जल संसाधन विकास और प्रबंधन केंद्र (सीडब्ल्यूआरडीएम) ने भूजल में फ्लोराइड के स्तर के मानचित्रण और उसकी निगरानी के लिए पलक्कड़ में एक अध्ययन किया है। इस बारे में 13 मार्च, 2024 को केरल सरकार द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पलक्कड़ के अट्टापडी ब्लॉक में शोलायुर पंचायत फ्लोराइड से बुरी तरह दूषित है।
इस मामले में पलक्कड़ के पूर्वी हिस्सों में चयनित स्कूलों से पानी के नमूने एकत्र किए गए और उनका विश्लेषण किया गया था। मुथलमाडा पंचायत के सरकारी एचएसएस मुथालमाडा और सरकारी एलपीएस मूचेनकुंडु स्कूलों को, जहां फ्लोराइड की मात्रा एक मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक थी, वहां रिवर्स ऑस्मोसिस तकनीक का उपयोग करते हुए दो डिफ्लोराइडेशन फिल्टर प्रदान किए गए थे।
वहीं पलक्कड़ जिले के स्कूलों में से एक, गवर्नमेंट एच एस एस मुथलमदा में फ्लोराइड की मात्रा 3.10 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई।
केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) को मलप्पुरम के मंजेरी गांव, पलक्कड़ के कोप्पानूर और वट्टालुकी गांवों और अलाप्पुझा जिले के पझावीडु और कोमलापुरम गांवों के पानी में फ्लोराइड का पता चला है। हालांकि सीजीडब्ल्यूबी द्वारा जो अध्ययन किए गए हैं उनमें आर्सेनिक का पता नहीं चला है।
केरल सरकार ने अपनी रिपोर्ट में राज्य भूजल विभाग द्वारा स्थानिक विश्लेषण अध्ययनों की मदद से प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने की सिफारिश की है। साथ ही रिपोर्ट में यह वर्षा जल संचयन सम्बन्धी सुविधाएं स्थापित करने, रिवर्स ऑस्मोसिस फिल्टर प्रदान करने, पीने के लिए सतही जल का उपयोग करने या वैकल्पिक जल स्रोत खोजने जैसे उपचारात्मक कदम उठाने की भी बात कही है। इन उपायों को लागू करने की जिम्मेवारी स्थानीय स्व-सरकारी संस्थान की मदद से केरल जल प्राधिकरण या जल संसाधन विभाग जैसे संबंधित विभागों की होगी।
एनजीटी ने ब्राह्मणी नदी पर कथित अवैध रेत खनन के आरोपों की जांच के दिए आदेश, समिति गठित
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी पीठ ने 12 मार्च को ब्राह्मणी नदी में अवैध रेत खनन के दावों की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति को निर्देश दिया है। मामला ओडिशा में अंगुल जिले के गोपीनाथपुर का है।
इस समिति में ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ओडिशा के राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) और अंगुल के जिला कलेक्टर के प्रतिनिधि शामिल होंगे। उन्हें संबंधित साइट का दौरा करने और चार सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट उपलब्ध कराने का काम सौंपा गया है। इस मामले में अंगुल के जिला कलेक्टर समिति के लिए सभी तार्किक मामलों का समन्वय करेंगे।
आरोप है कि अवैध खननकर्ताओं ने सड़क का निर्माण किया है, जिसने पानी का बहाव रोक दिया है। इतना ही नहीं अवैध खननकर्ता मानसून में भी रेत खनन कर रहे हैं, जो 2016 के सतत रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देशों में उल्लिखित नियमों के खिलाफ है।
गौरतलब है कि यह आरोप मुख्य रूप से पीतांबर भूटिया के खिलाफ हैं, जिनके पास निजगढ़जामी रेत खदान का पट्टा है, जिसे गोपीनाथपुर रेत खदान के नाम से भी जाना जाता है। यह खदान अंगुल जिले की तालचेर तहसील के निजगढ़जामी गांव में 24.86 एकड़ या 10.06 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है। उन पर विभिन्न पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन कर रेत खनन करने का आरोप है।
इनमें पर्यावरणीय मंजूरी, संचालन की सहमति, 2016 के सतत रेत खनन दिशानिर्देश, 2020 के रेत खनन दिशानिर्देशों का प्रवर्तन और निगरानी, 2021 की ओडिशा रेत नीति, ईआईए में उल्लिखित शर्तों का उल्लंघन आदि शामिल है।
संबलपुर में जेएसडब्ल्यू भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड पर लगे प्रदूषण के आरोप, जांच के लिए समिति गठित
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को संबलपुर के बिसाडीही गांव के पास मेसर्स जेएसडब्ल्यू भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड द्वारा किए जा रहे प्रदूषण को लेकर शिकायतें मिली थी। ऐसे में एनजीटी ने 12 मार्च 2024 को मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया है। मामला ओडिशा के संबलपुर जिले का है।
इसके साथ ही अदालत ने ओडिशा सरकार, ओडिशा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मेसर्स जेएसडब्ल्यू भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इस मामले में आवेदक का आरोप है कि मेसर्स जेएसडब्ल्यू भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड ने बिसाडीही गांव के पास वन भूमि पर अवैध रूप से कच्चे लोहे की धूल जमा कर रहा है। उनका आरोप है कि आरोपी ऐसा वहां तालाब के साथ स्टॉकयार्ड के निर्माण और संचालन की मदद से कर रहा है, जिससे पर्यावरण को बड़ा खतरा है।
आरोप है कि जेएसडब्ल्यू भूषण पावर एंड स्टील द्वारा बनाया यह तालाब आवेदक के गांव से करीब 200 मीटर की दूरी पर है। यह भी जानकारी दी गई है कि इस क्षेत्र के चारों ओर सुरक्षा के लिए कोई ग्रीन बेल्ट नहीं है और न ही इस गांव के पास 50 फीट की खुदाई के बाद जमा की गई कच्चे लोहे की धूल को जमा करने से पहले गड्ढे में पॉलिथीन शीट नहीं लगाई है न ही इसके लिए कोई सीमा बनाई गई है। नतीजन इसकी वजह से भूजल दूषित हो गया है। इसका रंग भी लाल हो गया है।
इस तालाब-सह-स्टॉकयार्ड का निर्माण नवंबर 2020 में शुरू हुआ था। इस मामले में आवेदक और अन्य ग्रामीणों ने 14 जुलाई, 2023 को संबलपुर के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट को शिकायत सौंपी थी। लेकिन भारी धूल और भूजल प्रदूषण के बावजूद इस मामले में आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।