुरंत मौके पर पहुंचने और उन्हें भगाने में मदद मिलती है। ध्यान रहे कि अलर्ट वालयार और एट्टीमदई के बीच वन क्षेत्र से गुजरने वाली ट्रेनों के लोको पायलट ट्रेन की गति भी कम करते हैं।
वन विभाग मदुक्करई रेंज में रेलवे लाइनों के आसपास के इलाकों में प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा और लैंटाना की झाड़ियों को बड़ी मात्रा में उखाड़ा गया है। वन्यजीवों की आवाजाही विशेषकर हाथियों द्वारा ट्रैक पार करने की बेहतर दृश्यता सुनिश्चित करने के लिए इन आक्रामक प्रजातियों की झाड़ियों को हटाया गया है। कुल मिलाकर यह वन क्षेत्र 90 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है और यहां 40 हेक्टेयर में प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा और 50 हेक्टेयर में लैंटाना की झाडि़यों को साफ किया गया है। विभाग के अनुसार प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा झाड़ियों को हटाना इसलिए जरूरी हो गया है क्योंकि हाथी इसकी फली खाते हैं जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक मानी जाती है।
रेलवे के ए ट्रैक और बी ट्रैक दोनों तरफ की झाड़ियों को पूरी तरह से साफ कर दिया गया है ताकि वन विभाग द्वारा लगाई गई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का पूरा लाभ उठा सके और इससे जंगली जानवरों को चलती ट्रेनों की चपेट में आने से बचाया जा सके। ए और बी ट्रैक के किनारों पर कैमरा लगाए गए हैं। यह चेतावनी प्रणाली जंगली हाथियों की आवाजाही का पता लगाती है और ट्रेनों से उनको टक्कर से बचाती है। इसकी लागत 7.24 करोड़ रुपए आई है। इस इलाके की ए और बी रेलवे लाइनों से प्रतिदिन 130 ट्रेनें गुजरती हैं और हर साल इन पटरियों पर लगभग 1,000 हाथियों के क्रॉसिंग की सूचना मिलती है।