जलवायु परिवर्तन के चलते तेजी से बढ़ रही है मछली, उभयचर और सरीसृप जीवों की उम्र

एक तरफ बढ़ते तापमान और हीटवेव के चलते इन जीवों की उम्र तेजी से बढ़ रही है। वहीं दूसरी तरफ इनके शरीर पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है
जलवायु परिवर्तन के चलते तेजी से बढ़ रही है मछली, उभयचर और सरीसृप जीवों की उम्र
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वैसे तो जलवायु परिवर्तन सभी के लिए खतरनाक है पर वो जीव जो अपने शारीरिक गतिविधियों के लिए सूर्य की गर्मी के भरोसे पर जिन्दा रहते हैं, उनके लिए यह कुछ ज्यादा ही नुकसानदेह है |  हीटवेव और बढ़ते तापमान के चलते इन जीवों की उम्र तेजी से बढ़ रही है। साथ ही इसके चलते इनके शरीर पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है। साथ ही इन जीवों पर हीट स्ट्रेस बढ़ रहा है।    

इन जीवों में मछली, उभयचर और सरीसृप जीव शामिल हैं जो अपने शरीर के तापमान को स्वयं नियंत्रित नहीं कर सकते इसके लिए उन्हें सूर्य की के प्रकाश की मदद लेनी पड़ती है। यही वजह है कि तापमान में हो रही वृद्धि का सीधा असर उनके शरीर पर भी पड़ रहा है। तेजी से बढ़ता तापमान उनके गतिविधियों को भी प्रभावित कर रहा है। इससे पहले भी पिछले वर्षों में किए गए शोधों से यह बात सामने आई है कि वातावरण में आ रहा बदलाव इन जीवों पर भी असर डाल रहा है। एक तरफ तापमान बढ़ने के कारण इनकी विकास दर भी बढ़ रही है साथ ही इसका असर इनके जीवन काल पर भी पड़ रहा है। जिसके कारण इनका जीवन काल भी घटता जा रहा है।

इस शोध से जुड़े शोधकर्ता जर्मन ओरिजोला के अनुसार तापमान में हो रही वृद्धि उनके शरीर की सहन क्षमता से भी ज्यादा बढ़ती जा रही है। जिसका प्रभाव उनकी गतिविधियों पर पड़ रहा है। जर्नल चेंज बायोलॉजी में छपे इस शोध से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन का इन जीवों की उम्र बढ़ने की दर पर क्या प्रभाव पड़ेगा। 

जीवों की संतान पैदा करने की क्षमता पर भी पड़ रहा है असर

ओरिजोला ने बताया कि इन जीवों की विकास दर में वृद्धिं होने से शारीरिक असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाएगी। उदाहरण के लिए इसके चलते प्रोटीन और डीएनए को ऑक्सीडेटिव क्षति होगी। साथ ही इससे टेलोमेरेस पर भी असर पड़ेगा। टेलोमेरेस, डीएनए को सुरक्षा प्रदान करता है। जितनी तेजी से टेलोमेरेस खत्म होते हैं उतनी तेजी से कोशिकाएं खराब होती हैं और शरीर की उम्र बढ़ती है। जिसका सीधा मतलब है कि जलवायु परिवर्तन सीधे तौर पर ठन्डे रक्त वाले जीवों में उम्र की दर पर अपना असर डाल रहे हैं।

शोधकर्ताओं के अनुसार क्लाइमेट चेंज के चलते जिस तेजी से जीवों की उम्र बढ़ रही है उसका इन जीवों की आबादी पर गंभीर प्रभाव हो सकता है। जैसे-जैसे जीवन प्रत्याशा घटती है, उसके साथ ही उनके संतान पैदा करने की क्षमता पर भी असर पड़ रहा है।

ऊपर से बाढ़, सूखा, बीमारियां और हीटवेव जैसी आपदाओं के चलते इन जीवों के उबरने की क्षमता पर असर पड़ रहा है। इसके साथ ही इन जीवों पर पड़ने वाला असर इनसे जुड़े अन्य जीवों पर भी असर डालेगा। 

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस बारे में बहुत ही सीमित खोज की गई है। उनके अनुसार इसके बारे में बेहतर समझ ने केवल जीवों पर क्लाइमेट चेंज के बढ़ते असर से निपटने में मददगार हो सकती है, साथ ही यह जानकारी इन जीवों के संरक्षण और प्रबंधन से जुड़ी बेहतर नीतियों के निर्माण में योगदान कर सकती हैं।

उदाहरण के लिए यदि मछलियों को ले लीजिये जिन्हें वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए पकड़ा जा रहा है, तब यह समझना जरुरी हो जाता है कि जलवायु परिवर्तन इन जीवों की उम्र पर असर डाल रहा है ऐसे में इन्हें पकड़ने की दर को इनकी जनसंख्या के आधार पर तय किया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ जो प्रजातियां पहले ही खतरे में हैं उनपर उम्र घटने के कारण खतरा और बढ़ जाएगा, ऐसे में उनके संरक्षण के लिए सही समय पर कार्रवाई की जा सकती है। जबकि जिन जीवों के आवास पर जलवायु परिवर्तन का असर पड़ रहा है उन्हें वहां से अलग जगह पर भेजा जा सकता है।

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