दो पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय, पश्चिमी हिमालयी इलाकों में बारिश-बर्फबारी, जानें कहां-कहां चढ़ा पारा

घने कोहरे में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण होते हैं, हवा में मौजूद ये प्रदूषक अगर संपर्क में आ जाएं तो आंखों की झिल्लियों में जलन पैदा कर सकते हैं जिससे अलग-अलग तरह के संक्रमण हो सकते हैं, आंखों में लालिमा या सूजन आ सकती है।
आज, यानी तीन फरवरी, 2025 को पश्चिमी हिमालयी इलाकों के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश तथा बर्फबारी होने की संभावना जताई गई है।
आज, यानी तीन फरवरी, 2025 को पश्चिमी हिमालयी इलाकों के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश तथा बर्फबारी होने की संभावना जताई गई है।
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भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक दो पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हैं, पहला एक चक्रवाती प्रसार के रूप में जम्मू और उससे सटे उत्तरी पाकिस्तान के निचले और मध्य स्तरों पर जारी है। जबकि दूसरा दक्षिण-पूर्व ईरान और उससे सटे अफगानिस्तान के निचले से ऊपरी स्तरों पर बना हुआ है।

पहले पश्चिमी विक्षोभ के चलते आज, यानी तीन फरवरी, 2025 को पश्चिमी हिमालयी इलाकों के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश तथा बर्फबारी होने की संभावना जताई गई है। आज, राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ बिजली गिरने की आशंका जताई गई है।

वहीं दूसरे पश्चिमी विक्षोभ की वजह से चार और पांच फरवरी को पश्चिमी हिमालयी इलाकों के अधिकतर हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश तथा हिमपात होने का पूर्वानुमान है। साथ ही, इसी दौरान उत्तर-पश्चिम भारत के आसपास के मैदानी इलाकों में भी हल्की बारिश होने की संभावना जताई गई है

तापमान में उतार-चढ़ाव

मौसम विभाग की मानें तो अगले 24 घंटों के दौरान पश्चिमी हिमालयी इलाकों में न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं है और उसके बाद के तीन दिनों के दौरान इसमें धीरे-धीरे दो से तीन डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने का पूर्वानुमान है। वहीं, अगले तीन से चार दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है।

अगले दो दिनों के दौरान महाराष्ट्र में न्यूनतम तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। जबकि अगले 24 घंटों के दौरान पश्चिम भारत में न्यूनतम तापमान में कोई खास बदलाव होने की संभावना नहीं है और उसके बाद तीन दिनों के दौरान दो से तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने की संभावना जताई गई है।

मध्य भारत में तापमान में उतार-चढ़ाव की बात करें तो अगले दो दिनों के दौरान न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं दिख रही है, हालांकि उसके बाद दो से तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट आ सकती है।

देश भर में अधिकतम और न्यूनतम तापमान की बात करें तो कल, यानी दो फरवरी को रायलसीमा के कुरनूल में अधिकतम तापमान 36.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं कल, देश के मैदानी इलाकों में पश्चिम राजस्थान के गंगानगर में न्यूनतम तापमान 6.2 डिग्री सेल्सियस रहा।

कोहरे का कहर, दृश्यता में कमी, यातायात व स्वास्थ्य पर प्रभाव

अगले कुछ दिनों तक पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और मेघालय के कुछ इलाकों में रात से लेकर सुबह के समय तक घने कोहरे से निजात मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं

वहीं आज सुबह, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, ओडिशा के अलग-अलग इलाकों में घने से बहुत घना कोहरा छाया रहा। जबकि, पश्चिमी राजस्थान, बिहार, असम, त्रिपुरा, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम के अलग-अलग इलाकों में हल्के से मध्यम कोहरा देखा गया।

लंबे समय तक घने कोहरे के संपर्क में रहने से अस्थमा ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों से संबंधित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों को सांस लेने संबंधी समस्या हो सकती है।
लंबे समय तक घने कोहरे के संपर्क में रहने से अस्थमा ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों से संबंधित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों को सांस लेने संबंधी समस्या हो सकती है।फोटो साभार: आईस्टॉक

सुबह कोहरे की वजह से पंजाब के अमृतसर और पटियाला हर जगह दृश्यता शून्य मीटर, पठानकोट में दृश्यता 100 मीटर, हरियाणा के हिसार में दृश्यता शून्य मीटर, दिल्ली के पालम और सफदरजंग प्रत्येक जगह दृश्यता 50 मीटर, पश्चिमी राजस्थान के गंगानगर में दृश्यता 200 मीटर, पश्चिम बंगाल के हल्दिया और डायमंड हार्बर प्रत्येक जगह दृश्यता शून्य मीटर, कोलकाता और दीघा हर जगह दृश्यता 200 मीटर दर्ज की गई।

वहीं आज सुबह, ओडिशा के बालासोर में दृश्यता शून्य मीटर, भुवनेश्वर में दृश्यता 150 मीटर, बिहार के पूर्णिया में दृश्यता 200 मीटर, असम के धुबरी में दृश्यता 200 मीटर, त्रिपुरा के कैलाशहर में दृश्यता 200 मीटर, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम के विजयवाड़ा में दृश्यता 200 मीटर रिकॉर्ड की गई।

मौसम विभाग ने कहा है कि कोहरे की वजह से सड़क यातायात, रेल और हवाई यातायात में रुकावट आ सकती है, विभाग ने देश के कुछ हवाई अड्डों, राजमार्गों और रेलवे मार्गों पर असर पड़ने की आशंका जताई है। धीमी यात्रा के समय वाहन चलने में कठिनाई हो सकती है। कोहरे की वजह से दृश्यता कम होने के चलते सड़क यातायात से दुर्घटनाएं होने की भी आशंका जताई गई है।

घने कोहरे वाले इलाकों में विद्युत लाइनों के ट्रिप होने के भी आसार जताए गए हैं।

लोगों के स्वास्थ्य पर भी कोहरे का बुरा प्रभाव पड़ सकता है, विभाग ने कहा है घने कोहरे में कण पदार्थ और अन्य प्रदूषक होते हैं और यदि वे संपर्क में आते हैं तो फेफड़ों में जाकर फंस जाते हैं, उन्हें अवरुद्ध कर देते हैं और उनकी कार्यात्मक क्षमता को कम कर देते हैं, जिससे घरघराहट, खांसी और सांस लेने में तकलीफ की समस्या बढ़ जाती है।

लंबे समय तक घने कोहरे के संपर्क में रहने से अस्थमा ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों से संबंधित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों को सांस लेने संबंधी समस्या हो सकती है।

घने कोहरे में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण होते हैं और हवा में मौजूद ये प्रदूषक अगर संपर्क में आ जाएं तो आंखों की झिल्लियों में जलन पैदा कर सकते हैं जिससे अलग-अलग तरह के संक्रमण हो सकते हैं जिससे आंखों में लालिमा या सूजन आ सकती है।

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