आजादी की 75वीं वर्षगांठ से पहले नहीं आ पाएंगे अफ्रीकी चीतें, क्या है वजह?

तय कार्यक्रम के मुताबिक 13 अगस्त 2022 तक दक्षिण और नामीबिया से आठ चीतें भारत लाए जाने थे, लेकिन अब इसमें दो सप्ताह से अधिक की देरी होने के आसार हैं
आजादी की 75वीं वर्षगांठ से पहले नहीं आ पाएंगे अफ्रीकी चीतें, क्या है वजह?
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भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस से पहले, 13 अगस्त तक दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से चीतों को भारत में स्थानांतरित करने की योजना में लगभग दो सप्ताह या उससे अधिक समय की देरी हो रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नामीबिया में पकड़े गए चीतों को भारत ले जाने से पहले अपना क्वारंटाइन पूरा करना होगा। यही वजह है कि अगस्त के अंत तक ही ये चीते भारत आ सकते हैं।

इधर, कुनो नेशनल पार्क (केएनपी) के कर्मचारी और अधिकारी चीतों के लिए बनाए गए 500 हेक्टेयर के घेरे से तेंदुओं को बाहर रखने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।

कुनो पार्क में चीतों के लिए बनाए गए जालों और यहां तक ​​कि नौ फुट ऊंचे और 12 किलोमीटर लंबे बाड़ के बावजूद देशी तेंदुएं यहां घूमते पाए गए हैं, जो चीतों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा 2018 की तेंदुए की जनगणना के अनुसार, कुनो नेशनल पार्क में तेंदुओं की आबादी हर सौ वर्ग किलोमीटर में औसतन 9 की है।

कुनो पार्क के संभागीय वन अधिकारी प्रकाश वर्मा ने कहा, "तेंदुओं को पकड़ने और पार्क में दूर स्थानांतरित करने के लिए लगभग 100 कर्मचारी और रेंजर तैनात किए गए हैं, लेकिन अभी तक हम केवल दो को पकड़ने में कामयाब रहे हैं।"

पकड़े गए दो तेंदुओं के अलावा, क्षेत्र के तीन और तेंदुए वन विभाग के जाल और पिंजरों से बच निकलने में कामयाब रहे, जिससे अधिकारी इन तेंदुओं की रणनीतियों को लेकर आश्चर्य में हैं।

वर्मा ने कहा, “वे जंगली जानवर हैं और हम उनकी रणनीति को समझने की कोशिश कर रहे हैं। तीन तेंदुएं अब तक जाल के भीतर रखे भोजन को खाने के बाद भागने में कामयाब रहे।”

टीम उन स्थानों पर जहां वे प्रवेश कर रहे हैं, वहां अधिक फुट ट्रैप और पिंजरे रखने के लिए कैमरा ट्रैप के माध्यम से तेंदुओं की आवाजाही का अध्ययन कर रही है, लेकिन यह अनुमान लगाना अभी भी मुश्किल है कि इन तीनों को पकड़ने में उन्हें कितना समय लग सकता है।

वर्मा ने बताया कि यह ऐसा कुछ है जो अप्रत्याशित है। यह एक दिन में हो सकता है यदि भाग्य हमारा साथ दे, या इसमें सप्ताह लग सकते हैं। हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन उस पर कोई तारीख या समय सीमा नहीं लगा सकते। हमने तेंदुओं को पकड़ने के लिए चार पिंजरे रखे हैं और उम्मीद है कि उन्हें जल्द ही पकड़ लिया जाएगा।

राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक जेएस चौहान का कहना है कि केवल तेंदुओं के कारण देरी नहीं हो रही है। चीते देने वाले दोनों देशों की ओर से भी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और एनटीसीए के सदस्य राज्य सरकार को सारे कारण नहीं बता रहे हैं।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका और भारत के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) अभी भी लंबित है और नामीबिया से चीतों के स्थानान्तरण के लिए परमिट पर भी दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं।

भारत और नामीबिया ने जुलाई में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।

हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक नामीबियाई पर्यावरण मंत्रालय के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने कहा कि भारत को पहले उन्हें निर्यात परमिट तैयार करने के लिए चीतों के लिए एक आयात परमिट प्रदान करना होगा, जिससे देरी हो रही है। टाइम्स ने रिपोर्ट किया था।

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