डाउन टू अर्थ हिंदी मासिक पत्रिका की सितंबर माह की आवरण कथा देश के उन झीलों-तालाबों पर केंद्रित थी, जिन्हें लोगों ने सरकार व स्वयंसेवी संगठनों के साथ मिलकर पुनर्जीवन दिया। इन्हें वेबसाइट पर क्रमवार प्रकाशित किया जा रहा है। पहली कड़ी यहां पढ़ें अब तक कई कहानी प्रकाशित हो चुकी है। आज पढ़ें
2015 की विनाशकारी बाढ़ ने तमिलनाडु में बड़ी तबाही मचाई थी। इस बाढ़ से वहां के जल निकायों को भी भारी नुकसान पहुंचा था। तिरुवल्लूर जिले के थेरवॉय कांडिगई चित्तेरी गांव का इकलौता सिंचाई टैंक भी इस बाढ़ की चपेट में आ गया था।
बाढ़ से टैंक के तटबंधों को नुकसान पहुंचा, इसमें मलबा भर गया, जिससे इसकी प्राकृतिक संरचना बिगड़ गई, पानी की आवाजाही के रास्ते अवरुद्ध हो गए। तमिलनाडु सिंचित कृषि आधुनिकीकरण परियोजना (टीएनआईएएमपी) के तहत तालाबों के कायाकल्प का काम शुरू हुआ।
2021-22 में थेरवॉय कांडिगई चित्तेरी गांव के तालाब के साथ ही गुम्मिदीपोंडी सब-बेसिन के 21 दूसरे तालाबों को इसके लिए चुना गया। थेरवॉय कांडिगई चित्तेरी वाटर यूजर्स असोसिएशन की स्थापना के साथ इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई। जीर्णोद्धार से जुड़े कामों की निगरानी के लिए स्थानीय किसान भी इसमें शामिल हुए।
इसके बाद जल संसाधन, कृषि और बागवानी सहित जिले के कई विभागों ने असोसिएशन और तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर सर्वेक्षण किया।
जुलाई 2022 में जल संसाधन विभाग ने टैंक और फीडर चैनल से 1,000 मीटर गाद निकालने का काम शुरू किया। बांध को मजबूत करने के लिए उसे फिर से तैयार किया गया। पानी के प्रवाह और स्तर को कंट्रोल करने वाले स्लुइस और वियर गेटों की मरम्मत की गई। इनलेट और आउटलेट चैनलों की सफाई की गई। इन कामों पर कुल 17.45 लाख रुपए खर्च हुए। सितंबर 2023 में जीर्णोद्धार पूरा हुआ। पानी से लबालब हुए तालाब का वहां की खेती पर बहुत असर पड़ा है। वहां पहले केवल 29.23 हेक्टेयर भूमि पूरी तरह से सिंचित थी, जबकि 7.3 हेक्टेयर जमीन आंशिक रूप से सिंचित थी। करीब 9.15 हेक्टेयर जमीन सिंचाई के लिए पूरी तरह से बारिश पर निर्भर थी। अब गांव की पूरी 45.68 हेक्टेयर भूमि सिंचित है। सिंचाई व्यवस्था में हुए सुधार से अब वहां कुछ किसान साल में 2 बार धान उगा सकते हैं, जबकि पहले वे साल में सिर्फ एक बार ही धान की खेती कर पाते थे। इन तालाबों में मछली पालन का काम भी हो पा रहा है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मत्स्य विभाग की सलाह से असोसिएशन को मछली पकड़ने के ठेके देता है। पीडब्ल्यूडी इससे जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल तालाब के रखरखाव के लिए करता है।