खाने के मामले में भी मौजी होती हैं हाथी, खास पौधे को ही बनाते हैं निशाना

अध्ययन में पाया गया कि हाथी अपने आहार के साथ चयनात्मक होते हैं, उत्तर पश्चिम बंगाल में दर्ज की गई पौधों की 286 प्रजातियों में से लगभग 130 को ही खाते हैं
फोटो साभार : सीएसई
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कोयम्बटूर में सलीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री (एसएसीओएन) के वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि एशियाई हाथियों को हर दिन 150 किलोग्राम जंगली चारे की आवश्यकता होती है, इसके बावजूद भी वे खाने के मामले में विशेष पौधों को चुनते हैं।

यह अध्ययन केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से किया गया है। पश्चिम बंगाल में जंगलों, चाय बागानों और लोगों की बस्तियों से घिरे क्षेत्र में हाथियों द्वारा भोजन के चयन का आकलन करने वाला यह पहला अध्ययन है।

अध्ययनकर्ताओं ने पश्चिम बंगाल के उत्तरी जिलों में, एशिया में सबसे कम होने वाले मानव-हाथी मुठभेड़ों को देखा। यह क्षेत्र नम उष्णकटिबंधीय जंगलों के हिस्सों में चाय बागानों, कृषि भूमि और लोगों की बस्तियों से घिरा है और इसे अध्ययन के लिए एक आदर्श स्थान माना गया।

अध्ययनकर्ता इस क्षेत्र के बारे में बताते  हैं, कि हाथियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले हिस्से का लगभग 57 फीसदी संरक्षित क्षेत्रों के बाहर रहते हैं, जो इस उप-आबादी की आवाजाही और बिना संरक्षित क्षेत्रों के महत्व को रेखांकित करती है। प्रति वर्ग किमी 700 मनुष्यों के साथ 500 से अधिक हाथी पाए जाते हैं। 

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि हाथियों के चारे के उपयोग का आकलन करने के लिए लगभग 150 किलोमीटर रास्तों का सर्वेक्षण किया गया। विभिन्न तरह के भूमि उपयोग में पौधों की प्रजातियों की उपलब्धता का आकलन करने के लिए 123 भूखंडों का सर्वेक्षण किया गया।

हाथियों के चारे का पता लगाने के लिए उनके पैरों के निशान, गोबर के ढेर और पेड़ों पर शरीर को रगड़ने के निशान का इस्तेमाल किया गया। पौधों की प्रजातियों की उपलब्धता के लिए चारे के उपयोग के अनुपात की गणना चारे के चयन की मात्रा निर्धारित करने के लिए की गई थी।

अध्ययन के दौरान दर्ज की गई 286 पौधों की प्रजातियों में से हाथियों को 130 से अधिक प्रजातियों को खाते हुए पाया गया। अध्ययन में चारे की प्रजातियों के लिए उच्च चयनात्मकता पाई गई, जो वर्तमान जानकारी के विपरीत है कि हाथी सामान्य चारा चरने वाले हैं। लेकिन अध्ययनकर्ताओं ने दोहराया है कि इसकी पुष्टि के लिए अलग-अलग मौसम में अध्ययन आयोजित किए जाने चाहिए। जिन 96 पौधों की प्रजातियों के चयन का आकलन किया गया, उनमें से 21 प्रजातियों को हाथियों द्वारा खाने के लिए सबसे अधिक चुना गया।

उष्णकटिबंधीय शुष्क वनों में चारे के रूप में वृक्षों की अधिक प्रजातियां पाई गई हैं, जबकि उष्णकटिबंधीय नमी वाले वनों में बिना-वृक्षों की प्रजातियां हाथियों के आहार में प्रमुख हैं। अध्ययन में पाया गया है कि निजी भूमि में, मूसा प्रजाति (केले और केले की प्रजाति), अरेका कैटेचू (ताड़ की एक प्रजाति) और बांस की विभिन्न प्रजातियों के आहार पर हावी है।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि उत्तरी पश्चिम बंगाल में संरक्षित वन क्षेत्र छोटे हैं और हाथियों को भोजन, पानी और आश्रय की अपनी रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बहुत बड़े क्षेत्र की आवश्यकता होती है। जंगल चाय बागानों और गांवों के समुद्र में द्वीपों की तरह हैं।

इसलिए, एक हिस्से से दूसरे हिस्से पर जाते समय, यदि वह फसल वाले इलाकों को पार करते हैं, तो वे फसल को चारे के रूप में खा जाते हैं, क्योंकि यह आसान भोजन है। अध्ययनकर्ताओं ने कहा तार्किक रूप से पौधों की प्रजातियों की उपलब्धता को हल करना हमारे लिए एक कठिन कार्य था।

अध्ययनकर्ता ने कहा हाथी इस क्षेत्र में इंसानों से पहले से रह रहे हैं। यहां के लोग यह जानते हैं, उनका मानना है कि अगर हाथी हमारी फसलों को नष्ट भी कर देते हैं, तो हमारी उपज अंततः नष्ट की गई फसल की मात्रा से चार-पांच गुना अधिक होगी।

अध्ययनकर्ता ने बताया कि राजवंशी, जो इस क्षेत्र के मूल निवासियों में से एक हैं, हाथियों को महाकाल कहते हैं। जब हाथियों ने उनकी फसलों पर हमला किया तो वे मुआवजा भी नहीं मांगते। वे समझते हैं हम हाथीलोक में रहते हैं, फसल का नुकसान एक तरह का कर है जो वे चुका रहे हैं। यह अध्ययन पीएलओएस वन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। 

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