वनस्पति शास्त्रियों ने खोजा 38 करोड़ साल पुराना जंगल

जीवाश्म मिट्टी के माध्यम से शोधकर्ताओं ने 38 करोड़ साल पुराने पेड़ों की व्यापक जड़ प्रणाली को खोज निकाला है
वनस्पति शास्त्रियों ने खोजा 38 करोड़ साल पुराना जंगल
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न्यूयॉर्क के कैटस्किल क्षेत्र में जीवाश्म मिट्टी के माध्यम से शोधकर्ताओं  ने 38 करोड़ साल पुराने पेड़ों की व्यापक जड़ प्रणाली को खोज निकाला है। इसे दुनिया के सबसे पुराने जंगलों में से एक माना जाता था।

इस स्थल से लगभग 25 मील की दूरी पर स्थित जीवाश्म इस बात का प्रमाण है कि जंगलों में परिवर्तन डिवोनीअन काल में शुरू हुआ था। 40 करोड़ वर्ष पूर्व इस काल में कैलीडोनियन हलचल के परिणामस्वरूप सभी महाद्वीपों पर ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं विकसित हुई। यह खोज करंट बायोलॉजी  नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई है।  

न्यूयॉर्क के बिंघमटन विश्वविद्यालय में जैविक विज्ञान के प्राध्यापक विलियम स्टीन कहते हैं कि डिवोनीअन काल एक ऐसा समय था जब पृथ्वी पर पहला जंगल दिखाई दिया था

तब पारिस्थितिक तंत्र में किस तरह के परिवर्तन हुए होंगे। पृथ्वी की सतह और महासागरों पर किस तरह के प्रभाव रहे होंगे, वातावरण में सीओ2 मिश्रण और वैश्विक जलवायु में इसका कितना प्रभाव हुआ होगा। इन्हीं का परिणाम है कि दुनिया कभी भी एक जैसी नहीं रही। 

स्टीन अपने सहयोगियों के साथ न्यूयॉर्क के कैटस्किल क्षेत्र में 2012  से काम कर रहे हैं, जहां उन्होंने एक अलग जीवाश्म जंगल के साक्ष्य को उजागर किया। गिल्बोआ को पृथ्वी का सबसे पुराना जंगल कहा जाता है। कैटस्किल में यह खोज असली जगह से लगभग 25 मील की दूरी पर है, जहां एक पुराने जंगल का पता चला है।

कैटस्किल की यह जगह तीन अनोखे जड़ प्रणालियों को दिखाती है। आज की तरह, डिवोनीअन काल के जंगलों को स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर अलग-अलग स्थानों पर उगने वाले विभिन्न पेड़ों ने बनाया था।

सबसे पहले स्टीन और उनकी टीम ने एक जड़ प्रणाली की पहचान की। उनका मानना है कि यह एक ताड़ के पेड़ की तरह है, जिसे इओस्पेरमोप्टेरिस कहा जाता है। इस पेड़ की पहली बार गिल्बोआ स्थल पर पहचान की गई थी, तब इसकी जड़ें अल्पविकसित थीं।

इओस्पेरमोप्टेरिस ने एक खरपतवार की दोनों स्थानों पर अपनी उपस्थिति को दर्ज करते हुए कई जगहों पर कब्जा कर लिया था। लेकिन इसकी जड़ों की सीमित सीमा थी और शायद इसकी आयु एक या दो साल की रही होगी। खत्म होने से पहले जड़ों ने अपने आपको दूसरे स्थानों पर जमा लिया था। शोधकर्ताओं ने अर्चोपेर्टिस नामक एक पेड़ के प्रमाण भी पाए, जिसकी कई  विशेषताएं आधुनिक पौधों के साथ मिलती है। 

स्टाइन कहते हैं आर्कियोपेरिटिस तरह के पौधे भविष्य के जंगलों की शुरुआत को बताते है, इससे पता चलता है कि जंगल किस तरह के रहे होंगे।

स्टीन और उनकी टीम कैटस्किल के जीवाश्म मिट्टी में एक तीसरी जड़ प्रणाली के मिलने से आश्चर्य चकित थे। इस तरह के पेड़ केवल कार्बोनिफेरस अवधि और उसके बाद भी मौजूद थे। यह पेड़ को "स्केल ट्री" कहा गया, यह लीकोप्सिडा वर्ग से संबंधित है।

स्टीन ने कहा कि, कैटस्किल में हमारे पास एक जड़दार संरचना है, जो लम्बी जड़ों के कारण कार्बोनिफेरस के पेड़ों के समान दिखाई देती है, लेकिन अभी तक किसी ने भी इस समूह के जीवाश्म के डेवोनियन काल से पहले के होने के साक्ष्य नहीं पाए है। शोधकर्ताओं ने कहा, हमारे निष्कर्ष के  अनुसार ये पौधे पहले से ही जंगल में थे, लेकिन इनके वातावरण में अंतर हो सकता है। हमारे  पास  केवल एक फुटप्रिंट है और हम इसकी पुष्टि के लिए अतिरिक्त जीवाश्म साक्ष्य का इंतजारकर रहे हैं।

स्टीन और उनकी टीम को उम्मीद है कि वह कैटस्किल क्षेत्र की जांच जारी रखेंगे और दुनिया भर के जीवाश्म जंगलों के साथ अपने निष्कर्षों की तुलना करेंगे। 

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