पेड़ों की 17,510 प्रजातियों पर मंडरा रहा है विलुप्ति का खतरा, जानिए क्यों जरूरी है बचाना

दुनिया में पेड़ों की 58,497 प्रजातियों में से करीब एक तिहाई पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है
पेड़ों की 17,510 प्रजातियों पर मंडरा रहा है विलुप्ति का खतरा, जानिए क्यों जरूरी है बचाना
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दुनिया भर में पेड़ों की करीब 17,510 प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है, जबकि पेड़ों की 142 प्रजातियां ऐसी हैं जो पहले ही विलुप्त हो चुकी हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों ने यह जानने का प्रयास किया है कि वृक्षों की इतनी सारी प्रजातियों को होता नुकसान आखिर इतना विनाशकारी क्यों है। साथ ही इस तरह प्रजातियों के इस तरह विलुप्त होने से रोकने के लिए क्यों प्रयास किए जाने चाहिए। इस बारे में किया गया एक नया अध्ययन अगस्त 2022 में जर्नल प्लांटस, पीपल, प्लेनेट में प्रकाशित हुआ है।  

गौरतलब है कि पिछले वर्ष बॉटनिक गार्डनस कंजर्वेशन इंटरनेशनल द्वारा जारी रिपोर्ट स्टेट ऑफ द वर्ल्डस ट्रीज में सामने आया था कि दुनिया में पेड़ों की 58,497 प्रजातियों में से करीब एक तिहाई पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।

इतना ही नहीं रिपोर्ट के अनुसार इनमें से केवल 41.5 फीसदी यानी 24,255 प्रजातियां ही सुरक्षित घोषित हैं। वहीं पेड़ों की करीब 142 प्रजातियां पहले ही विलुप्त हो चुकी हैं, जबकि 21.6 फीसदी (12,490) के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। वहीं पेड़ों की 4,099 प्रजातियों के बारे में स्पष्ट रूप से कहना मुश्किल है कि क्या वो संकटग्रस्त हैं।  

यदि भारत से जुड़े आंकड़ों को देखें तो देश में पेड़ों की कुल 2,608 प्रजातियां हैं, जिनमें से 651 स्थानीय प्रजातियां हैं। अनुमान है कि देश में पेड़ों की करीब 18 फीसदी यानी कुल 413 प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। वहीं दो 2 स्थानिक प्रजातियां होपिया शिंगकेंग और स्टरकुलिया खासियाना पहले ही विलुप्त हो चुकी हैं, जबकि कोराइफा टैलिएरा जंगलों से लुप्त हो चुकी है।

देखा जाए तो इन पेड़ों की अंधाधुंध होती कटाई इनके लिए सबसे बड़ा खतरा है। मनुष्य कृषि, खनन, लकड़ी, शहरीकरण जैसे उद्देश्यों के लिए बड़ी तेजी से इन पेड़ों का विनाश कर रहा है। इसके अलावा आक्रामक कीट और बीमारियां भी इन प्रजातियां को तेजी से खत्म कर रहे हैं। वहीं जलवायु में आते बदलावों से भी इनकी संख्या पर असर पड़ रहा है।

यह अध्ययन शोधकर्ताओं के उसी दल ने किया है जिसने स्टेट ऑफ द वर्ल्डस ट्रीज रिपोर्ट तैयार करने में योगदान दिया था। इस शोध में शोधकर्ताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि पेड़ों की इतनी सारी प्रजातियों का विलुप्त होना आने वाले वर्षों में क्यों एक बड़ी समस्या को पैदा कर सकता है।

क्यों जरुरी है पेड़ों की इन घटती प्रजातियों को बचाना

शोधकर्ताओं के मुताबिक इसकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि पेड़ों की घटती विविधता, पेड़ों की बची हुई प्रजातियों के लिए भी जीवन कठिन बना देती है। इसके चलते वन छोटे होते जाते हैं और कीटों के प्रति कहीं ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं।

यह छोटे और कमजोर होते जंगल पहले के मुकाबले कार्बन की कम मात्रा को सोख पाते हैं जो जलवायु परिवर्तन में योगदान देती है। गौरतलब है कि वातावरण में बढ़ता कार्बन पृथ्वी को कहीं ज्यादा गर्म कर रहा है। इतना ही नहीं यदि पेड़ों से प्राप्त होने वाले उत्पादों को देखें तो यह लकड़ी, कागज फल जैसे उत्पाद उपलब्ध कराते हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक पेड़ों की घटती विविधता न केवल हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है साथ ही इसकी वजह से दुनियाभर में करोड़ों लोगों के जीवन पर असर पड़ेगा। गौरतलब है कि दुनिया भर में अरबों लोग अपनी जीविका के लिए जंगलों पर निर्भर हैं। इसके अलावा वृक्षों की विविधता को होते नुकसान से जंगलों में रहने वाले वन्यजीवों पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। 

यह पेड़ न केवल जंगलों में फायदेमंद है बल्कि शहरों में भी इनके महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता। हाल ही में जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक शोध में सामने आया है कि पेड़ शहरों में सतह के तापमान को 12 डिग्री सेल्सियस तक कम कर सकते हैं, जोकि बढ़ती गर्मी और लू से लोगों को बचा सकता है। इसके अलावा पेड़ न केवल हवा को साफ करते हैं। साथ ही ऊर्जा उपयोग में कटौती करने में भी मददगार होते हैं।

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