हरियाणा सरकार लगातार धान की खेती को हतोत्साहित करने के लिए कदम उठा रही है। 10 जून को सरकार ने नई राइस शूट (बरसाती मोगा) नीति लागू करने की घोषणा की। इसके तहत धान उत्पादक किसानों को नहरी पानी भी कम मिलेगा। 20 एकड़ से कम भूमि पर कहीं भी राइस शूट नहीं दिया जाएगा। इस 20 एकड़ में से 15 एकड़ से अधिक भूमि में धान नहीं लगाया जा सकेगा।
नई नीति में भाखड़ा कमांड सिस्टम में नए ‘राइस शूट’ खत्म कर दिए गए हैं। केवल जहां यमुना या घग्घर नदी का पानी मिलेगा, वो इलाका अपवाद रहेगा। बता दें कि राइस शूट के तहत किसानों को मानसून सीजन में नहरी पानी धान की खेती के लिए खेतों तक पहुंचाया जाता है। इसके लिए सिंचाई विभाग की ओर से विशेष प्रकार से व्यवस्था की हुई है। जिसे बरसाती मोगा कहते है।
पिछले साल हरियाणा में 38.97 एकड़ में धान की खेती हुई थी। यमुनानगर, अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद और सोनीपत धान बाहुल्य क्षेत्र है। धान की खेती को हतोत्साहित करने के लिए हरियाणा सरकार ने पहले इन जिलों के पंचायती भूमि धान की खेती के लिए नहीं देने का फैसला लिया था। इसके बाद ‘मेरा पानी, मेरी विरासत योजना’ के तहत प्रदेश के 19 खंडों में धान की खेती पर पाबंदी लगाई थी, लेकिन किसानों के विरोध के बाद धान की खेती स्वेच्छा से छोड़ने वाले को सात हजार रुपये प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया।
वर्ष 2018 में बनी राइस शूट पॉलिसी को किसानों के विरोध के चलते दो साल तक सरकार इसे टालती रही थी, लेकिन धान की खेती को हतोत्साहित करने और भूजल संरक्षण के लिए सरकार ने इसे धान की बिजाई से पहले लागू कर दिया है। 10 जून को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पहले की पॉलिसी में नए किसानों को राइस शूट का मौका नहीं मिलता था, इसीलिए अब राइस शूट पॉलिसी में बदलाव कर दिया है। इस बदलाव के बाद इसी वर्ष 50 फीसद कोटा नए किसानों के लिए आरक्षित रहेगा। इसमें फसल विविधिकरण अपनाने वाले छोटे किसानों को भी मौका दिया जाएगा। लाटरी सिस्टम से किसानों के नाम तय होंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश को चार साल के लिए जितना धान चाहिए, उतना अभी भंडार भरा हुआ है। नियम अनुसार एक साल का स्टॉक होना चाहिए, लेकिन अधिक है। लगातार धान की खेती होने की वजह से भूजल स्तर बीते पांच वर्षों में दोगुना नीचे चला गया है। ऐसे में भूजल स्तर बचाना जरूरी है। दूसरे फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए नई राइस शूट नीति में बीस-बीस एकड़ का चंक लिया जाएगा। प्रति एक हजार एकड़ पर साढ़े सात क्यूसेक पानी दिया जाएगा।
हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग द्वारा जारी नीति के मुताबिक, पश्चिमी यमुना कैनाल सिस्टम (यमुनानगर-करनाल-पानीपत-जींद-रोहतक) में हर साल आवंटित पानी की मात्रा 2024 तक 25 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत तक कर दी जाएगी। साल 2020 से हर साल पुराने राइस शूट की संख्या में 50 प्रतिशत कटौती होगी व साल 2022 के बाद कोई पुराना राइस शूट नहीं दिया जाएगा।
नए राइस शूट भी 3 प्रतिशत तक सीमित रहेंगे। भाखड़ा सिस्टम (कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, हिसार, सिरसा, फतेहाबाद) में राइस शूट के लिए आवंटित दस फीसद पानी को कम कर साल 2024 तक तीन फीसद तक घटा दिया जाएगा। अगले दो साल में सभी पुराने राइस शूट खत्म कर दिए जाएंगे। 2020 व 2021 के बाद सब पुराने राइस शूट खत्म कर दिए जाएंगे। नए राइस शूट भी 3 प्रतिशत तक सीमित रहेंगे। 10 क्यूसेक से कम के सब रजबाहों पर कोई राइस शूट नहीं मिलेगा।
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरणाम सिंह चढूणी का कहना है उत्तरी हरियाणा के कैथल-जींद-कुरुक्षेत्र-करनाल-पानीपत-अंबाला-यमुनानगर में पहले ही नहरें 24 दिन बंद रहती हैं और 7 दिन चलती हैं। किसान को राइस शूट खत्म होने से धान की खेती करना मुश्किल होगा।