एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि बाघ, भेड़िये और चील जैसे बड़े मांसाहारियों की आबादी में गिरावट को दूर करने और उनके विलुप्त होने के खतरों को कम करने के लिए प्रभावी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की जरूरत है।
अध्ययनकर्ताओं ने 362 मांसाहारी प्रजातियों का मूल्यांकन किया, उनमें से केवल 12 प्रजातियों ज्यादातर समुद्री स्तनधारियों के विलुप्त होने के खतरे में वास्तविक सुधार देखा गया है। अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा संरक्षित मांसाहारियों के विलुप्त होने के खतरों को कम करने की संभावना 6.8 गुना थी, जबकि नियंत्रित शिकार योजना वालों के विलुप्त होने के जोखिम के कम होने की संभावना 3 गुना थी।
बड़े मांसाहारी जीव पारिस्थितिक तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन सामान्यतया इन्हें रहने के लिए बड़े इलाकों की आवश्यकता होती है। कम प्रजनन दर और लोगों के साथ संघर्ष के लिए उच्च क्षमता वाले बड़े मांसाहारी संरक्षण को विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण बनाते हैं।
अध्ययनकर्ता एड्रियन स्टियर, कर्ट इंगमैन और उनके सहयोगियों ने मौजूदा डेटाबेस का उपयोग करते हुए छह अलग-अलग प्रमुख समूहों से 362 मांसाहारी प्रजातियों की पहचान की। जिसमें शार्क, रे मछली, बोनी मछली, उभयचर और सरीसृप, पक्षियों, स्थलीय स्तनधारियों और समुद्री स्तनधारी शामिल हैं। इस सूची की प्रजातियों में तेंदुआ, येलोफिन टूना, स्टेपी ईगल और घड़ियाल को भी शामिल किया गया है।
अध्ययनकर्ताओं ने 2019 में इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) डेटाबेस से आबादी के रुझान और उनके विलुप्त होने के खतरों की स्थिति पर आंकड़े एकत्रित किए। इस सूची के बड़े मांसाहारी प्रजातियों में से 137 (37.8 फीसदी) को खतरे में माना गया था, इन्हें कमजोर, लुप्तप्राय के रूप में या गंभीर से संकटग्रस्त रूप में वर्गीकृत किए गया।
समुद्री स्तनधारियों में खतरे वाली प्रजातियों का अनुपात सबसे कम 26.5 फीसदी था, जबकि इसमें शामिल 60.9 फीसदी रे मछलियों और शार्क खतरे में थी।
अध्ययनकर्ताओं ने तब बड़े मांसाहारी आबादी की बहाली का आकलन किया, इस आधार पर कि क्या आईयूसीएन ने बढ़ती आबादी की प्रवृत्ति को सूचीबद्ध किया है और क्या उनकी स्थिति में सुधार हुआ है, क्योंकि उनका पहली बार मूल्यांकन किया गया था।
39 प्रजातियों (10.7 फीसदी) में एक या दोनों कारणों से रिकवरी या बहाली हुई। हालांकि ये सुधार समुद्री स्तनधारियों जैसे हंपबैक व्हेल (मेगाप्टेरा नोवाएंग्लिया) और स्टेलर समुद्री शेर (यूमेटोपियस जुबेटस) तक सीमित थे। स्थलीय स्तनधारियों में, केवल इबेरियन लिंक्स (लिंक्स पार्डिनस) या फिर से बहाली का मानदंड को पूरा करता है।
अंत में अध्ययनकर्ताओं ने योजनाबद्ध संरक्षण कार्यों के पैटर्न की तुलना की, जैसे कि आवास संरक्षण और शिकार पर प्रतिबंध लगाना। क्या प्रजातियों की आबादी ने बहाली के संकेत दिखाए? राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानून और संरक्षण स्थलों की पहचान मांसाहारी प्रजातियों के विलुप्त होने के खतरों को कम कर सकती है।
अध्ययनकर्ताओं ने कहा ये निष्कर्ष आशा की एक झलक प्रदान करते हैं, बड़ी मांसाहारी आबादी के गिरावट को बदला जा सकता है। यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है।