इस मॉनसून में आकाशीय बिजली ने ली 1311 लोगों की जान, 66 लाख बार गिरी बिजली

एक अध्ययन रिपोर्ट बताती है कि पिछले तीन साल के दौरान बिजली गिरने की घटनाओं में 1000 गुणा वृद्धि हुई है और इसकी वजह जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम में आया बदलाव है
Photo: Wikipedia
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देश में पहली बार आकाशीय बिजली चमकने की घटना और उससे पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर एक रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में अप्रैल 2019 से जुलाई 2019 तक, चार महीनों में 65.55 लाख बार आकाशीय बिजली गिरने की घटना हुई है, जिसने कई स्थानों पर तबाही मचाई है। इन घटनाओं में कुल 1311 लोगों की मौत हुई है और तकरीबन इसके दोगुने लोग घायल हुए हैं। इस चार महीने की अवधि के दौरान भारत में  23.53 लाख (36 प्रतिशत) घटनाएं क्लाउड-टू-ग्राउंड लाइटनिंग की है। यानि बिजली का चमकने के साथ धरती से संपर्क भी हुआ और इस दौरान इसके बीच आने वाले पेड़-पौधे, जानवर और इंसान को नुकसान होने की आशंका सबसे अधिक थी।

रिपोर्ट तैयार करने वाली संस्था क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जर्विंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल के मुताबिक यह रिपोर्ट मौसम विभाग के आकाशीय बिजली की जानकारी देने वाले सेंसर के अलावा इसरो के सैटेलाइट और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मैनेजमेंट पुणे जैसी कई संस्थाओं के आंकड़ों का विश्लेषण के बाद सामने आई है। रिपोर्ट में मौत का आंकड़ा राज्य सरकार के द्वारा दिए गए आंकड़ों और मीडिया रिपोर्ट्स के संकलन के बाद तैयार किया गया है।

यह रिपोर्ट कहती है कि ओडिसा में सबसे अधिक बार 9 लाख से अधिक बिजली गिरने की घटना सामने आई हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक में इस दौरान 6 लाख से अधिक बार बिजली चमकी और ये राज्य दूसरे और तीसरे स्थान पर आते हैं। आकाशीय बिजली चमकने की संख्या के मामले में मध्यप्रदेश 4,81,721 की संख्या के साथ देश में चौथे स्थान पर है। हालांकि मध्यप्रदेश में मॉनसून जुलाई के बाद भी रहा और यहां मौत का आंकड़ा बढ़ने की आशंका है। देश में सबसे कम बिजली चमकने की घटना जम्मूकश्मीर में दर्ज की गई और यह 20 हजार से कुछ अधिक संख्या के साथ सबसे निचले स्थान पर है।

क्यो महत्वपूर्ण है यह रिपोर्ट

मौसम विभाग ने इसी वर्ष बिजली चमकने और गिरने की घटनाओं को होने से कुछ घंटे पहले ही इसके लिए चेतावनी देने का सिस्टम बनाया है। इसे नाउ-कास्ट वार्निंग के नाम से शुरू किया गया है। यह रिपोर्ट एक डेटाबेस बनाने के प्रयास का एक हिस्सा है जो आकाशीय बिजली के गिरने के संबंध में एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने, जागरूकता फैलाने और इससे होने वाली मौतों को रोकने में मदद कर सकता है। एक अनुमान के मुताबिक देश में हर साल 2,000 से 2,500 लोग इन घटनाओं के कारण मौत के शिकार हो जाते हैं। अगर इसकी जानकारी पहले से हो तो सावधानी बरतकर नुकसान को कम किया जा सकता है।

आकाशीय बिजली गिरने की दर बढ़ी, क्लाइमेंट चेंज जिम्मेदार

इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में तकरीबन 3 हजार लोगों ने आकाशीय बिजली की चपेट में आकर अपनी जान गंवाई थी। वैज्ञानिक यह भी अनुमान लगा रहे हैं कि बीते तीन वर्ष में बिजली गिरने की घटनाओं में 1 हजार गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक अत्यधिक गर्मी पड़ने के बाद और देरी से मॉनसून आने की वजह से यह घटनाएं बढ़ी रही है। सूखे के बाद अत्यधिक बारिश इसकी एक बड़ी वजह है।  रिपोर्ट में पाया गया है कि इन घटनाओं की वजह से झारखंड, ओडिसा और पश्चिम बंगाल के आदिवासी समुदाय बिरहोर, पहाड़िया, हो और हमर पर इसका काफी असर हो रहा है और उन्हें इस आपदा से जागरूक करने की जरूरत है। ग्रामीण इलाकों में यह देखा गया है कि बारिश में लोग पेड़ों के नीचे शरण लेते हैं, जो कि गलत है। इस तरह वे बिजली की चपेट में आ जाते हैं।

बिजली गिरने और मौत के अनुपात में उत्तरप्रदेश सबसे आगे

राज्य- बिजली गिरने की संख्या- मौत

उत्तरप्रदेश- 322886- 224

बिहार- 225508- 170

ओडिसा- 900296- 129

झारखंड- 453110 -118

मध्यप्रदेश- 481720- 102

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