हिमालयन आईबैक्स और ब्लू शीप की गणना का काम शुरू

बर्फानी तेंदूए के मुख्य आहार हिमालयन आईबैक्स और ब्लू शीप की गणना और सर्वे का काम पूरा होने के बाद इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए योजना बनाई जाएगी
हिमाचल प्रदेश में ब्लू शिप की गणना का काम शुरू हो गया है। फोटो: रोहित पराशर
हिमाचल प्रदेश में ब्लू शिप की गणना का काम शुरू हो गया है। फोटो: रोहित पराशर
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हिमाचल प्रदेश में आईयूसीएन की संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में संवेदनशील की श्रेणी में आने वाले बर्फानी तेंदूए के आहार के मुख्य स्रोत ब्लू शीप और हिमालयन आईबैक्स की संख्या में पिछले कुछ समय में बढ़ोतरी देखी जा रही है।

ब्लू शीप और हिमालयन आईबैक्स के बारे में सही जानकारी एकत्रित करने के लिए नेशनल कंजर्वेशन फाउंडेशन और वन्य प्राणी मंडल स्पीति के फील्ड स्टाफ की ओर से इनकी सर्वे का काम शुरू किया गया है। अगले 15 दिनों तक चलने वाले इस सर्वे के काम में डबल ऑब्जर्वर सर्वे तकनीक के माध्यम से किया जा रहा है।

स्पीति प्रभाग के उप वन संरक्षक (वन्यजीव) मंदार जेवरे ने डाउन टू अर्थ को बताया कि ब्लू शीप और हिमालयन आईबैक्स की संख्या का सर्वे के माध्यम से पूरी जानकारी एकत्रित की जाएगी। इसके बाद इनके संरक्षण को और अधिक बल देने और इनके संवर्धन के लिए काम किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि सर्वे के पहले दिन ताबो क्षेत्र में 453 की संख्या में ब्लू शीप स्पॉट किए गए हैं। डीएफओ का कहना है कि स्पीति क्षेत्र में ब्लू शीप और हिमालयन आईबैक्स समेत सभी तरह के वन्य प्राणियों के के शिकार पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा हुआ है।

यहां पर अधिकतर लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं और लोग शिकार से संबंधित गतिविधियों में बिल्कुल भी संलिप्त नहीं हैं। जिसकी वजह से इस क्षेत्र में शिकार का अभी तक कोई भी मामला रिपोर्ट नहीं किया गया है।

वन्य प्राणियों के संरक्षण और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लांगचा क्षेत्र के युवा लारा छेरिंग ने बताया कि हमारे क्षेत्र में अब ब्लू शीप और हिमालयन आईबैक्स आमतौर पर विचरते देखे जाते हैं। इनकी संख्या बढ़ने के साथ बर्फानी तेंदूओं की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है।

लारा बताते हैं कि स्थानीय लोगों ने जंगली जानवरों का शिकार न करने को लेकर प्रण लिया हुआ है और यदि कोई वन्य प्राणी किन्हीं कारणों से घायल अवस्था में पाया जाता है तो उसे वन विभाग की सहायता से उपचार मुहैया करवाया जाता है।

बर्फानी तेंदूआ, ब्लू शीप और हिमालयन आईबैक्स के इन क्षेत्रों में बढ़ने की वजह से अधिक उंचाई वाले स्पीति क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। हर वर्ष इस शीत मरूस्थल क्षेत्र में इन जंगली जानवरों को देखने के लिए हजारों पर्यटक आ रहे हैं और इससे क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी में सुधार हो रहा है। इसलिए भी स्थानीय लोग इनके संरक्षण में विभाग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। 

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