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लू के कारण हो सकता है फसलों को 10 गुना अधिक नुकसान

शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के 37 वर्षों के डेटासेट का विश्लेषण किया और पाया कि जितना सोचा गया था हीट वेव से कृषि को उससे भी अधिक नुकसान हुआ है
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जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ते तापमान से न केवल अर्थव्यवस्थाओं के प्रभावित होने के आसार हैं, बल्कि लू (हीट वेव) जैसी चरम घटनाओं में वृद्धि के कारण फसलों को भी भारी नुकसान हो सकता है।

कोलोराडो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की अगुवाई में किए गए एक शोध में पाया गया है कि लू के समय के साथ-साथ लगातार और तीव्र होने की आशंका है। शोधकर्ताओं ने बताया कि पहले जितना अनुमान लगाया गया था उसकी तुलना में यह फसलों को 10 गुना अधिक नुकसान पहुंचा जा सकता है। 

शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के 1979 से 2016 के डेटासेट का विश्लेषण किया और पाया कि जितना सोचा गया था लू से कृषि को उससे भी अधिक नुकसान हुआ है।

टीम ने असामान्य रूप से पड़ रही भयंकर गर्मी की अवधि और व्यापकता की पहचान करके आंकड़ों का विश्लेषण किया। इस पद्धति का उपयोग करते हुए, टीम को इस बात के सबूत मिले कि अत्यधिक गर्मी के लगातार बढ़ते दिनों का फसलों पर बुरा असर पड़ता है, जिसके लिए केवल बढ़ता तापमान जिम्मेवार है।

इस शोध में कोलोराडो विश्वविद्यालय में पर्यावरण अध्ययन के सहायक प्रोफेसर स्टीव मिलर प्रमुख शोधकर्ता हैं। उनके साथी अर्थशास्त्री जे. कॉगिन्स और केएन चुआ मिनेसोटा विश्वविद्यालय से हैं और विस्कॉन्सिन-मिल्वौकी विश्वविद्यालय से हामिद मोहतादी ने इसमें अहम भूमिका निभाई है।

हीट वेव से किस तरह होगा फसलों को नुकसान

स्टीव मिलर ने बताया कि हमारी फसलें हर साल बढ़ते तापमान के दौर से गुजरती हैं, तापमान की बढ़ती श्रृंखलाओं में से कुछ हानिकारक होती हैं। जब हम तापमान का एक औसत लेते हैं, तो हम उन सभी तापमानों को संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं। ऐसा करने से हो सकता है कुछ जानकारियों का नुकसान हो जाए जो फसल के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकती है।

साल भर के दौरान कुछ दिनों में भयंकर गर्मी पड़ती है। उन दिनों को हीट वेव के रूप में देखा जा सकता है या नहीं। इस सबके बारे में जानने से पहले हम सबसे पहले गर्मी से पड़ने वाले प्रभाव का एक सूचकांक बनाते हैं, जिसमें रोजमर्रा के तापमान को कुछ सरल मॉडलों के साथ जोड़ा जाता है कि कैसे गर्मी का प्रभाव असामान्य रूप से बढ़ सकता है और ठंडे़ दिनों में इससे राहत मिल सकती है।

उन्होंने आगे बताया कि हम दूसरे तरीके में ऐतिहासिक आंकड़ों का उपयोग करते हुए, यह पता लगाते हैं कि क्या कृषि उत्पादन में हो रही वृद्धि कुछ सालों के दौरान घट रही है, जिसमें पाया गया कि इन सालों में गर्मी लंबे समय तक पड़ी थी, यह सिलसिला उन वर्षों में बार-बार चलता रहा।

अंत में, हम उस अनुमानित ऐतिहासिक संबंध का उपयोग जलवायु मॉडल के साथ करते हैं ताकि यह अनुमान लगाया जा सके कि कृषि के लिए भविष्य में हीट वेव क्या कर सकती हैं। यह शोध जर्नल ऑफ द यूरोपियन इकोनॉमिक में प्रकाशित हुआ है।

जलवायु अनुकूलन से कम किया जा सकता है फसलों को होने वाला नुकसान

स्टीव मिलर ने कहा निश्चित रूप से कुछ संभावनाएं हैं जिसमें धीरे-धरे हमें बढ़ती गर्मी के अनुसार चीजों को ढ़ालना होगा। हमें फसलों की ऐसी किस्मों को विकसित करना होगा जो गर्मी को सहन कर सकें, फसलों को पूरी तरह से बदलना होगा, सिंचाई को अधिक प्रभावी बनाना आदि के जरिए हीट वेव जैसी घटनाओं के प्रभावों को कम किया जा सकता है।

किसानों को आर्थिक प्रोत्साहन देना, यदि किसान हीट वेव के विनाशकारी परिणामों के खिलाफ बीमा करते हैं, तो वे बदलते तरीकों या नई तकनीकों को बेकार मान सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि बीमा खराब है, इसके अलावा भी इन सबसे निपटने के लिए हमें नए तरीकों को अपनाना होगा।

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