डायनासॉर काल में धरती पर मौजूद थीं मधुमक्खियां?

वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगाया है कि विलुप्त हो चुके डायनासॉर के जमाने में भी मधुमक्खियां होती थी और मधुमक्खियां और डायनासॉर तकरीबन 3.5 करोड़ साल या इससे भी ज्यादा साल साथ रहे
Photo Credit: Piqsels
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आपको जानकर हैरानी होगी कि मधुमक्खियां डायनासॉर काल में भी इस धरती पर मौजूद थीं। डायनासॉर को धरती से विलुप्त करने वाले सामूहिक विनाशकाल से पहले कई करोड़ साल तक मधुमक्खियां डायनासॉर के साथ इस पृथ्वी पर जी रहीं थीं। विनाशकाल में डायनासॉर तो विलुप्त हो गए, लेकिन मधुमक्खियां और कई अन्य जीव-जंतु इससे बचे रहे और इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण मिलता है जीवाश्मों से। 

किसी मृत जीव को जीवाश्म बनने में कई चरणों से गुजरना पड़ता है। सबसे पहले यह जरूरी है कि किसी स्कैवेंजर (मृत शरीर को खाने वाला जीव) द्वारा खाए जाने से पहले ही जीव का मृत शरीर मिट्‌टी की कई परतों (सेडिमेंट) में दब चुका हो और यह सेडिमेंट भी ऐसा होना चाहिए जिससे शरीर की बारीकियों को बचा कर रख सके। कई करोड़ साल बाद यही सेडिमेंट चट्‌टान बन जाते हैं, जिन्हें कटाव की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, ताकि लोग इन जीवाश्मों को ढूंढ़ सकें और उनका अध्ययन कर सकें। अगर यह पूरी प्रक्रिया सही रहे तो एक अकेला जीवाश्म नमूना भी काफी बड़ी बातें सामने रख सकता है।

यह बात न सिर्फ विलुप्त हो चुके जीवों के जीवाश्मों पर लागू होती है, बल्कि यह कीड़े-मकोड़ों पर भी लागू होती है। वैज्ञानिक जीवाश्म के नमूनों में से मधुमक्खी को उनके एंटीना, उनके अंगों के आकार और उनके पंखों के पैटर्न के जरिए पहचान सकते हैं। इन फीचर्स के जरिए वैज्ञानिकों ने विलुप्त हो चुकीं दर्जनों मधुमक्खियों के जीवाश्म की पहचान की है। इसमें से कुछ मौजूदा मधुमक्खियों की तरह दिखती हैं, जबकि कुछ अलग दिखती हैं, लेकिन मधुमक्खियों की तरह पहचानी जा सकती हैं।

मधुमक्खी का सबसे पुराना जीवाश्म बहुत हद तक ततैया जैसा लगता है। असल में माना जाता है कि मधुमक्खियां ततैया के फैमिली ट्री की ब्रांच हैं, जिन्होंने दूसरे कीड़े-मकोड़ों को खाने की बजाय शाकाहारी जीवनशैली अपनाते हुए फूलों से अपना भोजन एकत्र करना शुरू किया। अब तक सबसे ज्यादा सुरक्षित तरीके संरक्षित किए गए मधुमक्खियों के जीवाश्म पौधे से निकलने वाले रख के जीवाश्म (ऐंबर) में पाए गए हैं। संभावना है कि यह मधुमक्खियां अपना घर बनाने के लिए इस रस को एकत्र करते समय में इसमें फंस गईं, जैसा कि आज के समय में मधुमक्खियां करती हैं।

यह जीवाश्म कितने पुराने हैं इसका पता लगाया जाता है उन चट्‌टानों से, जिनमें ये दफ्न पाए जाते हैं। दरअसल इन पत्थरों में एक तरह का 'बिल्ट-इन क्लॉक' होता है। सबसे साधारण रेडियोएक्टिव क्लॉक यूरेनियम धातु के लेड में बदलने पर निर्भर करती है। अगर इस बात का पता लगाया जा सके कि जब किसी मिनरल रॉक का निर्माण हुआ था तो उसमें कितना यूरेनियम और लेड था, अब कितना है और यह अपक्षय कितने समय में होता है, तो इससे कई पुरानी चट्‌टानों की उम्र पता का पता लगाया जा सकता है। इससे पता लगाया जा सकता है कि फॉसिल हो चुके जीव कितने वर्ष पहले जीवित थे। 

सबसे पहली बार डायनासॉर 24.5 करोड़ वर्ष पहले धरती पर आए थे और 6.5 करोड़ साल पहले जब पृथ्वी पर उल्कापिंड गिरा था तब आखिरी बार डायनासॉर देखे गए थे। सबसे पुराना मधुमक्खियों का जीवाश्म तकरीबन 10 करोड़ साल पुराना है, जिससे साफ होता है कि मधुमक्खियां और डायनासॉर तकरीबन 3.5 करोड़ साल या इससे भी ज्यादा साल साथ रहे हैं।

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