क्या जंगल में फैलती आग को रोकने में मददगार साबित हो सकती है केले के पेड़ों की बाड़

जलवायु में आते बदलावों और बढ़ते तापमान के साथ जंगल में लगने वाली आग की आशंका भी कहीं अधिक प्रबल होती जा रही है
आग का सामना करते केले के पेड़; फोटो: आईस्टॉक
आग का सामना करते केले के पेड़; फोटो: आईस्टॉक
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एक नई रिसर्च से पता चला है कि केले के पेड़ों का बफर, जंगल में फैलने वाली आग की तीव्रता को धीमा करने के साथ-साथ उसे शांत करने में भी मददगार साबित हो सकता है। इसके साथ ही यह स्थानीय किसानों के लिए भी आर्थिक रूप से फायदेमंद हो सकता है। यह जानकारी जर्नल पनास नेक्सस में प्रकाशित एक नए अध्ययन में सामने आई है।

गौरतलब है कि जलवायु में आते बदलावों और बढ़ते तापमान के साथ जंगल में लगने वाली आग की आशंका भी अधिक प्रबल होती जा रही है। उदाहरण के लिए 1984 और 2015 के बीच अमेरिका के पश्चिमी हिस्से में आग लगने के मामले बढ़कर डबल हो गए हैं। इसके साथ ही अब पहले की तुलना में बड़ी संख्या में लोग इन जंगलों के करीब रह रहे हैं जहां आग का जोखिम कहीं ज्यादा रहता है।

वहीं वैश्विक स्तर पर देखें तो 2021 में करीब 93 लाख हेक्टेयर में फैले जंगल आग की भेंट चढ़ गए थे। आंकड़े दर्शाते हैं की सदी की शुरुआत से जंगल में लगने वाली आग की घटनाओं के मामले में 2021 सबसे बदतर वर्षों में से एक था। ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच द्वारा जारी नए आंकड़ों ने इस बात की भी पुष्टि की है जंगल में लगती आग दो दशक पहले की तुलना में दोगुने ज्यादा वनक्षेत्रों को नष्ट कर रही हैं।

यह भी सामने आया है कि 2001 की तुलना में अब दावाग्नि हर साल पहले से 30 लाख हेक्टेयर ज्यादा वन क्षेत्र को राख बना रही है। आग की इन घटनाओं से पिछले 20 वर्षों में रूस, कनाडा, अमेरिका, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया के जंगलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है।

आग को रोकने के साथ-साथ किसानों की आय में भी होगी वृद्धि

बाराथ राघवन और उनके साथियों ने इस बात की जांच की है कि केले के पेड़ जंगलों के किनारे इन वाइल्डलैंड-अर्बन इंटरफेस (डब्ल्यूयूआई) क्षेत्रों में आग को रोकने में अवरोधक के रूप में काम कर सकते हैं। गौरतलब है कि केले के पेड़ों में बहुत ज्यादा मात्रा में पानी होता है, जो उसे आसानी से जलने नहीं देता। ऐसे में यह फैलती आग को रोकने के लिए आदर्श होता है। इतना ही नहीं केला एक ऐसी फसल है जिसकी सिंचाई रीसायकल जल से भी की जा सकती है।

इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने कैलिफोर्निया की सोनोमा काउंटी में 2017 में लगी आग का अध्ययन करने के लिए एक मॉडल का उपयोग किया है और यह जानने का प्रयास किया है कि यदि केले के पेड़ों की बाड़ होती तो वो आग पर कितना असर डाल सकती थी। मॉडल के मुताबिक 633 मीटर चौड़ी केले के पेड़ों की बाड़ ने आग की तीव्रता को 96 फीसदी तक कम कर दिया होता। शोध के मुताबिक इसका वैसा ही प्रभाव पड़ता जैसा तब होता जब आप मशीनरी की मदद से जंगलों में पेड़ों के घनत्व को कम कर देते या जानबूझकर नियंत्रित तरीके से आग लगाते हैं।

रिसर्च के जो नतीजे सामने आए हैं उनके मुताबिक यदि आग न लगे तो इन केले के पेड़ों से प्रति हेक्टेयर 76 हजार डॉलर से ज्यादा की कमाई हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ आग लगने की स्थिति में यदि केले के पेड़ जल भी जाएं तो वो जमीन में मौजूद अपने हिस्से की मदद से दोबारा पनप जाते हैं, जिससे इनकी फसल दोबारा तैयार हो जाती है। इतना ही नहीं केले की जड़ें, तने और हरी पत्तियां अपने बीच ज्वलनशील घास को उगने से रोक सकते हैं।

ऐसे में शोधकर्ताओं का मानना है कि जो निष्कर्ष सामने आए हैं वो न केवल कैलिफोर्निया में बल्कि भूमध्यसागरीय जलवायु वाले स्थानों, जैसे मैक्सिको, चिली, ऑस्ट्रेलिया, और दक्षिण अफ्रीका सहित अन्य देशों के लिए भी कारगर साबित हो सकते हैं।

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