विश्व जल दिवस: अभी भी साफ और सुरक्षित पानी से वंचित हैं पाकिस्तान में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के एक करोड़ लोग

पाकिस्तान में एक करोड़ से ज्यादा लोग बाढ़ के छह महीने बाद अभी भी साफ और सुरक्षित पानी से वंचित हैं
पाकिस्तान के लरकाना में यूनिसेफ द्वारा स्थापित वॉटरपॉइंट से पानी पीता पांच वर्षीय नाहिद; फोटो: असद जैदी/ यूनिसेफ
पाकिस्तान के लरकाना में यूनिसेफ द्वारा स्थापित वॉटरपॉइंट से पानी पीता पांच वर्षीय नाहिद; फोटो: असद जैदी/ यूनिसेफ
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नाहिद उन लाखों बाढ़ प्रभावित बच्चों में से एक है, जिन्हें यूनिसेफ वॉटरपॉइंट से साफ पानी मिल रहा है, लेकिन पाकिस्तान में हर बच्चा इतना खुशकिस्मत नहीं है। आज भी पाकिस्तान में करोड़ों लोगों के लिए सुरक्षित और साफ पानी उपलब्ध नहीं है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एक करोड़ से भी ज्यादा लोग साफ और सुरक्षित पानी से वंचित हैं। इनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं।

 गौरतलब है कि करीब छह महीने पहले पाकिस्तान में आई बाढ़ ने इस कदर तबाही मचाई थी कि वहां जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पाकिस्तान में आई इस भीषण बाढ़ से करीब तीन-चौथाई जिले प्रभावित हुए थे। इस बाढ़ ने तीन करोड़ से ज्यादा लोगों के जीवन पर असर डाला था। गौरतलब है कि इस भीषण बाढ़ में पाकिस्तान का करीब-करीब एक तिहाई हिस्सा पानी में डूब गया था।

यूनीसेफ ने आगाह किया है कि वहां जो बच्चे दूषित जल को उपयोग करने को मजबूर हैं और उन्हें तत्काल समर्थन की जरूरत है। साफ और स्वच्छ जल के बारे में पाकिस्तान में यूनीसेफ के प्रतिनिधि अब्दुल्ला फादिल का कहना है कि, "सुरक्षित पानी कोई विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि यह तो हर किसी का एक बुनियादी मानवाधिकार है।"

उनका आगे कहना है कि इसके बावजूद पाकिस्तान में हर रोज लाखों बच्चे बिना आश्रय के पानी से होने वाली बीमारियों के साए में जीने को मजबूर हैं। साथ ही वो कुपोषण के खिलाफ हारी हुई जंग लड़ रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जुलाई से अगस्त 2022 के बीच मानसून के दौरान हुई मूसलाधार बारिश के बाद है निष्ठुर बाढ़ ने तीन करोड़ से ज्यादा लोगों का जीवन प्रभावित किया था।

पाकिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक इस बाढ़ में अब तक 1,739 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 12,867 लोग इसमें अब तक घायल हो चुके हैं। इस आपदा में 13,115 किलोमीटर लंबी सड़कें, 439 पुल और करीब 22.9 लाख घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। वहीं किसानों को भी इससे भारी नुकसान पहुंचा है। पता चला है कि इस आपदा में 11,64,270 मवेशी मारे जा चुके हैं। इस आपदा में 80 लाख लोग विस्थापित हुए हैं।

हैजा, डेंगू, दस्त और मलेरिया जैसी बीमारियां पसार रही हैं पैर

यूनीसेफ ने चेतावनी जारी की है कि साफ पानी और शौचालयों तक सीमित पहुंच के साथ जगह-जगह जमा दूषित पानी अनगिनत बीमारियों के प्रसार का कारण बन रहा है। इससे हैजा, दस्त, डेंगू और मलेरिया जैसी अनगिनत बीमारियां पैर पसार रही हैं।

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक पाकिस्तान में शौचालयों की कमी, स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। विशेष रूप से यह बच्चों, किशोरियों और महिलाओं को कहीं ज्यादा प्रभावित कर रहा है, जिन्हें शौचालयों की कमी के चलते खुले में शौच के लिए जाने पर मजबूर होना पड़ता है।

साफ पानी और स्वच्छता का आभाव एक और बड़ी समस्या को न्यौता दे रहा है और वो समस्या है कुपोषण। यूनिसेफ के मुताबिक वैश्विक स्तर पर जितने बच्चों की मौत होती है उसके एक तिहाई मामले कुपोषण से जुड़े होते हैं। देखा जाए तो कुपोषण के ज्यादातर मामले पोषक तत्वों की कमी के साथ-साथ साफ पानी और  स्वच्छता की कमी के कारण होने वाले संक्रमण से भी जुड़े होते हैं।

आंकड़े दर्शाते हैं कि पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 15 लाख से ज्यादा बच्चे-बच्चियां पहले ही कुपोषण से गंभीर रूप से पीड़ित हैं। वहीं यूनीसेफ को इस बात की आशंका है कि यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। पाकिस्तान में बच्चो के स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़े दर्शाते हैं कि वहां बच्चों की होने वाली मृत्यु के कुल मामलों में से करीब आधे कुपोषण से सम्बंधित हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और यूएन वाटर द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट “ग्लोबल एनालिसिस एंड असेसमेंट ऑफ सैनिटेशन एंड ड्रिंकिंग वाटर (ग्लास) 2022” से पता चला है कि यह समस्या केवल पाकिस्तान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक समस्या है। रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक केवल एक-चौथाई देश ही साफ-सफाई के लिए तय लक्ष्यों को हासिल कर पाएंगे। वहीं 55 फीसदी देश ऐसे हैं जो दशक के अंत तक साफ पानी जैसे अहम मुद्दे के लक्ष्य को हासिल करने के ढर्रे पर भी नहीं हैं।

रिपोर्ट में जो आंकड़े साझा किए हैं उनके अनुसार 75 फीसदी से ज्यादा देशों के पास पानी और साफ-सफाई जैसे अहम मुद्दे से जुड़ी योजनाओं और रणनीतियों को लागू करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है।

इस बारे में डब्लूएचओ के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस का कहना है कि, "हम एक तात्कालिक संकट का सामना कर रहे हैं। साफ पानी, स्वच्छता और साफ-सफाई तक सीमित पहुंच के चलते हर साल लाखों लोगों की जान चली जाती है।”

ऐसे में यह जरूरी है कि जल संसाधनों का उचित प्रबंधन किया जाए जिससे ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो। साथ ही प्रभावित लोगों तक जरूरी बुनियादी सुविधाओं की पहुंच भी जरूरी है। साफ, सुरक्षित पानी और स्वच्छता ऐसी ही कुछ बुनियादी जरूरते हैं, जिनपर ध्यान देने जरूरी है।   

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