मॉनसून 2023: लगातार 13वें साल देरी से हो रही है वापसी, अक्टूबर तक हो सकती है बारिश

मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने संकेत दिया कि 21 से 27 सितंबर के बीच मॉनसून की वापसी शुरू हो सकती है
फोटो- सीएसई
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अमूमन देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की हवाएं 17 सितंबर तक उत्तर-पश्चिमी भारत से वापस जाना शुरू कर देती हैं, लेकिन चालू सीजन में अभी वापसी की कोई संभावना नहीं दिख रही है और बारिश अक्टूबर तक बढ़ सकती है।

यह लगातार 13वां ऐसा साल है, जब मॉनसून की वापसी देरी से हो रही है। हालांकि 21 सितंबर को मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने संकेत दिया कि मॉनसून की वापसी पूर्वानुमान अवधि (21 से 27 सितंबर) के अंत तक मॉनसून की वापसी शुरू हो सकती है।  

जहां तक मॉनसून अवधि के दौरान बारिश की स्थिति की बात है तो अनुमान लगाया जा रहा है कि 30 सितंबर 2023 तक देश में सामान्य से कम (90 से 95 प्रतिशत) बारिश हो सकती है। मॉनसून सीजन (जून से सितंबर) के दौरान सामान्य यानी दीर्घ अवधि का औसत 868.8 मिमी है।  

यहां यह उल्लेखनीय है कि अक्टूबर में होने वाली बारिश को मॉनसूनी बारिश के रूप में गिना नहीं जाता है। 

आईएमडी के आंकड़े बताते हैं कि 21 सितंबर तक देश में कुल मिलाकर 7 प्रतिशत बारिश की कमी है, जबकि 36 प्रतिशत जिलों में या तो कम (सामान्य से 20 प्रतिशत से 59 प्रतिशत कम बारिश) या ज्यादा कम (सामान्य से 59 प्रतिशत से अधिक कम वर्षा) हुई है।

जर्मनी में पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च की जलवायु वैज्ञानिक एलेना सुरोव्याटकिना के पूर्वानुमान के अनुसार, उत्तर पश्चिम भारत से मॉनसून की वापसी 30 सितंबर से 9 अक्टूबर के बीच शुरू हो सकती है। इसका मतलब यह होगा कि देश के उत्तर-पश्चिम में मॉनसून की वापसी 13 से 22 दिन की देरी से होगी।

सुरोव्याटकिना भारत में तीन अलग-अलग स्थानों से मॉनसून की शुरुआत का पूर्वानुमान 40 दिन पहले घोषित करती हैं, जबकि मॉनसून की वापिसी का पूर्वानुमान 70 दिन पहले घोषित करती हैं। ये तीन स्थान हैं उत्तर पश्चिम भारत में दिल्ली, मध्य भारत और उत्तरी तेलंगाना। उनका पूर्वानुमान उत्तरी पाकिस्तान और मध्य भारत में मॉनसून के लिए तापमान बढ़ाने वाले तत्वों पर आधारित होता है।

लेकिन मौजूदा सीजन में भारत में मॉनसून प्रणाली की अस्थिरता और अगस्त में लंबी ब्रेक अवधि के कारण उन्होंने मॉनसून वापसी से संबंधित अपना पूर्वानुमान स्थगित कर दिया था और इसे 40 से 50 दिन पहले घोषित किया। 

नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंस और यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग, यूनाइटेड किंगडम के मौसम विज्ञान विभाग के शोध वैज्ञानिक अक्षय देवरस ने डाउन टू अर्थ को बताया, "पश्चिमी राजस्थान से वापसी 25 सितंबर के आसपास शुरू होगी।"

देवरस ने कहा कि हमें अभी तक नहीं पता कि आईएमडी इसकी घोषणा कब करेगा। वापसी शुरू होने के बाद, भारत के उत्तरी और उत्तर-मध्य भागों में इसके तेज होने की उम्मीद है। 

सुरोव्याटकिना का कहना है कि पूर्वी घाट से मॉनसून की वापसी अचानक नहीं होगी। इसकी शुरुआत अक्टूबर के पहले सप्ताह में होगी और आखिरी बारिश 7 अक्टूबर से 17 अक्टूबर के बीच होगी। उत्तरी तेलंगाना से मॉनसून 10 अक्टूबर से 20 अक्टूबर के बीच कभी भी विदा हो सकता है। अन्य विशेषज्ञ भी उनके आकलन से सहमत हैं।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बॉम्बे में जलवायु अध्ययन के प्रोफेसर और मैरीलैंड विश्वविद्यालय में एमेरिटस प्रोफेसर रघु मुर्तुगुड्डे ने डाउन टू अर्थ को बताया कि इस बार आर्कटिक समुद्री बर्फ को काफी  नुकसान हुआ है, जबकि उत्तरी गोलार्ध गर्म भी रहा - विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय अटलांटिक में। आईटीसीजेड को उत्तर की ओर खींच लिया गया है और अल नीनो पैटर्न पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग का संकेत है।

इंटरट्रॉपिकल कन्वर्जेंस जोन (आईटीसीजेड) हवाओं और वर्षा का बैंड है, जो पृथ्वी को प्रसारित करता है और जहां भूमध्य रेखा के उत्तर और दक्षिण से व्यापारिक हवाएं मिलती हैं। जब आईटीसीजेड उत्तर की ओर स्थानांतरित होता है तो भारतीय उपमहाद्वीप पर मॉनसून की शुरुआत होती है।

मुर्तुगुड्डे के अनुसार, ये सभी कारक मिलकर ऊपरी वायुमंडल के दबाव और अरब सागर से नमी की आपूर्ति के साथ मॉनसून ट्रफ और मॉनसून डिप्रेशन की गति को प्रभावित करते हैं।

मुर्तुगुड्डे का निष्कर्ष है कि मॉनसून अक्टूबर तक जारी रहेगा और बारिश के आंकड़ों में सुधार होगा। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा और उत्तर-पूर्व में बारिश की कमी दूर होगी।  

वहीं देवरस कहते हैं कि सितंबर के शेष दिनों में बारिश का पैटर्न देश के पूर्वी, मध्य और दक्षिणी हिस्सों में गरज के साथ हावी रहेगा। इस अवधि में सामान्य से बहुत अधिक बारिश होने की उम्मीद नहीं है। 

देवरस का निष्कर्ष है कि 1 जून से 30 सितंबर तक की बारिश दीर्घकालिक औसत से कम रहेगी, हालांकि पूरी संभावना है कि इस सीजन में बारिश सामान्य से कम होगी। 

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