कैसे बनते हैं ओले? आइए जानते हैं इसके बारे में

ओलावृष्टि से फसलों, लोगों और पशुओं के अलावा, विशेष रूप से विमान, ऑटोमोबाइल, कांच की छत वाली संरचनाओं, रोशनदानों को गंभीर नुकसान हो सकता है।
कैसे बनते हैं ओले? आइए जानते हैं इसके बारे में
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ओलावृष्टि फसलों और संपत्ति को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। भारत में ओलावृष्टि ज्यादातर मार्च और अप्रैल में होती है। यह अधिकतर मामलों में पूर्वोत्तर और पश्चिमी हिमालय वाले इलाकों को प्रभावित करता है।

खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, ओलावृष्टि कृषि को भारी नुकसान पहुंचाती है, इससे फसल की उपज में अचानक नुकसान होता है और कई बार बड़े बागों को नुकसान होता है। किसानों को समय पर राहत प्रदान करने के लिए सटीक क्षेत्र आधारित फसल की हानि के मूल्यांकन एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

ओले कैसे बनते हैं?

स्काईमेट के अनुसार जब आसमान में तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो जाता है तो वहां हवा में मौजूद नमी ठंडी बूंदों के रूप में जम जाती है। धीरे-धीरे ये बर्फ के गोलों का रूप धारण कर लेती हैं जिन्हें ओले कहते हैं। एक बार ओले जब बड़े आकार में बदल जाते है, तो गुरुत्वाकर्षण इन्हें पृथ्वी की सतह पर ले आता है, जिसे ओले पड़ना या ओलावृष्टि कहते हैं, आमतौर पर यह तेज आंधी से जुड़ी होती है।

ओलावृष्टि कब अधिक होती है?

ओले को बर्फ के छल्ले के रूप में देखा जा सकता है। कुछ छल्ले दूधिया सफेद होते हैं, ओले दो अलग-अलग प्रक्रियाओं से बढ़ सकते हैं, गीला और सूखा। ओला वृद्धि तब होती है जब ओलावृष्टि तूफान में होती है जहां हवा का तापमान काफी ठंडा होता है। 

भारत में ओलावृष्टि कब होती है?

सर्दियों और मानसून से पहले ओलावृष्टि का सबसे अधिक खतरा होता है। दक्षिण पश्चिम मानसूनी मौसम में ओलावृष्टि की घटनाएं के बराबर होती हैं। ओलावृष्टि होने के लिए वातावरण अत्यधिक अस्थिर होना चाहिए। ओलावृष्टि का समय दोपहर और शाम के कुछ घंटों के दौरान होता है।

ओलावृष्टि से किस तरह के नुकसान हो सकते हैं?

ओलावृष्टि से फसलों, लोगों और पशुओं के अलावा, विशेष रूप से विमान, ऑटोमोबाइल, कांच की छत वाली संरचनाओं, रोशनदानों को गंभीर नुकसान हो सकता है। मुख्य रूप से मार्च और अप्रैल के महीनों में होने वाली ओलावृष्टि से फसल के पकने पर आम की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान होता है और जब आम के बाग में फूल आते हैं।

किन भारतीय राज्यों में ओलावृष्टि होने का खतरा रहता है?

उत्तर पूर्वी राज्यों में ओलावृष्टि का अधिक खतरा रहता है। तटीय स्टेशनों और प्रायद्वीपीय भारत में ज्यादातर ओलावृष्टि नहीं होती है। महाराष्ट्र और तेलंगाना के कई इलाकों में ओलावृष्टि नहीं होती है। ये स्थान ज्यादातर गर्म और नम रहते हैं और जैसे ही तापमान ऊपर चढ़ता है, बारिश होने लगती है, जिससे ओलों के बनने में मुश्किल से ही समय लगता है। इसलिए, तेलंगाना, विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र में मानसून से पहले सीजन के दौरान ओलावृष्टि की सबसे अधिक आशंका होती है। मानसून पूर्व के मौसम के दौरान पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भी ओलावृष्टि होती है।

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