पर्यावरण नियमों का उल्लंघन है कमांडो बटालियन मुख्यालय के लिए संरक्षित वन क्षेत्र से छेड़छाड़ : एनजीटी

बराक घाटी में कमांडो बटालियन मुख्यालय के निर्माण के लिए 44 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि का डायवर्जन किया गया है, जो पर्यावरण संबंधी नियमों का खुला उल्लंघन है
पर्यावरण नियमों का उल्लंघन है कमांडो बटालियन मुख्यालय के लिए संरक्षित वन क्षेत्र से छेड़छाड़ : एनजीटी
Published on

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 23 अप्रैल, 2024 को कहा है कि अदालत को सौंपी रिपोर्टों से यह स्पष्ट हो जाता है कि बराक घाटी में कमांडो बटालियन मुख्यालय के निर्माण के लिए 44 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि का डायवर्जन किया गया है, जो पर्यावरण संबंधी नियमों का खुला उल्लंघन है।

वहीं असम सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता का कहना है कि निर्माण गतिविधियां रोक दी गई हैं। उन्होंने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए ट्रिब्यूनल से चार सप्ताह का समय मांगा है। उनका आगे जानकारी दी है कि इस मामले में अनुमति के लिए पर्यावरण मंत्रालय को आवेदन दिया गया है, जो लंबित है। ऐसे में ट्रिब्यूनल ने महाधिवक्ता को जवाब दाखिल करने के लिए समय देने को मंजूर कर लिया है। इस मामले में अगली सुनवाई दो अगस्त 2024 को होगी।

गौरतलब है कि इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने मामला दर्ज किया था। यह मामला बराक घाटी में कमांडो बटालियन मुख्यालय के लिए 44 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि के डायवर्जन की वैधता और हैलाकांडी जिले में आरक्षित वन की आंतरिक सीमा के भीतर अनधिकृत निर्माण से जुड़ा है।

वहिं पर्यावरण मंत्रालय ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि "केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति के बिना वानिकी को छोड़कर अन्य गतिविधियों के लिए वन भूमि के उपयोग की अनुमति दी गई, जो वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 के तहत वैधानिक प्रावधानों और नियमों का उल्लंघन है।" इसके अलावा, 18 मार्च 2024 को पर्यावरण मंत्रालय ने असम सरकार को कथित निर्माण गतिविधियों को तुरंत रोकने और बंद करने का निर्देश दिया था। मंत्रालय ने शिलांग में अपने क्षेत्रीय कार्यालय को एवम वन (संरक्षण संवर्धन) अधिनियम की धारा 3ए और 3बी के तहत कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है।

झूठा हलफनामा पेश करने पर एनजीटी ने शीर्ष अधिकारी को लगाई फटकार, महानदी के तल पर निर्माण से जुड़ा है मामला

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के न्यायमूर्ति बी अमित स्टालेकर की पीठ ने ओडिशा में जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता भक्त रंजन मोहंती द्वारा एक मार्च, 2024 को झूठा हलफनामा दायर करने पर आश्चर्य व्यक्त किया है। इस हलफनामे में दावा किया गया है कि महानदी के किनारे कोई अवैध निर्माण नहीं हुआ और न ही कचरे की डंपिंग से पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान पहुंचा है।

ऐसे में 23 अप्रैल 2024 को एनजीटी की पूर्वी बेंच ने इंजीनियर-इन-चीफ को फटकार लगते हुए भविष्य में झूठा हलफनामा दाखिल करने को लेकर सतर्क रहने की चेतावनी दी है। साथ ही एनजीटी ने अधिकारियों को मामले में "सही हलफनामा" प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि इस मामले में प्रदीप कुमार पटनायक ने महानदी में पानी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करने वाले कंक्रीट से बने एक कृत्रिम द्वीप के निर्माण को चुनौती दी थी। इस द्वीप में एक कैफेटेरिया, फूड कोर्ट, बार, रेस्तरां, सशुल्क पार्किंग, पिकनिक क्षेत्र शामिल है। यह द्वीप कंक्रीट की दीवारों से घिरा हुआ है। इसके अतिरिक्त यहां रेत की डंपिग की गई है और नदी तल को मलबे से भरा गया है।

वहीं राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए), ओडिशा ने अपने हलफनामे में कहा है कि कटक शहर में बालियात्रा मैदान के पास महानदी नदी तट पर किसी भी निर्माण या विकास के लिए कोई पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) नहीं दी गई है। उन्होंने स्वीकार किया कि याचिकाकर्ताओं ने जो दावे किए हैं उनमें से अधिकांश सही हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in