सुंदरबन टाइगर रिजर्व में पाई गई मछली पकड़ने वाली 385 संकटग्रस्त माने जाने वाली बिल्लियां

मछली पकड़ने वाली बिल्ली को बंगाली में बघरोल कहते हैं जो पश्चिम बंगाल का राजकीय पशु है और यह कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है।
मछली पकड़ने वाली बिल्ली (फिशिंग कैट)
मछली पकड़ने वाली बिल्ली (फिशिंग कैट)
Published on

वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर के अनुसार मछली पकड़ने वाली बिल्ली (प्रियनैलुरस विवरिनस) एक सामान्य घरों में रहने वाली बिल्ली के आकार से लगभग दोगुनी होती है, जो एक शक्तिशाली और गठीले पैरों वाली बिल्ली है। एक वयस्क का आकार 57 से 78 सेमी के बीच होता है और इसका वजन पांच से 16 किलोग्राम के बीच होता है।

मछली पकड़ने वाली बिल्ली (फिशिंग कैट) एक कुशल तैराक होती है और मछली का शिकार करने के लिए अक्सर पानी में प्रवेश करती है जैसा कि इसके नाम से पता चलता है। 

कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल वन विभाग की ओर से “फिशिंग कैट स्टेटस रिपोर्ट 2022” जारी की गई है, जिसके मुताबिक सुंदरबन टाइगर रिजर्व 385 मछली पकड़ने वाली बिल्लियों का घर है।

मछली पकड़ने वाली बिल्ली को बंगाली में बघरोल कहते हैं जो पश्चिम बंगाल का राजकीय पशु है। वर्तमान में यह कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सुंदरबन टाइगर रिजर्व के चार हिस्सों में से बशीरहाट रेंज में लगभग 130, सजनेखली वन्यजीव अभयारण्य रेंज में 97, राष्ट्रीय उद्यान पूर्व 60 और राष्ट्रीय उद्यान पश्चिम 98 मछली पकड़ने वाली बिल्लियां हैं। 

यह संख्या इस वर्ष राष्ट्रीय बाघ गणना के हिस्से के रूप में स्थापित ट्रैप कैमरों द्वारा कैप्चर की गई मछली पकड़ने वाली बिल्लियों की छवियों के विश्लेषण से हासिल हुई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मछली पकड़ने वाली बिल्लियां मैंग्रोव डेल्टा में मछली की पर्याप्त आपूर्ति, जानवरों के मुख्य शिकार और लोगों के कम से कम हस्तक्षेप के कारण पनपती हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सुंदरबन टाइगर रिजर्व में मछली पकड़ने वाली बिल्लियों की आबादी के आकलन से मौजूदा आबादी और प्रजातियों के वितरण पैटर्न पर अहम आंकड़े प्राप्त हुए हैं। यह टाइगर रिजर्व में आबादी को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए स्थानीय हस्तक्षेप कर प्रबंधन के लिए जानकारी  प्रदान करता है।

रिपोर्ट के मुताबिक यह अध्ययन केवल सुंदरबन टाइगर रिजर्व के अंदर मछली पकड़ने वाली बिल्लियों पर केंद्रित था। पूरे मैंग्रोव डेल्टा में वास्तविक संख्या कहीं अधिक होनी चाहिए। सुंदरबन 10,000 वर्ग किमी में फैला हुआ है, जिसमें से 4,000 वर्ग किमी से थोड़ा अधिक हिस्सा भारत में है, बाकी बांग्लादेश में है।

भारतीय सुंदरबन टाइगर रिजर्व और दक्षिण 24-परगना डिवीजन के बीच बंटा हुआ है।

रिपोर्ट के मुताबिक बाघों के अलावा, कैमरों ने कई अन्य प्रजातियों की तस्वीरें लीं। मछली पकड़ने वाली बिल्ली पर ध्यान इसलिए केंद्रित किया गया क्योंकि यह  पश्चिम बंगाल का राजकीय पशु है और यह कई चुनौतियों का सामना करती है। पश्चिम बंगाल में मछली पकड़ने वाली बिल्लियों का यह पहला ऐसा अध्ययन है।

मछली पकड़ने वाली बिल्ली, बंगाली में बघरोल, भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची में शामिल है। पशुओं के संरक्षणकर्ताओं ने कहा कि इसे बाघों और हाथियों जैसे उच्चतम संरक्षण उपायों को हासिल करने वाला माना जाता है।

यह रात में  अपना शिकार (निशाचर) करने वाला जानवर आर्द्रभूमि में पनपता है। हालांकि इसे अपने निवास स्थान में शीर्ष परभक्षी कहा जाता है, मछली इसका पसंदीदा शिकार है। सिकुड़ती आर्द्रभूमि ने उनकी संख्या को कम कर दिया है और उन्हें मानव बस्तियों में भटकने तथा मछलियों और पशुओं का शिकार करने के लिए मजबूर कर दिया है।

पिछले दो वर्षों में मछली पकड़ने वाली बिल्लियों की मौत में वृद्धि ने संरक्षणवादियों को चिंता में डाल दिया है। सड़क हादसों में मरने से लेकर पीट कर मार डालने या जहर खाने तक, इन मौतों के लिए मानव-वन्यजीव संघर्ष को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

मछली पकड़ने वाली बिल्ली के लिए गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन सबसे उपयुक्त आवास है। सुंदरबन डेल्टा उसी का एक हिस्सा है। लेकिन अंधाधुंध निर्माण गतिविधियों के कारण लगभग हर जगह आर्द्रभूमि सिकुड़ती जा रही है। सुंदरबन के सुरक्षित रहने की संभावना है क्योंकि यह एक संरक्षित क्षेत्र है।

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने मछली पकड़ने वाली बिल्ली को "कमजोर" का दर्जा दिया है।  

एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील चिल्का में 176 बिल्लियां पाई गई। यह अध्ययन 2021 और 2022 में चिल्का विकास प्राधिकरण द्वारा फिशिंग कैट कंजर्वेशन एलायंस के फिशिंग कैट प्रोजेक्ट के सहयोग से किया गया था। इससे जुड़े विशेषज्ञों ने कहा कि चिल्का में मछली पकड़ने वाली बिल्लियों का घनत्व 60 बिल्ली प्रति 100 वर्ग किमी था, जो एक बहुत अच्छा घनत्व माना जाता है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in