8 साल में 845 हाथियों की मौत, एनजीटी ने स्वतः संज्ञान लेकर दिया नोटिस

पीठ ने कहा कि यह मुद्दा पर्यावरण मानदंडों खासतौर से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 और जैव विविधता अधिनियम के अनुपालन से संबंधित है
हाथियों के कॉरीडोर में एक समूह. फोटो : आईस्टॉक
हाथियों के कॉरीडोर में एक समूह. फोटो : आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी) ने 2015 से 2023 के बीच कुल 8 वर्षों में 845 हाथियों की मौत पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और केरल वन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

एनजीटी के चेयरमैन और जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने 8 अगस्त, 2024 को एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के आधार पर मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया। पीठ ने कहा कि यह मुद्दा पर्यावरण मानदंडों खासतौर से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 और जैव विविधता अधिनियम के अनुपालन से संबंधित है।

पीठ ने कहा कि अध्ययनों से पता चलता है कि खासतौर से 10 वर्ष से कम आयु के हाथियों की अत्यधिक मौत हो रही है। इनमें से लगभग 40 फीसदी युवा हाथी एलिफेंट एंडोथेलियोट्रोपिक हर्पीसवायरस-हेमरेजिक डिजीज (ईईएचवी-एचडी) के शिकार हो रहे हैं।

एनजीटी की पीठ ने जिस खबर के आधार पर नोटिस जारी किया है, उस खबर में शोध के हवाले से कहा गया है कि बड़े झुंडों में रहने वाले आपस में प्रतिरक्षा साझा करते हैं और इनमें ईईएचवी-एचडी के खिलाफ लड़ने की बेहतर शक्ति होती है, जिससे इनके जीवित रहने की दर ज्यादा होती है। हाथी के बच्चों के बड़े झुंड बनाए रखने से बीमारी के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।

एनजीटी की पीठ ने इस मामले में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, केरल के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन को नोटिस जारी किया।

मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को एनजीटी की चेन्नई स्थित दक्षिणी क्षेत्रीय पीठ के जरिए होगी।

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