जैसे-जैसे समय के साथ मानव-हाथी संघर्ष बढ़ता जा रहा है, हाथियों के सामाजिक व्यवहार को समझना बहुत आवश्यक हो गया है। सामान्यतया हाथी काफी सामाजिक माने जाते है। लुप्तप्राय एशियाई हाथियों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए उनके व्यवहार का अध्ययन महत्वपूर्ण हो जाता है।
एशियाई हाथी एक करिश्माई प्रजाति है जिसका मनुष्यों के साथ रहने का लंबा इतिहास है। लंबे समय तक की गई निगरानी के आधार पर पता चलता है कि नर जंगली हाथियों का काम अनूठा है।
अब भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) के शोधकर्ताओं ने एशियाई हाथियों के व्यवहार को लेकर आंकड़े एकत्र कर उनका विश्लेषण किया है। एशियाई हाथियों के आंकड़े नागरहोल और बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यानों से एकत्र किए गए थे।
उन्होंने पाया कि नर एशियाई हाथियों द्वारा सभी नर और मिश्रित नर और मादा समूहों में बिताया गया समय नर की उम्र पर निर्भर करता है। वयस्क एशियाई नर हाथी नर-मादा या सभी नर समूहों की तुलना में अपना समय अकेले बिताना पसंद करते हैं। इसके अलावा, वृद्ध हाथी ज्यादातर अपनी उम्र के साथियों के साथ पाए गए और कम बार युवा नर हाथियों जिनकी उम्र 15 से 30 वर्ष की थी उनके साथ कम पाए गए। इसके अलावा, युवा नरों का वृद्ध नरों के साथ जुड़ाव नहीं पाया गया।
वयस्क नर एशियाई हाथी मादाओं की तुलना में कम सामाजिक होते हैं। जब हाथी मस्त होता है या इसमें प्रवेश करता है, उनकी उम्र 30 वर्ष या उससे से अधिक होती है, इस उम्र के नर सालाना एक साथी की खोज करते हैं। यहां बताते चले कि नर हाथियों के लिए मस्त होना एक ऐसी स्थिति होती है जब ये अत्यधिक आक्रामक व्यवहार और इनमें प्रजनन हार्मोन में बड़ी वृद्धि होती है।
शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि जब वयस्क नर मस्त होते हैं या इसमें प्रवेश करते हैं, तो अपने प्रभाव के चलते कई बार संभोग कर सकते हैं। इसलिए, युवा नरों की तुलना में व्यस्क नर के लिए यह अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है कि वे एक-दूसरे की ताकत को आजमा कर अपना दबदबा कायम रखते हैं।
दूसरी ओर, चूंकि युवा नर हाथी जब इनमें प्रजनन हार्मोन में बड़ी वृद्धि नहीं होती है उस समय की तुलना में जब इनमें प्रजनन हार्मोन में बड़ी वृद्धि होती है (जब ये मस्त होते हैं) उस दौरान मादाओं के साथ जुड़े होते हैं, इसलिए वे अपने जब प्रजनन हार्मोन में वृद्धि नहीं होती है (जब ये मस्त नहीं होते) उस समय का उपयोग संभोग के अवसरों की तलाश में कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं की टीम ने नर हाथियों को उनके कान, पूंछ और दांतों की विशेषताओं का उपयोग करके उनकी पहचान की और इस बात का पता लगाया कि क्या नर मादा की उपस्थिति या अनुपस्थिति में एक-दूसरे नरों से जुड़े हैं। उन्होंने इस अध्ययन के लिए 83 पहचाने गए नर हाथियों पर छह साल के फील्ड के आंकड़ों का इस्तेमाल किया, जो जर्नल 'फ्रंटियर्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन' में प्रकाशित हुआ है।
उन्होंने पुरुषों के समूहों के लिए दो संभावित कारणों पर गौर किया जब प्रजनन हार्मोन में वृद्धि नहीं होती है (जब ये मस्त नहीं होते हैं) नर अपने समय का उपयोग समान आयु वर्ग के पुरुषों के साथ लड़ने के लिए कर सकते हैं, जो समान आकार के होंगे, अपने प्रभुत्व संबंधों को तय करने के लिए। युवा नर भी अपने समूहों का उपयोग कर सकते हैं युवा नर वृद्ध नर हाथियों से भोजन ढूंढने और प्रजनन व्यवहार के बारे में सीखते हैं।
उनके परिणामों से पता चला कि सभी नर हाथियों का समूह मादाओं की अनुपस्थिति में छोटे थे। टीम के अनुसार, वृद्ध नरों से सामाजिक शिक्षा नर समूहों में बड़ी भूमिका निभाती नहीं दिखी। इसके विपरीत, अफ्रीकी सवाना हाथियों के सभी नर समूहों में अधिक समय बिताने और बड़े समूह बनाते हुए पाए गए हैं और युवा नर हाथी बड़े नर हाथियों के साथ जुड़ना पसंद करते हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि यह दो प्रजातियों के कब्जे वाले आवासों में खाद्य संसाधनों में अंतर के कारण हो सकता है।
यह अध्ययन उन कुछ में से एक है जो प्रजातियों में नर समूहों की जांच करता है जिसमें नर सामाजिक समूहों के बीच घूमते हैं। यह इस बात का उदाहरण है कि कैसे पारिस्थितिक अंतर संभवतः समान नर प्रजनन रणनीतियों के साथ संबंधित प्रजातियों में नर समाजों में अंतर को बढ़ा सकते हैं।