नाजा कौथिया जैसे कोबरा सांप के पूर्वज एशिया में उत्पन्न हुए थे। लगभग 40 मिलियन साल पहले कोबरा और क्रेट के पूर्वज एलापोइडिया नामक एक सांप के सुपर परिवार एशिया में उत्पन्न हुए थे। एक नए अध्ययन का कहना है कि उनके वंशज टेथिस सागर के माध्यम से अफ्रीका चले गए। हालांकि यह बात इस प्रचलित सिद्धांत को चुनौती देती है कि सांपों का यह परिवार अफ्रीका में ही उत्पन्न हुआ और फिर वहां फैल गए।
अध्ययन के अनुसार एलापोइडिया दिलचस्प सांप प्रजातियों का एक विविध समूह है, जिसमें कोबरा, मांबा, क्रेट, किंग कोबरा, समुद्री सांप, रेत के सांप और बुर्जिंग एस्प सांप शामिल हैं। अमेरिका और फिनलैंड के शोधकर्ताओं की एक टीम ने इसकी उत्पत्ति के समय और स्थान को इंगित करने के लिए जीनोम का उपयोग किया है।
अध्ययन के सह-लेखक सुनंदन दास (हेलसिंकी विश्वविद्यालय में जीव विज्ञान और विकासवादी जीवविज्ञान अनुसंधान कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं) कहते हैं कि तेजी से विकासवादी विविधता के कारण एलापॉइड सांपों के फीलो जेनेटिक की जांच करना बहुत मुश्किल है। एलापॉइडिया परिवार में अफ्रीकी और बिल खोदने वाले एस्प, अफ्रीका और एशिया के रेतीले सांप या अफ्रीका के छोटे गैर-विषैले शॉवल स्नाउट जैसे सांप भी शामिल हैं। दास और उनके सहयोगियों ने सबसे पहले इस सुपरफैमिली के 4,500 जीनों के आंकड़ों को प्रकाशित किया और सांपों के एक बिल्कुल नए परिवार माइक्रोलैपिडे 2 की खोज की। इस साल एक प्रकाशन में उन्होंने एक और परिवार पसम्मवोडायनेस्टीडे 3 का भी वर्णन किया है। दो शोधपत्रों से पता चला कि एलापॉइडिया के दो एशियाई सदस्य साइक्लोकोरिडे और नए पसम्मवोडायनेस्टीडे, एलापॉइड के फीलोजेनेटिक के आधार पर हैं। एलापोइडिया की प्रारंभिक उत्पत्ति लगभग 40 मिलियन वर्ष पहले इओसीन में हुई थी और स्टेम एलापोइड के सामान्य पूर्वज एशिया में उत्पन्न हुए थे। यह बात दास और उनके सहयोगियों ने अपने नए विश्लेषण में दिखाई है। दास कहते हैं कि यह हमारे निष्कर्ष के अनुरूप है कि दो एशियाई परिवार एलापोइडिया के भीतर सबसे आधारभूत शाखाएं हैं जो विकासवादी जड़ों से जल्दी ही अलग हो गईं।
नेचर इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इस संबंध में ओडिशा में महाराजा श्रीराम चंद्र भंजा देव विश्वविद्यालय बारीपदा के अशोक कुमार मलिक कहते हैं कि इस काम ने वास्तव में जहरीले सांपों के विकास की समझ को मौलिक रूप से बदल दिया है। 2019 में मलिक ने भारत के पश्चिमी घाट से बेल सांप की एक नई प्रजाति का वर्णन किया है। मलिक कहते हैं कि अध्ययन के लिए वृहद स्तर पर सर्वेक्षण का आकार और विभिन्न आनुवंशिक डेटासेट इसे और मजबूत बनाते हैं। अत्याधुनिक जैव सूचनात्मक तरीकों ने शोधकर्ताओं को प्राचीन व तीव्र विकिरण के रूप में जानी जाने वाली विकासवादी घटनाओं का पुनर्निर्माण करने में महत्वपूर्ण मदद की है।
ओलिगोसीन में वे एलापॉइड्स जिन्होंने एफ्रो-मैलागासी समूह के सांपों को जन्म दिया। टेथिस सागर के माध्यम से एशिया से अफ्रीका में चले गए। दास कहते हैं कि अफ्रीका में वे कई वंशों में एक शानदार विविधीकरण से गुजरे। एलापिडे के कुछ सदस्य भी मिओसीन में एशिया से अफ्रीका चले गए। दूसरी ओर कुछ एलापॉइड्स अफ्रीका से वापस एशिया में चले गए। रेत के सांप इस घटना का एक उदाहरण हैं। अमेरिका के मिओसीन में भी एलापिडे चमकीले रंग के कोरल सांप बेरिंग लैंड ब्रिज के माध्यम से वहां फैले। दास और उनके सहयोगियों ने वैश्विक सांप विविधता के लगभग पांचवें हिस्से के जैव-भौगोलिक इतिहास का पुनर्निर्माण किया। उनका फायलोजेनेटिक विश्लेषण विष के विकास पर शोध करने में भी मदद करेगा।