एनएच-766 का वैकल्पिक मार्ग भी जीवाें के लिए सुरक्षित नहीं, 8 महीने में 2,426 जीव मरे

वायनाड वन्यजीव अभराण्य में पड़ने वाले थोलपेट्टी रेंज से गुजरने वाली सड़क पर रात को यातायात बहुत बढ़ जाता है, जिससे वन्यजीव गाड़ियों की चपेट में आ रहे हैं
केरल के वायनाड को कर्नाटक से जोड़ने वाले मनंथावड़ी-कुट्टा राजमार्ग पर आठ महीनों में 2,426 जीव मारे गए हैं। फोटो: धनीष भास्कर
केरल के वायनाड को कर्नाटक से जोड़ने वाले मनंथावड़ी-कुट्टा राजमार्ग पर आठ महीनों में 2,426 जीव मारे गए हैं। फोटो: धनीष भास्कर
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केरल के वायनाड जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-766 का मुद्दा गरम होता जा रहा है। वायनाड जिले में लोग राष्ट्रीय राजमार्ग-766 को रात के समय यातायात को खोलने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं अब दूसरी तरफ हाइवे को स्थायी रूप से बंद करने की कवायद चल रहा है। पर्यावरण मंत्रालय ने केरल सरकार की बांदीपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ऐलिवेटेड रोड बनाने के प्रस्ताव को भी नकार दिया है। सुप्रीम कोर्ट का सुझाव है कि वैकल्पिक मार्ग को बेहतर बनाया जाए। लेकिन जिस वैकल्पिक मार्ग को बेहतर बनाने की बात की जा रही है, उस मार्ग पर भी रिकॉर्ड जीव हादसों में मारे गए हैं। केरल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (केएफआरआई) के रिसर्चर धनीष भास्कर और पीएस ईसा द्वारा इस संबंध में किए गए अध्ययन के मुताबिक, केरल के वायनाड को कर्नाटक से जोड़ने वाले मनंथावड़ी-कुट्टा राजमार्ग पर आठ महीनों में 2,426 जीव मारे गए हैं। यह अध्ययन अप्रैल 2013 से नवंबर 2013 के बीच 13.16 किलोमीटर लंबे मार्ग पर किया गया था।  

धनीष भास्कर के अध्ययन के अनुसार, वायनाड को कर्नाटक और तमिलनाडु से जोड़ने वाली तीन प्रमुख मार्ग हैं। ये मार्ग हैं सुल्तान बाथरी-गुंडुलपेट, मनंथावडी-मैसूर और मनंथावड़ी- कुट्टा मार्ग। ये मार्ग वायनाड वन्यजीव अभराण्य से होकर गुजरते हैं। वायनाड और अन्य जिलों के लोग इन राजमार्गों पर निर्भर हैं और बड़ी संख्या में वाहन इन रास्तों से गुजरते हैं। इस कारण वन्यजीव वाहनों की चपेट में आ जाते हैं।

मनंथावड़ी-कुट्टा राजमार्ग को छोड़कर शेष अन्य दो मार्गों में रात के समय वाहनों का प्रवेश वर्जित है। कर्नाटक सरकार ने गुंडुलपेट से बाथरी के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 212 (एनएच 766) पर रात 9 से सुबह 6 बजे के बीच वाहनों पर प्रतिबंध लगा रखा है ताकि बांदीपुर टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों को व्यवधान न हो। इसी तरह दूसरा रास्ता भी रात के समय यातायात के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। 

कर्नाटक सरकार के सुझाव पर वायनाड के लिए वैकल्पिक रास्ता सुझाया गया है। यह रास्ता हंसूर-गोनिककुप्पा-कुट्टा-मनंथावड़ी होते हुए मैसूर जाता है और कल्पेटा के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 212 से जुड़ता है, लेकिन यह रास्ता 60 किलोमीटर लंबा पड़ता है। अब इसी रास्ते से रात के समय वाहन गुजरते हैं। यह रास्ता वायनाड वन्यजीव अभराण्य में पड़ने वाले थोलपेट्टी रेंज से गुजरता है। रेंज से गुजरने वाली यह सड़क 13.16 किलोमीटर लंबी है।  

दूसरे मार्गों पर रात के समय प्रतिबंध के कारण इस मार्ग पर वाहनों का दबाव अधिक रहता है। इसी मार्ग पर आठ महीनों के दौरान 2,426 वन्यजीव सड़क हादसों का शिकार हुए हैं। इनमें से 2,213 वन्यजीव उभयचर (एंफीबियंस) हैं, जबकि मारे गए 153 जीव रेंगने वाले (रेप्टाइल्स) हैं। इस अवधि में 57 स्तनधारी और 3 पक्षी भी सड़क हादसों में मरे। मारे गए जीव 42 प्रजातियों के थे।

धनीष लिखते हैं कि सड़क और रेल के विकास से कुछ जीव अपने आवास से कट जाते हैं और इससे कई बार उनकी विलुप्ति भी हो जाती है। धीरे चलने वाले उभयचर जीव जैसे कछुए और सांप सड़क से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। मनंथावड़ी- कुट्टा मार्ग नम पतझड़ी वनों से गुजरता है और इसके आसपास जलस्रोत काफी हैं। इस कारण जीव अक्सर सड़क पर आकर वाहनों की चपेट में आ जाते हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि वाहन चलाने वाले ड्राइवर आमतौर पर ऐसे छोटे जीवों को महत्व नहीं देते। कई बार ये जीव दिखाई भी नहीं देते। अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि ड्राइवरों की ब्रीफिंक करके और मोड़ व पानी के स्रोतों के पास ब्रेकर लगाने से स्थिति में सुधार आ सकता है।

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