दुधवा नेशनल पार्क से सटे महेशपुर रेंज के जंगल में एक बाघ ने शिकारियों के फंदे में फंसकर दम तोड़ दिया। पिछले दिनों ही पीलीभीत के जंगल में एक गुलदार का शव मिला था। वहीं नेशनल पार्क दुधवा में गैंडे की मौत हो गई थी। एक के बाद एक घटना से पशु प्रेमियों को झटका लगा है।
मोहम्मदी की महेशपुर रेंज में बुधवार को एक बाघ फंदे में फंस गया। बाघ की गर्दन भी जाल में लगे कुंडे में फंस गई। सुबह पांच बजे वहां से गुजरते गांव वालों ने बाघ को देखा। उन्होंने तत्काल वन विभाग को इसकी सूचना दी। वन विभाग की टीम लगभग तीन घंटे बाद वहां पहुंच गई। लखनऊ से बाघ को बेहोश करने वाली टीम बुलाई गई। दोपहर करीब 12.30 बजे लखनऊ मंडल के मुख्य वन संरक्षक प्रवीण राव एक्सपर्ट टीम के साथ पहुंचे। टीम ने बाघ को ट्रेंकुलाइज गन के जरिए बेहोश करने की कोशिश की। गन से बाघ को डोज देने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। जब निरीक्षण किया गया तब बाघ मृत मिला। बाघ की उम्र छह वर्ष थी।
शिकारियों के फंदे में फंसकर बाघ की मौत होने से पूरी सुरक्षा व्यवस्था पर ही सवाल उठ रहा है। महेशपुर वन क्षेत्र में बाघों की निगरानी के लिए दस कैमरे लगाए गए थे। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम सारे कैमरे खोल कर ले गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि कैमरे हटते ही शिकारी सक्रिय हो गए हैं। बाघ की मौत के बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा कराया गया है।
पिछले दिनों ही पीलीभीत के जंगल से गुजर रही नदी में एक गुलदार का शव मिला था। माना जा रहा है कि शव उत्तराखंड से बहकर आया था। वहीं उत्तर प्रदेश के एकमात्र नेशनल पार्क दुधवा में आपसी संघर्ष के दौरान एक युवा गैंडे की मौत हो गई थी। भीमसेन नाम के इस गैंडे की उम्र 15 वर्ष थी।