पूजा यादव
मध्यप्रदेश में मॉनसून के पहले महीने में सामान्य से कम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। जिन किसानों ने जून के पहले हफ्ते में खरीफ की बुवाई कर दी थी, उनकी फसल सूख रही है। जिन्होंने बारिश के इंतजार में सूखे खेत में बुवाई की थी उनके खेत में बीज खराब हो रहा है। ऐसे किसान कर्ज लेकर दोबारा बुवाई कर रहे हैं। जिन किसानों ने अब तक बुवाई नहीं की है, वे भी चिंतित है। इनका कहना है कि यदि लगातार बारिश होने लगी और बुवाई का समय नहीं मिला तो उनके खेत खाली रह जाएंगे।
मौसम विभाग के मुताबिक मध्यप्रदेश में 28 जून तक 116 मिमी बारिश होनी थी, लेकिन 89 मिमी ही हुई है जो सामान्य से 23 प्रतिशत कम है। बीते वर्ष इस अवधि तक 100 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई थी। इधर, मानसून के आने की घोषणा को हुए 8 दिन बीत रहे हैं। असामान्य बारिश ने किसानों का पूरा गणित बिगाड़ दिया है। कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां रह—रहकर हल्की बारिश हो रही है जिसके कारण फसलें प्रभावित नहीं है।
बैतूल के आठनेर टिमरने के लिए रहने वाले किसान गुलाब राव कापसे बताते हैं कि उन्होंने 8 से 12 जून के बीच 9 एकड़ खेत में तीन क्विंटल सोयाबीन बीज बोया था, जो खराब हो गया है। यह बीज 49 हजार का था। डीजल पर 10 हजार रुपये खर्च हुए हैं व मजदूरी 1800 रुपये लगी है। घर के सदस्यों ने अलग मेहनत की थी। इस तरह बाहर का खर्च और घर के सदस्यों की मजदूरी मिलाकर करीब एक लाख रुपये का खर्चा आया था। बीज नहीं उगा इसलिए कर्ज लेकर 27 जून को दोबारा बुवाई की है। इस बार आधे खेत में मक्का व बाकी में सोयाबीन की बुवाई की है। किसान गुलाब राव कापसे बताते हैं कि इसके लिए एक रिश्तेदार से 35 हजार रुपये कर्ज लिया है।
हरदा के चारखेड़ा गांव के किसान बंसत कुमार बताते हैं कि उनके पास 20 एकड़ जमीन है। 10 एकड़ में सोयाबीन व 10 एकड़ में मूंगफली लगाई है। बुवाई 20 जून को की है। फसल पतली उगी है। यदि दो दिन के भीतर बारिश नहीं हुई तो दोबारा बुवाई करनी पड़ सकती है। वह बताते हैं कि प्रति एकड़ करीब 15 हजार रुपये खर्च हुए हैं। क्षेत्र में दूसरे किसानों की फसलें तो खराब हो चुकी है।
बड़वानी के किसान राजा मंडलोई कहते हैं कि उनके क्षेत्र में असामान्य बारिश हो रही है। जिन किसानों के पास सिंचाई साधन हैं उन्होंने समय पर कपास लगा ली है। जिनके पास पानी नहीं है वे अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं। वह बताते हैं कि 50 प्रतिशत बुवाई का काम बचा हुआ है। वह इस बात से चिंतित है कि यदि अच्छी बारिश को शुरू होने में और देरी हुई तो फसल चक्र प्रभावित होगा और रबी सीजन की फसल पर असर पड़ेगा।
नर्मदापुरम की डोलरिया तहसील के बैराखेड़ी में रहने वाले किसान सुरेंद्र राजपूत बताते हैं कि उन्होंने 18 एकड़ खेत में धान की बुवाई की है। प्रति एकड़ 1700 रुपये का बीज, 1350 रुपये की डीएपी, 1500 रुपये डीजल खर्च और 1200 रुपये मजदूरी पर खर्च हुए हैं। एक हफ्ते से बारिश नहीं हो रही है, धान के कुछ बीज उग चुके हैं और कुछ नहीं उगें है। खाद मिलाकर बुवाई की है इसलिए बीज खराब होने का भय है।
छतरपुर के किसान जगदीश सिंह का कहना है कि उनके जिले में हल्की बारिश हुई है। अभी जमीन में पर्याप्त नमी नहीं हुई है। फसल की बुवाई करने जैसी स्थिति ही नहीं है इसलिए इंतजार कर रहे हैं। वह चिंता जताते हैं कि खरीफ फसल की बुवाई में देरी हो रही है। जिन किसानों के पास रबी पफसल की बुवाई के लिए सिंचाई का साधन नहीं होता है उन्हें नुकसान हेागा। क्योंकि अभी देरी से बुवाई करेंगे तो देरी से फसल आएगी। तब तक रबी सीजन की चना, गेहूं, सरसों की फसलों की बुवाई करने में पिछड़ जाएंगे।
मप्र में बीते वर्षों में कब—कब आया मानूसन
वर्ष———— मानूसन आने की तारीख
2016———21 जून
2017———26 जून
2018———27 जून
2019———28 जून
2020———15 जून
2021———11 जून
2022———20 जून
मप्र में 25 जून तक खरीफ बुवाई की स्थिति
मध्य प्रदेश में सामान्यत: 139 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बुवाई होती है, लेकिन पिछले साल 145.18 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी, यही वजह है कि इस साल 147.75 लाख हेक्टेयर रकबे में बुवाई का लक्ष्य रखा गया है। 25 जून 2022 तक राज्य में 9.14 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछले साल यानी 2021 में 12.73 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।