पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सबमिट अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि संगरूर के भवानीगढ़ ब्लॉक के आलोअर्ख गांव में भूजल प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। गौरतलब है कि एनजीटी ने आलोअर्ख गांव में राज्य अधिकारियों द्वारा भूजल प्रदूषण को रोकने में नाकाम रहने पर उनके खिलाफ एचसी अरोड़ा द्वारा दायर एक आवेदन पर संज्ञान लिया था।
इस बारे में एक मीडिया रिपोर्ट 8 जुलाई, 2021 को हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित हुई थी। इस खबर में भूजल के बढ़ते प्रदूषण के बारे में जानकारी दी गई थी और उसके लिए पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ध्वस्त कारखाने को दोषी ठहराया था।
इस बारे में एनजीटी द्वारा 31 मार्च, 2022 को जारी आदेश पर कार्रवाई करते हुए पंजाब के मुख्य सचिव ने एक निगरानी समिति के गठन का निर्देश दिया था। इसके मद्देनजर एक बैठक भी आयोजित की गई थी, जिसमें यह देखा गया कि क्या दूषित क्षेत्र के संबंध में कोई कार्रवाई करने की जरूरत है, जैसे कि दूषित नलकूपों को 'पीने योग्य पानी नहीं' के रूप में चिह्नित करना, साइट को 'दूषित साइट' के रूप में घोषित करना, अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपचारात्मक योजनाएं बनाना, इसका एक विशेषज्ञ एजेंसी द्वारा विस्तृत अध्ययन करना, इससे जुड़ी सूचना को सार्वजनिक डोमेन में रखना और दूषित पानी की गुणवत्ता की नियमित निगरानी करना जैसे उपाय शामिल थे।
इस रिपोर्ट में एनजीटी को जानकारी दी गई है कि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक पर्यावरण इंजीनियर और भवानीगढ़ के नायब तहसीलदारको लेकर एक गठित टीम ने अंग्रेजी के साथ-साथ पंजाबी भाषा भी में पांच ट्यूबवेलों पर 'पानी पीने लायक नहीं' के संकेत देने वाले डिस्प्ले बोर्ड लगाए हैं। यह ट्यूबवेल साइट के आसपास स्थित है जिन्हें एनजीटी द्वारा गठित संयुक्त समिति ने दूषित पाया था।
इस मामले में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 6 जून, 2022 को सदस्य सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक पत्र लिखा है जिसमें उनसे सलाह मांगी गई है कि क्या साइट को दूषित साइट के रूप में अधिसूचित कर दिया जाए और क्या पीपीसीबी, एनजीटी द्वारा निर्देशित संयुक्त समिति के सुझाव के अनुसार उपचार योजना को लागू करने के लिए आगे बढ़ सकता है।
जानिए क्यों मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पन्ना नगर पालिका परिषद पर लगाया 99 लाख का जुर्माना
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि एमएसडब्ल्यू नियम 2016 का पालन न करने पर पन्ना नगर पालिका परिषद पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में 99 लाख के जुर्माने का निर्धारण किया गया है। यह जुर्माना जनवरी से जून 2022 के लिए लगाया गया है।
मामला पन्ना नगर निगम द्वारा किलकिला नदी में दूषित सीवेज को डालने का है, जिससे नदी जल की गुणवत्ता पर असर पड़ा है। साथ ही इसकी वजह से कृषि भूमि एवं लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा हो गया है।
दिल्ली के खामपुर गांव में तूफानी नाले से साफ कर दिया गया है कचरा-मलबा: रिपोर्ट
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा दायर रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के खामपुर गांव में तूफान पानी की निकासी के लिए बनाई नाली से गाद को हटा दिया गया है और इसमें डंप किए गए निर्माण और विध्वंस आदि सम्बन्धी कचरे को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने साफ कर दिया है।
इस मामले में सीनियर सिटीजन फोरम फॉर एनवायरनमेंट के अध्यक्ष प्रेम प्रकाश प्रजापति ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने जानकारी दी थी कि एनएचएआई के ठेकेदार ने घरेलू अपशिष्ट जल के लिए वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना ही राजमार्ग को चौड़ा करते समय तूफानी जल की निकासी के लिए बनाई नाली को बंद कर दिया था।
जानकारी मिली है कि नाले को हटाने के कारण गांव का सारा गन्दा पानी प्रस्तावित सर्विस रोड की जमीन पर जमा हो गया है, जिससे भूजल दूषित हो रहा है। इस पानी से दुर्गंध आ रही है और इसकी वजह से स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। 17 अगस्त 2022 को जारी यह रिपोर्ट 4 अक्टूबर 2022 को एनजीटी की साइट पर अपलोड की गई है