नमी बढ़ा रही है शहरी जलवायु में गर्मी का भीषण प्रकोप : अध्ययन

दुनिया की 55 फीसदी आबादी शहरों में रहती है और 2050 तक इस संख्या के 80 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है
फोटो साभार :आई-स्टॉक
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दुनिया भर में जैसे-जैसे तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रहा है, शहरी इलाकों में गर्मी के तनाव में वृद्धि हो रही है। शहर आमतौर पर अपने निकटवर्ती ग्रामीण इलाकों की तुलना में अधिक गर्म और शुष्क होते हैं। लेकिन ग्लोबल साउथ में, एक अतिरिक्त जटिल कारण शहरी नमी की वजह से होने वाली गर्मी है।

एक नए अध्ययन ने तापमान के आंकड़े और शहरी जलवायु मॉडल का उपयोग करके शहरी गर्मी के तनाव पर तापमान और नमी दोनों के एक साथ प्रभाव का पता लगाया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्मी का प्रकोप स्थानीय जलवायु पर निर्भर है और नमी का प्रभाव पेड़ों और वनस्पतियों से आने वाली ठंडी हवाओं से मिलने वाले  फायदों को मिटा सकता है। यह अध्ययन येल स्कूल के पर्यावरण वैज्ञानिकों की अगुवाई में किया गया है।

मौसम विज्ञान के प्रोफेसर जुहुई ली कहते हैं कि, शहरों के चारो और से घिरे होने जिसे अर्बन हीट आइलैंड फेनोमेना कहते हैं, जिसके कारण शहर में रहने वालों को सामान्य आबादी की तुलना में गर्मी का अधिक प्रकोप झेलना पड़ता है। यह बात अभी भी अधूरी है क्योंकि यह अर्बन हीट आइलैंड फेनोमेना नामक एक और सर्वव्यापी शहरी माइक्रोक्लाइमेट नामक घटना के कारण होता है। शहरी भूमि आसपास की ग्रामीण भूमि की तुलना में कम नम होती है। 

यहां बताते चले कि, अर्बन हीट आइलैंड फेनोमेना, वह शहरी क्षेत्र है जो मानवीय गतिविधियों के कारण अपने आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में काफी गर्म होता है।

ली ने कहा, शुष्क, समशीतोष्ण और बोरियल जलवायु में, शहरी निवासी वास्तव में ग्रामीण निवासियों की तुलना में गर्मी से कम तनावग्रस्त होते हैं। लेकिन नम ग्लोबल साउथ में, अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव प्रमुख है, जिसके कारण गर्मियों के हर मौसम में दो से छह अतिरिक्त भीषण गर्मी वाले दिन होते हैं।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा कई कारणों से इस मुद्दे की जांच करना अहम था, क्योंकि दुनिया भर की आबादी का एक बड़ा हिस्सा शहरी क्षेत्रों में रहता है। शहरी बस्तियों में बहुत से लोगों की एयर कंडीशनिंग तक पहुंच नहीं है।

जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है और अधिक लोग शहरों में चले जाते हैं, समस्या और भी बदतर होती जा रही है। विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, लगभग 4.3 अरब लोग या दुनिया की 55 फीसदी आबादी, शहरी व्यवस्था में रहते हैं और 2050 तक यह संख्या के 80 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है।

शोधकर्ताओं ने एक सैद्धांतिक ढांचा विकसित किया कि कैसे शहरी भूमि हवा के तापमान और हवा की नमी दोनों को बदलती है। उन्होंने दिखाया कि इन दो प्रभावों में गर्मी के प्रकोप का समान प्रभाव  होता है, जिसे वेट-बल्ब तापमान द्वारा मापा जाता है, अन्य ताप सूचकांकों के विपरीत, जो तापमान को नमी की तुलना में अधिक महत्व देते हैं। वेट-बल्ब तापमान नमी वाली गर्मी को मापने के लिए शुष्क हवा के तापमान को नमी के साथ जोड़ता है। 

ली कहते हैं कि, वनस्पति पानी के वाष्पीकरण के माध्यम से हवा के तापमान को कम कर सकती है, लेकिन यह हवा की नमी के कारण गर्मी के प्रभाव को भी बढ़ा सकती है। सवाल यह है कि यह आर्द्रीकरण प्रभाव किस हद तक तापमान में कमी से उत्पन्न होने वाले ठंडे को मिटा देता है।

अध्ययन में जहां शहरी ग्रीनस्पेस या घने पेड़ों से घिरे इलाकों और उसके निकट वाले इलाके का नमी वाले तापमान की अवलोकनों से तुलना की गई है।

झांग ने कहा उन्हें उम्मीद है कि अध्ययन से इस बात पर और शोध किए जाएंगे कि शहरी गर्मी के कहर को कैसे कम किया जा सकता है।

शहरी वेट-बल्ब द्वीप पर हमारे विश्लेषण में पाया गया कि शहरी गर्मी और पानी को नष्ट करने में दक्षता को बढ़ाने और रात में गर्मी के जमा होने को कम करने से क्रमशः दिन और रात की शहरी नमी वाली गर्मी कम हो सकती है।

उन्होंने उम्मीद जताई की यह अध्ययन गर्मी से बेहतर आराम के लिए शहरी आकार और सामग्रियों को अनुकूलित करने के लिए और अधिक शोधों के द्वार खोलेगा। यह अध्ययन नेचर नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

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