भारत में क्रिकेट मैदानों के लिए हो रहा भूजल का दोहन, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
कोलकाता में क्रिकेट मैदान; फोटो: आईस्टॉक
कोलकाता में क्रिकेट मैदान; फोटो: आईस्टॉक
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क्रिकेट मैदानों के रखरखाव के लिए भूजल के हो रहे दोहन से जुड़े मामले पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने रिपोर्ट तलब की है। कोर्ट ने जल शक्ति मंत्रालय को इस मामले में रिपोर्ट दायर करने के लिए दो महीनों का समय दिया है। यह आदेश 28 मार्च 2023 को जारी किया गया है।

गौरतलब है कि 15 अप्रैल, 2021 को जल शक्ति मंत्रालय के खिलाफ कोर्ट में आवेदन दायर किया गया था। इस आवेदन में जल शक्ति मंत्रालय के द्वारा एनजीटी के निर्देशों का पालन करने में असफल रहने के खिलाफ कोर्ट में शिकायत की थी।

एनजीटी ने जल शक्ति मंत्रालय के सचिव को खेल एवं युवा मंत्रालय के नामित सदस्यों, बीसीसीआई और सीपीसीबी के प्रतिनिधियों के साथ एक संयुक्त बैठक करने का निर्देश दिया था। 15 अप्रैल, 2021 को जारी इस निर्देश में कोर्ट ने कहा था कि जब मैच नहीं खेले जा रहे थे, तब खेल मैदानों के रखरखाव के लिए भूजल के उपयोग को रोकने पर विचार करें।

साथ ही कोर्ट ने भूजल के उपयोग की जगह एसटीपी से निकले शोधित जल के उपयोग की बात कही थी। कोर्ट का कहना था कि खेल के सभी मैदानों में वर्षा जल संचयन को सुनिश्चित करें और प्रत्येक क्रिकेट स्टेडियम के लिए विशेषज्ञ नियुक्त करें। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए खेल आयोजनों का उपयोग करें।

आवेदक का कहना था कि सूखा प्रभवित क्षेत्रों में खेल के मैदानों के लिए भूजल का उपयोग जल संकट को बढ़ा रहा है।

नागापट्टिनम के तट पर तेल रिसाव का मामला, कोर्ट ने दिए समिति गठित करने के निर्देश

क्या तेल रिसाव की घटना के कारण पानी को हुए नुकसान को रोकने के लिए किसी तरह की कार्रवाई की जरूरत है, एनजीटी ने इसकी जांच के लिए समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं। तेल रिसाव की यह घटना 2 मार्च 2023 को तमिलनाडु के नागापट्टिनम जिले में घटित हुई थी। 

गौरतलब है कि यह रिसाव नागपट्टिनम में चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड सीबीआर क्रूड स्टोरेज टैंक से कराईकल पोर्ट को जोड़ने वाली नौ किलोमीटर लम्बी पाइपलाइन से हुआ था।

इस संयुक्त समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,  नागापट्टिनम के जिला मजिस्ट्रेट, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र और सतत तटीय प्रबंधन केंद्र  के अधिकारी शामिल होंगे।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि संयुक्त समिति की पहली दो बैठकें दो सप्ताह के भीतर बुलाई जानी है और कार्यवाही दो महीने के भीतर पूरी हो जानी चाहिए। यह समिति विशेष रूप से सुरक्षा का ऑडिट करेगी और यह पता लगाने का प्रयास करेगी कि पाइपलाइन में आई यह दरार कहीं रखरखाव न करने के कारण लगे जंग की वजह से तो नहीं आई थी।

वायु प्रदूषण के मामले में समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए एनजीटी ने जारी किए दिशा-निर्देश

संयुक्त समिति की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा के मैदानी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

27 मार्च 2023 को जारी इन निर्देशों में निम्नलिखित बातों को शामिल किया गया है:

  • संयुक्त समिति की रिपोर्ट को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की वेबसाइट पर होस्ट किया जाएगा और सीपीसीबी द्वारा एक पखवाड़े के भीतर गंगा के मैदानी राज्यों और केंद्र संघ शासित प्रदेशों के पीसीबी/पीसीसी को प्रसारित किया जाएगा।
  • रिपोर्ट में उल्लेखित संवेदनशील जिलों को 'वायु गुणवत्ता संवेदनशील जिलों' के रूप में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए और इन जिलों में प्रदूषण के सक्रिय स्रोतों पर कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए।
  • संचालन के लिए संशोधित सहमति (सीटीओ) प्रदान की जानी चाहिए। इसके साथ ही स्वच्छ ईंधन को अपनाने की आवश्यकता है और एक निश्चित समय सीमा के साथ कुशल वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों को अपनाने की जरूरत है। इसके लिए कोर्ट ने छह महीनों का समय दिया है।
  • पर्यावरण मंत्रालय और सीपीसीबी  द्वारा स्वच्छ ईंधन को अपनाने के लिए बल दिया जाना चाहिए। कुशल वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकियों को अपनाना, जीआरएपी को लागू करना और धूल नियंत्रण, वाहन प्रदूषण जैसे अन्य प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए सतर्कता उपाय और राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत चिन्हित प्राधिकारियों और संयुक्त समितियों द्वारा छह माह के भीतर जिला विशिष्ट कार्य योजना को अपनाने की आवश्यकता है।
  • पर्यावरण मंत्रालय और सीपीसीबी को दैनिक और वार्षिक वायु गुणवत्ता आंकड़ों की समीक्षा के बाद विभिन्न क्षेत्रों में स्थिति का आकलन करने और छह महीने के भीतर उस आधार पर जरूरी उपाय करने की आवश्यकता है।

ऐसे में एनजीटी ने सीपीसीबी को सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए एक रोड मैप तैयार करने के लिए कहा है और तीन महीनों के भीतर सभी संबंधित मंत्रालयों, विभागों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य हितधारकों के साथ बैठक करने का निर्देश भी दिया है।

इस मामले में संयुक्त समिति ने 30 जनवरी, 2023 को एनजीटी के समक्ष अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। इस समिति में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ अन्य सदस्य शामिल थे।

रिपोर्ट में कहा है कि खासकर अक्टूबर और नवंबर के दौरान गंगा के मैदानी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को देखते हुए विकास गतिविधियों को केवल उन्नत तकनीक और उचित प्रबंधन की मदद सी किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में अलीगढ़, कानपुर, फरीदाबाद, गुड़गांव, नई दिल्ली, सिरसा, दक्षिण पश्चिम दिल्ली, फिरोजपुर, बर्धमान आदि को हॉटस्पॉट के रूप में दर्शाया गया है।

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