छत्तीसगढ़ के धमतरी स्थित सीतानदी-उदन्ती टायगर रिजर्व को अपना रहबास बना चुके सिकासेर हाथी दल के उपर बम से हमले से हाथी का एक बच्चा घायल गया।
टाइगर रिजर्व के उप निदेशक वरुण जैन ने इस हमले की पुष्टि करते हुए बताया कि पोटाश बम के संपर्क में आने से एक शावक हाथी के जबड़े और पैर में चोट लगी है। जंगल सफारी के डॉक्टर राकेश वर्मा आज इसकी जांच करेंगे और यदि जख्म गहरा पाया गया तो विभागीय अधिकारियों के निर्देशानुसार इलाज किया जाएगा।
बताया गया है कि सीतानदी-उदन्ती टाइगर रिजर्व के सीतानदी परिक्षेत्र के बीट सातलोर में पिछले सात नवम्बर को सिकासर दल के 38 से 40 हाथी विचरण कर रहे थे। उस जगह पर खून के धब्बे बिखरे होने की सूचना मुखबिर द्वारा मिली। अगले दिन टाइगर रिजर्व के एंटी पोचिंग टीम और डॉग स्क्वाड के मदद से घटना स्थल का मुआयना किया गया और 6 किलोमीटर तक खून के धब्बे और पग मार्क ट्रेस किया गया।
घटनास्थल से पोटाश बम का टुकड़ा बरामद किया गया। इसके बाद मुख्य वन संरक्षक सतोवीषा समाजदार, जंगल सफारी के डॉक्टर और टाइगर रिजर्व के स्टाफ मिलकर घायल हाथियों की तलाश की गई। जिसमें ड्रोन की भी मदद ली गई।
ड्रोन से लगातार दो दिन तक तलाश के बाद रविवार यानि 10 नवम्बर को बम हमले के बाद बिछड़े दो हाथी सिकासर हाथी झुंड से 300 मीटर दूर मिले। और बच्चा हाथी जो 5/6 साल का बताया जा रहा है उसके जबड़े और पैर में सूजन की जानकारी मिली।
गौरतलब है की सीतानदी-उदन्ती टाइगर रिजर्व को सबसे सुरक्षित और खानपान से भरपूर वाला क्षेत्र मानकर ओड़ीशा से माइग्रटे कर छत्तीसगढ़ आए हाथियों का झुंड इसे अपना विचरण स्थल बना चुके हैं। इन 38-40 हाथियों सिकासर दल के सुरक्षा और इंसान और हाथी के बीच टकराव रोकने के लिए यहां एलिफेंट एलर्ट एप का उपयोग किया जा रहा है। जिसमें हाथी मित्र हाथियों के लोकेशन का डेटा अपडेट करते रहते हैं।
7 नवम्बर को देर शाम जब 40 हाथियों के झुंड अचानक जब जंगल में 4/5 दल में बिखर गए तो निगरानी में लगे अधिकारियों में अफरातफरी मचगई। और इसकी वजह जानने की कोशिश में यह बात सामने आई है।
अधिकारियों का कहना है कि पोटाश बम हाथी के खिलाफ उपयोग किया गया था या जंगली सूअर मारने के लिए इसका पता लगाया जा रहा है। पोटाश बम लगाने वाले को पकड़ने के लिए प्रयास जारी है और शिकारी की सूचना देने वाले को दस हज़ार रुपये इनाम देने की विभाग की ओर से घोषणा की गई है।
ओड़ीशा, झारखंड और उत्तर छत्तीसगढ़ में खनिजों की उत्खनन के लिए जंगल कटाई के चलते उन क्षेत्रों में हाथियों और इन्सानों के बीच टकराव बढ़ते जा रहा है जिसके चलते हाथी नए नए जगह पर पलायन करने को मजबूर हैं ऐसे में उनकी सुरक्षा अब एक अहम मसला बन चुका है।