डीएमएफ: केवल 34 प्रतिशत पैसा ही खर्च कर पाए राज्य

खनन की वजह से विस्थापित होने वाले लोगों के लिए सरकारें खनन कंपनियों से पैसा तो वसूल रही हैं, लेकिन विस्थापितों पर खर्च नहीं कर रही हैं
फोटो: विकास चौधरी
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खनन की वजह से विस्थापित लोगों के प्रति राज्य सरकारें कितनी गंभीर हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके नाम पर सरकारें पैसा तो वसूल रही हैं, लेकिन यह पैसा विस्थापितों पर खर्च नहीं किया जा रहा है। बजट सत्र के दौरान संसद को दी गई जानकारी में सरकार ने बताया कि 21 राज्यों में जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) के पास लगभग 35789.70 करोड़ रुपए जमा हुए, लेकिन इसमें केवल 12391.34 (34.62 प्रतिशत) करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। तीन राज्यों ने तो डीएमएफ का एक रुपया भी खर्च नहीं किया है।

खान एवं खनिज (विकास और नियामक) संशोधन कानून 2015, के तहत डीएमएफ का एक गैर लाभकारी न्यास के रूप में गठन किया गया है। इस न्यास का काम खनन से प्रभावित होने वाले व्यक्तियों की पहचान करना और उनके पुनर्वास सहित जीवन स्तर में सुधार लाना है। खनन की वजह से विस्थापित होने वाले, जमीन का अधिकार खो देने वाले व जिनकी आजीविका खत्म हो गई है वे प्रभावित माने जाते हैं। डीएमएफ में खनन लीज धारक यानी खनन कंपनियां रॉयल्टी के आधार पर एक तय दर के मुताबिक, फंड जमा करती हैं। इस धन का उपयोग खनन से संबंधित कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित और लाभ के लिए किया जाना है। 

4 मार्च को लोकसभा में डीएमएफ को लेकर एक सवाल पूछा गया। सदन को जानकारी दी गई कि 21 राज्यों के 574 जिलों में डीएमएफ का गठन हो चुका है। साथ ही बताया गया कि खान मंत्रालय ने प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के दिशानिर्देश सितंबर 2015 में जारी किए गए और राज्य सरकारों को जिला खनिज फाउंडेशन के नियमों में इन दिशानिर्देशों को शामिल करने के निर्देश दिए गए। दिशानिर्देशों के मुताबिक, खनन प्रभावित क्षेत्रों में कुल फंड का 60 प्रतिशत उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के कार्यों पर खर्च किया जाए, ताकि इन क्षेत्रों में मानव विकास सूचकांक को बेहतर किया जा सके। योजना-परियोजनाओं के लिए ग्राम सभा का अनुमोदन अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा फंड का पैसा एजेंसियों और लाभकर्ता के सीधे बैंक खाते में हस्तांतरण भी अनिवार्य किया गया।

सरकार ने डीएमएफ में राज्यवार जमा पैसे और खर्च का ब्यौरा दिया। यह ब्यौरा जनवरी 2020 तक का है। इसके मुताबिक, डीएमएफ में सबसे अधिक पैसा ओडिशा में जमा हुआ है। यहां 9501 करोड़ रुपए जमा हुआ, लेकिन इसमें केवल 2794 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए हैं। जबकि केरल, मेघालय व हिमाचल प्रदेश ने एक भी रुपया खर्च नहीं किया है। हालांकि यहां जमा राशि कम है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में 143 करोड़ रुपए जमा हो चुके हैं, बावजूद इसके खर्च नहीं किए जा रहे हैं। सबसे अधिक पैसा झारखंड में खर्च किया गया है। यहां 4980 करोड़ में से 3358 करोड़ यानी लगभग 67 फीसदी पैसा खर्च हो चुका है। देखें राज्यवार ब्यौरा-

राज्य             जमा       खर्च          प्रतिशत

आंध्रप्रदेश        905.62    169.85      18.76%

छत्तीसगढ़      4,980.73   3358.45     67.43

गोवा             188.65      4.07       2.16

गुजरात          668.11      236.56      35.41

झारखंड          5,060.16    2406.11    47.55

कर्नाटक         1,842.39     320.29      17.38

महाराष्ट्र        1,728.45     608.92      35.23

मध्यप्रदेश      2,864.32     852.96      29.78

ओडिशा         9,501.48     2794.19     29.40

राजस्थान      3,514.15    731.24       20.80

तमिलनाडु      610.30     228.56       37.46

तेलंगाना        2774.00    492.04       17.73

आसाम          80.61      4.86        5.65

बिहार            72.52      0.38        0.52

हिमाचल प्रदेश  143.30     000         0

जम्मू-कश्मीर    30.89     1.17        3.79

केरल             22.52      000        0     

मेघालय         48.80      000        0

उत्तराखंड       72.86      0.50       0.68

उत्तर प्रदेश      636.09     179.37     28.20

पश्चिम बंगाल    43.12    1.85       4.29

कुल            35,789.70     12,391.34     34.62

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