नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली जल बोर्ड को शाहदरा में 13 पार्कों के रखरखाव के लिए दूषित पानी को साफ करने के बाद (ट्रीटेड एफ्लुएंट) की आपूर्ति करने को कहा है। 22 मई, 2024 को ट्रिब्यूनल द्वारा दिए निर्देश के मुतबिक पेड़ पौधों को बचाने की यह एक अंतरिम व्यवस्था है, जो तब तक जारी रहेगी जब तक दिल्ली जल बोर्ड संबंधित अधिकारियों या एजेंसियों के परामर्श से एक परियोजना पूरी नहीं कर लेता।
इस बीच, दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के एसटीपी से उपचारित पानी लाने और पार्कों में सिंचाई के लिए नगर निगम को टैंकरों का उपयोग करने को कहा गया है। साथ ही अदालत ने दिल्ली जल बोर्ड को संबंधित अधिकारियों या एजेंसियों के परामर्श से इस बारे में योजना तैयार कर उसके लिए फंडिंग की व्यवस्था के साथ निविदा/कार्य आदेश जारी करने का निर्देश दिया है।
इस परियोजना को चरणों में पूरा करने के लिए कहा गया है। डीजेबी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि इस परियोजना का कम से कम पहला चरण 30 जून, 2025 तक पूरा हो जाए।
इस मामले में अदालत ने दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विकास प्राधिकरण और अन्य संबंधित पक्षों को परियोजना पर मिलकर काम करने का निर्देश दिया है। दिल्ली के मुख्य सचिव को किसी भी मुद्दे के समाधान के लिए दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष, दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, दिल्ली नगर निगम के आयुक्त और अन्य हितधारकों के साथ नियमित बैठकें आयोजित करने को कहा गया है। इन प्राधिकरणों को परियोजना को चरणों में पूरा करने के लिए सभी आवश्यक प्रशासनिक और वित्तीय कार्यों को भी संभालना होगा। एनजीटी ने अपने फैसले में कम से कम पहले चरण को एक साल के भीतर और बाद के चरणों को उचित समय सीमा में पूरा करने पर जोर दिया है।
क्या था पूरा मामला
गौरतलब है कि इस मामले में फेडरेशन ऑफ इंद्रप्रस्थ एक्सटेंशन-II हाउसिंग सोसायटी के महासचिव ने एक पत्र याचिका भेजी थी। उनकी शिकायत उन 13 पार्कों को लेकर थी जिन्हें डीडीए से पूर्वी दिल्ली नगर निगम को हस्तांतरित किया गया है। एनजीटी के आदेशों का पालन करते हुए उद्यान विभाग ने 473 बोरवेल/ट्यूबवेल बंद कर दिए।
उनके मुताबिक ये पार्क समाज के लिए फेफड़ों का काम करते हैं। ऐसे में ट्यूबवेलों के बंद होने से स्थानीय पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इससे पूरे क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक में भी इजाफा हुआ है। ऐसे में आवेदक ने पड़ोस में पार्कों के विकास और रखरखाव में सहायता के लिए एक विशेष उपाय के तौर पर बोरवेल/ट्यूबवेल की बहाली का अनुरोध किया था।
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि बोरवेलों को बहाल करने और भूजल निकासी की अनुमति देने से संबंधित निर्णय शाहदरा के जिला मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। जिलाधिकारी को क्षेत्र में भूजल के स्तर और वर्षा जल संचयन क्षमताओं का आकलन करना चाहिए। ऐसे में शाहदरा के जिला मजिस्ट्रेट को एक महीने के भीतर संयुक्त समिति की सिफारिशों की समीक्षा करने और उचित आदेश जारी करने का निर्देश दिया गया है।