बारिश के पानी को संजोने के लिए असोला वन्यजीव अभ्यारण्य में किया जा रहा है जल निकायों का विकास: सीपीसीबी

इन जल निकायों का उद्देश्य बारिश के पानी को एकत्र करना और भूजल को फिर से रिचार्ज करना है
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने अपनी नई रिपोर्ट में जानकारी दी है कि असोला वन्यजीव अभ्यारण्य में बारिश की बूंदों को संजोने और भूजल के रिचार्ज के लिए दस जल निकायों का विकास किया जा रहा है। गौरतलब है कि दिल्ली के असोला वन्यजीव अभ्यारण्य में दस जल निकायों को विकसित करने की परियोजना वन और वन्यजीव विभाग (दक्षिण) द्वारा शुरू की गई थी।

इस बारे में 10 नवंबर, 2023 को हुई जिला स्तरीय सलाहकार समिति (डीएलएसी) की बैठक में फैसला लिया गया था। इस बैठक की सिफारिश के आधार पर यह परियोजना शुरू की गई। यह बैठक दक्षिणी दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में हुई थी।

बैठक में बारिश के पानी को संजोने और भूजल के रिचार्ज की मदद से भूजल के स्तर में सुधार लाने की बात कही गई थी, ताकि जिन क्षेत्रों में भूजल का स्तर नीचे है, उसमें सुधार किया जा सके।

कितना पूरा हो चुका है इस दिशा में काम

इस रिपोर्ट के मुताबिक डीसीएफ साउथ ने मैदान गढ़ी, साहूपुर और सतबारी में दस नए जल निकायों के निर्माण की पहल की है, क्योंकि पिछले दस वर्षों में वहां भूजल का स्तर गिरता जा रहा है। इस बारे में दक्षिणी दिल्ली के वन एवं वन्यजीव विभाग के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श और क्षेत्र की जांच करने के बाद, सीपीसीबी ने रिपोर्ट में कहा है कि इन नए जल निकायों का उद्देश्य बारिश के पानी को एकत्र करना और भूजल को फिर से रिचार्ज करना है।

रिपोर्ट से पता चला है कि डिजिटल एलिवेशन मॉडल में पहचाने गए निचले क्षेत्रों के आधार पर इन दस जल निकायों का स्थान निर्धारित किया गया है। वन एवं वन्यजीव विभाग ने इन जल निकायों को केवल बारिश की बूंदों को संजोने के लिए विकसित किया है। जानकारी दी गई है कि इन सभी दस जल निकायों को भरने के लिए केवल बारिश के पानी का उपयोग किया जाएगा, और इसको भरने के लिए कृत्रिम रूप से पुनर्भरण नहीं किया जाएगा।

साथ ही, इन दसों जल निकायों के निर्माण के लिए कंक्रीट का उपयोग नहीं किया जाएगा। इसके बजाय किनारों को सहारा देने के लिए पत्थरों का उपयोग करेंगे, साथ ही इनके चारों ओर घास और झाड़ियां लगाई जाएंगी।

सीपीसीबी ने 23 अगस्त, 2024 को सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि सभी दस जल निकायों के आसपास ड्रेजिंग, तटबंध बनाने और वृक्षारोपण जैसी गतिविधियों का काम पूरा हो गया है। इनमें से पांच जल निकायों में स्थिरीकरण के लिए दूब घास और झाड़ियां लगाई गई हैं। हालांकि अभी भी किनारों पर पत्थर लगाने और उन चैनलों को साफ करने की जरूरत है, जो सभी दस जल निकायों में पानी लाते हैं।

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