दिल्ली, जयपुर और मुंबई में मेट्रो अधिकारियों ने पानी की बर्बादी को कम करने के लिए किए हैं प्रयास: सीजीडब्ल्यूए

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
फोटो: आईस्टॉक
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दिल्ली, जयपुर और मुंबई में मेट्रो अधिकारी पानी के उपयोग को कम करने के साथ-साथ उसकी बर्बादी को भी रोकने के लिए प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में इसकी रोकथाम के लिए अन्य उपायों की कोई जरूरत नजर नहीं आती। यह बातें केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने 10 अगस्त, 2023 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर अपनी रिपोर्ट में कही हैं।

गौरतलब है कि दिल्ली मेट्रो परियोजनाओं में, स्टेशनों और डिपो के निर्माण या संचालन के साथ रखरखाव के लिए पानी की आपूर्ति आंशिक रूप से ट्यूबवेलों के जरिए की जाती है। डीएमआरसी ने दिल्ली जिला सलाहकार समिति से ट्यूबवेल के लिए अनुमति ले ली है। निर्माण स्थलों पर, आरओ से निकले बेकार पानी का उपयोग व्हील-वॉश, धूल को दूर करने जैसी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है।

वहीं यदि भविष्य में पानी की मांग बढ़ती है तो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) के ट्रीटेड वाटर का उपयोग ऐसे उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि जो स्टेशन ऊंचाई पर हैं वहां और पटरियों से बारिश के पानी को वापस जमीन में रिचार्ज के लिए भेजा जा रहा है।

जयपुर मेट्रो में, 11 में से पांच स्टेशनों पर ट्यूबवेल से सप्लाई की जा रही है। वहीं पांच स्टेशनों में ट्यूबवेल और पीएचईडी सप्लाई दोनों हैं और एक में केवल पीएचईडी सप्लाई है। जेएमआरसी ने भूजल के दोहन के लिए पहले जिला प्रशासन से एनओसी ली थी, चूंकि शहर को सीजीडब्ल्यूए द्वारा अधिसूचित किया गया था। हालांकि जेएमआरसी ने सीजीडब्ल्यूए से एनओसी नहीं ली है। एमओजेएस के नए दिशानिर्देशों को जारी करने के बाद 'अधिसूचित क्षेत्र' की अवधारणा समाप्त कर दिया गया है, जिसके तहत सभी भूजल उपयोगकर्ताओं को सीजीडब्ल्यूए से एनओसी लेना जरूरी है। ऐसे में जेएमआरसी को जल्द से जल्द ऐसा करने की हिदायत दी गई है।

वर्षा जल संचयन (आरडब्ल्यूएच) प्रणाली के संबंध में, ऊंचे स्टेशनों और पटरियों से बारिश के पानी को रिचार्ज करने के रिचार्ज कुओं को भेजा जाता है। हालांकि इस प्रणाली की अच्छी तरह से देखभाल नहीं की जाती, और अक्सर पाइप चोरी और टूटने जैसी समस्याएं होती रहती हैं।

मुंबई में, मेट्रो निर्माण और परिचालन सम्बन्धी पानी की जरूरतों को ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) की मदद से पूरा किया जाता है, जो मुंबई के बाहर स्थित जलाशयों से ताजा पानी प्राप्त करता है। इसलिए, एमएमआरसी और एमएमआरडीए को भूजल के लिए एनओसी की आवश्यकता नहीं है।

अमृतसर में इंडस्ट्री पर लगा जहरीली गैसों के उत्सर्जन का आरोप, अब समिति करेगी जांच

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तीन सदस्यीय समिति को अमृतसर स्थित मेसर्स अमर कलर केम द्वारा पर्यावरण नियमों के किए जा रहे उल्लंघन के आरोपों की जांच के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने समिति को उस स्थान का दौरा करने के साथ किस सीमा तक नियमों का उल्लंघन किया गया है उसकी जांच के साथ मामले में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगी है।

इस मामले में आवेदक के वकील का कहना है कि हालांकि यह उद्योग जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) पर चल रहा है, लेकिन यह हवा में जहरीली गैसों को भी छोड़ रहा है। इतना ही नहीं यह घरेलू सीवर में अवैध और अवैज्ञानिक तरीके से हानिकारक वेस्ट भी डाल रहा है। इसकी वजह से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। नतीजन इसके चलते वहां रहने वाले आम लोगों के साथ कारखाने में काम करने वाले मजदूरों के लिए स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा हो गई हैं।

जांच दल ने पाया कि पूरी फैक्ट्री में पीला रंग बिखरा हुआ था और निर्माण के दौरान यूनिट जिन रसायनों का इस्तेमाल कर रही है उनमें से कुछ का इंसानी स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

रिपोर्ट में अदालत को बताया गया कि दौरे के बारे में पूर्व सूचना देने के बावजूद, उद्योग पूरी क्षमता पर काम नहीं कर रहा था, और दल को अधिकतम सीमा तक मूल्यांकन करने की अनुमति नहीं दी गई। ऐसे में अदालत ने तीन सदस्यीय समिति को उस स्थान का दौरा करने के साथ मामले की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

गाजियाबाद नगर निगम पर लगा नियमों के उल्लंघन का आरोप, कचरे की डंपिंग से जुड़ा है मामला

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गाजियाबाद के जिला कलेक्टर को कचरे की अवैध डम्पिंग से जुड़े मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। इस डंपिंग का आरोप गाजियाबाद  नगर निगम पर लगा है। आरोप है कि नगर निगम ने ठोस कचरे की डंपिंग करते समय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का उल्लंघन किया है।

आरोप है कि गाजियाबाद नगर निगम शहर में शाहपुर रोड, मोर्टा, राज नगर एक्सटेंशन, गाजियाबाद में कूड़ा डंप कर रहा है। मामला उत्तर प्रदेश का है। इस मामले में कोर्ट ने समिति को छह सप्ताह के भीतर घटनास्थल का दौरा करने के साथ कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

शिकायत में कहा गया है कि यह एक इंस्टीट्यूशनल क्षेत्र हैं जहां करीब 50 शैक्षणिक संस्थान स्थित हैं। वहीं राज नगर एक्सटेंशन का डीपीएस, स्कूल इस डंपिंग ग्राउंड से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। इससे मात्र आठ किलोमीटर की दूरी पर एयरफोर्स स्टेशन हिंडन एयरबेस की हवाई पट्टी भी स्थित है।

एनजीटी को दिए अपने आवेदन में शिकायतकर्ता ने कहा है कि इस स्थान पर ठोस कचरा डंप करने से लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है और मौसम में धुएं के कारण पक्षियों के विमानों से टकराने की आशंका रहती है। साथ ही वहां दृश्यता के कम होने का भी खतरा पैदा हो सकता है।

अल्मोडा में कंपनी ने बिना अनुमति के काटे पेड़, एनजीटी ने कार्रवाई के दिए आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नौ अगस्त, 2023 को दिए अपने आदेश में उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अल्मोडा के प्रभागीय वन अधिकारी को पल्स एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अवैध रूप से काटे गए पेड़ों के मामले की जांच का निर्देश दिया है। मामला अल्मोडा के कुणीधार का है जहां कंपनी पर बिना अनुमति के चीड़ और बलूत के पेड़ काटने का आरोप लगा है।

कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस मामले में नियमों को ध्यान में रखते हुए पर्यावरणीय मुआवजे की वसूली के साथ-साथ आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।

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