दुनिया भर में जीवों पर किए गए एक खतरे के आकलन से पता चला कि पानी में रहने वाली 33 प्रजातियों पर आक्रामक होने का खतरा मंडरा रहा है। अध्ययन के मुताबिक इस सब के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेवार ठहराया गया है।
आक्रामक प्रजातियां दुनिया के कई इलाकों में आसानी से ढल एवं फैल जाती हैं। ये इन इलाकों में अपना खतरनाक प्रभाव डाल सकते हैं। दुनिया भर में आक्रामक प्रजातियों को एक ही नजर से देखने की आवश्यकता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन सी प्रजातियां देशी प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्र पर असर डालकर एक बड़ा खतरा पैदा कर सकती हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ फ्लोरिडा, इंस्टिट्यूट ऑफ़ फ़ूड एंड एग्रीकल्चरल साइंसेज (आईएफएएस) के प्रोफेसर जेफ हिल ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर जलीय प्रजातियों के लिए एक आक्रामक जांच किट विकसित की है।
हिल सहित वैज्ञानिकों ने इस तरह के जीवों के आक्रमक खतरों का आकलन करने के लिए इस किट का इस्तेमाल किया है। एक बार इन जीवों के अपने मूल सीमा के बाहर फैलने के बाद, ये आक्रामक प्रजातियां पर्यावरणीय, सामाजिक या लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती हैं।
हिल द्वारा आकलन की गई कुछ आक्रामक प्रजातियां और उनसे पड़ने वाले वाले प्रभाव इस तरह हैं:
शोधकर्ता हिल ने साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन की अगुवाई की है। अध्ययन से पता चलता है कि छह महाद्वीपों में सैकड़ों प्रजातियों को आक्रमक जीवों से खतरा है।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए, 195 वैज्ञानिकों ने 819 प्रजातियों की जांच के लिए जलीय प्रजाति आक्रमक किट (एएस-आईएसके) का इस्तेमाल किया है।
शोधकर्ता हिल ने कहा कि उनका उद्देश्य नीति निर्माताओं, दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन निर्णय लेने वालों और जलीय पारिस्थितिक तंत्र के लिए वैश्विक खतरों के बारे में जानकारी देना है। इस तरह के उपकरण का उपयोग पानी में की जाने वाली कृषि, एक्वैरियम व्यापार और मत्स्य पालन प्रबंधन को बेहतर बनाए रखने में मदद करने के लिए संभावित आक्रामक प्रजातियों की पहचान कर उनके खतरनाक असर से होने वाले नुकसान को रोकना है।
आक्रामक प्रजातियों की पहचान के लिए एस-आईएसके स्कोरिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है। स्कोर जितना अधिक होगा, किसी प्रजाति के आक्रामक होने का खतरा उतना ही अधिक होगा। उपकरण का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, वैज्ञानिक मध्यम और अधिक खतरे के बीच अंतर करने के लिए स्कोर की गणना करते हैं। इससे सामान्य रूप से गैर-आक्रामक बनाम आक्रामक प्रजाति का पता लगता है। शोधकर्ताओं ने विभिन्न जलवायु में प्रजातियों के लिए खतरे की सीमा का अध्ययन किया है।
अपने विश्लेषण के माध्यम से, शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के लिए इसकी शुरूआत की है, ताकि प्राकृतिक संसाधन प्रबंधक अब प्रजातियों को "कम," "मध्यम" या "उच्च" जोखिम के रूप में वर्तमान और भविष्य की जलवायु परिस्थितियों में इनका निर्धारण किया जा सके।
इस अध्ययन में उपयोग किया गया यह जोखिम-जांच उपकरण यूएफ/आईएफएएस ट्रॉपिकल एक्वाकल्चर प्रयोगशाला और पर्यावरण, मत्स्य पालन और जलीय कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित फिश इनवेसिवनेस स्क्रीनिंग किट का एक सामान्यीकृत संस्करण है। शोधकर्ता इसे बिना ताजे पानी की मछली के लिए एक अंतरराष्ट्रीय उपकरण के रूप में उपयोग करते हैं।