सतही जल भूमि के शीर्ष पर स्थित जल है, इसे समुद्री जल और समुद्र जैसे जल निकायों के विपरीत नीले पानी के रूप में भी जाना जाता है। सतही जल जो वर्षा और वाष्पीकरण पर निर्भर करता है, यह वनस्पति में बदलाव से प्रभावित हो सकता है। ये प्रभाव स्थानीय हो सकते हैं, वाष्पीकरण और वर्षा में बदलाव के कारण, दूसरे जगहों पर, वायुमंडलीय नमी के बहाव में परिवर्तन हो सकता है।
अब शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने दुनिया भर में जल चक्र पर पेड़ों के काटे जाने और वनीकरण दोनों के प्रभाव का आकलन करने का प्रयास किया है। टीम ने कई सालों तक सतह के पानी में होने वाले बदलाव को मापने के लिए, जल विज्ञान (हाइड्रोलॉजी) सूचकांकों के साथ बारिश के रिकॉर्ड का विश्लेषण किया।
जैसे-जैसे जलवायु में बदलाव बढ़ रहा है, शोधकर्ताओं ने पेड़ लगाकर हवा में कुछ कार्बन को अवशोषित करने का प्रयास किया। पहले के शोधों ने सुझाव दिया है कि जब किसी दिए गए क्षेत्र में बड़ी संख्या में पेड़ लगाए जाते हैं, तो पेड़ों के जमीन से पानी खींचने और पेड़ों से हवा में पानी के वाष्पोत्सर्जन के कारण जल स्तर पर प्रभाव पड़ता है। इस नए प्रयास में, शोधकर्ताओं ने सोचा कि अधिक वैश्विक संदर्भ में वनों की को काटे जाने और वनीकरण का किस प्रकार का प्रभाव पड़ रहा है।
शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के कई इलाकों से वर्षा के आंकड़ों को इकट्ठा किया और उनका अध्ययन किया। उन्होंने यह मापने के लिए पत्ती के आवरण का भी अध्ययन किया कि दिए गए क्षेत्रों में वृक्षों की वृद्धि कहां बढ़ी है या घटी है या वही बनी हुई है। इन दो कारकों से, शोधकर्ताओं ने पाया कि वे वृक्षों के आवरण में परिवर्तन और सतही जल की मात्रा में परिवर्तन के बीच संबंध बनाने में सक्षम थे।
उन्होंने पाया कि 2001 से 2018 के वर्षों में वनस्पति आवरण में बदलाव के कारण सतही जल की उपलब्धता में हर साल लगभग 0.26 की वैश्विक वृद्धि हुई है। उस वृद्धि के कारण विश्व स्तर पर पानी की उपलब्धता में कुल गिरावट का लगभग 15 प्रतिशत का नुकसान हुआ। उन्होंने यह भी पाया कि दुनिया भर के सतही जल में लगभग 53 प्रतिशत की वृद्धि के लिए वाष्पीकरण की तुलना में अधिक वर्षा का होना था।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जल स्तर पर प्रभाव क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होता है। कुछ जगहों पर, अधिक पेड़ लगाने से स्थानीय स्तर पर और अधिक दूर के स्थानों में हवा के झोंकों में पानी की उपलब्धता में वृद्धि हुई। अन्य जगहों पर स्थानीय स्तर पर बहुत कम प्रभाव पड़ा। उन्हें ऐसे स्थान भी मिले जहां पेड़ लगाने से उपलब्ध सतही जल में कोई मापनीय वृद्धि नहीं हुई।
शोधकर्ताओं का सुझाव है कि पेड़ों के काटे जाने और वनीकरण परियोजनाओं में शामिल संस्थाओं को जल स्तर पर उनके प्रयासों के प्रभाव पर करीब से नज़र डालने की आवश्यकता है। यह अध्ययन नेचर जियोसाइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।