क्रिकेट मैदानों के लिए बढ़ते भूजल के उपयोग पर एनजीटी ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें पानी बचाने के लिए हर संभव उपाय किए जाने के लिए कहा है| एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ नागिन नंदा की पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि पीने के पानी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना जरुरी है।
क्रिकेट या अन्य मैदानों के लिए जहां तक संभव हो, वेस्ट वाटर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए| साथ ही पानी की गुणवत्ता का भी ध्यान रखा जाना चाहिए| यह भी सुनिश्चित किया जाए कि उस पानी में किसी तरह के कोई रोगजनक और आक्रामक घटक न हों। इसके साथ ही उन्होंने अनिवार्य रूप से वर्षा जल संचयन करने का आदेश दिया है।
कोर्ट के सामने यह मामला आवेदक हैदर अली ने उठाया था| जिसमें उन्होंने भारतीय प्रीमियम लीग (आईपीएल) के क्रिकेट मैचों पर सवाल उठाए थे| उनके अनुसार यह मैच जल संरक्षण की चिंता किए बिना आयोजित किए जाते हैं| गौरतलब है कि यह मैच भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा वाणिज्यिक और मनोरंजन उद्देश्यों के लिए आयोजित किए जाते हैं|
क्या था पूरा मामला
उनकी शिकायत थी कि क्रिकेट मैदानो के रखरखाव के लिए वेस्ट वाटर की जगह भूजल का इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि इन मैदानों पर भूजल के स्तर में वृद्धि करने और उनके पुनर्भरण के लिए बारिश के पानी के संचयन की व्यवस्था नहीं की गई है| जिसकी वजह से आम लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है|
इस मामले में एनजीटी ने जल शक्ति मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया है कि वो एक महीने के भीतर एक संयुक्त बैठक आयोजित करें| जिसमें खेल मंत्रालय, बीसीसीआई और सीपीसीबी के प्रतिनिधि आपस में क्रिकेट मैदानों के रखरखाव के लिए भूजल के उपयोग और उससे जुड़े नियमों के मुद्दों पर विचार करें| इसमें निम्नलिखित मुद्दों को शामिल करने के लिए कहा गया है:
जल संकट एक ऐसी समस्या है जो साल दर साल बढ़ती ही जा रही है| इसपर यदि हमने आज ध्यान न दिया तो यह आने वाले वक्त में गंभीर रूप ले लेगी| ऐसे में जल प्रबंधन, बचाव और वर्षा जल संचयन के हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए|