दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) अवैध बोरवेलों पर कार्रवाई करेगा, खासकर उन इलाकों में जहां पानी का बेहद ज्यादा दोहन या मुनाफाखोरी के लिए उपयोग किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त केवल उन्हीं स्थानों पर बोरवेलों के लिए अनुमति दी जाएगी जहां जल स्तर अच्छा और पानी पीने के लिए सुरक्षित है।
यह निर्णय 12 अप्रैल 2024 को दिल्ली के मुख्य सचिव के नेतृत्व में हुई एक बैठक में लिया गया है। इस बैठक में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), दिल्ली पुलिस, शहरी विकास विभाग, राजस्व विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल हुए थे।
डीजेबी को रिसाव और राजस्व घाटे को संबोधित करके जल आपूर्ति की दक्षता में सुधार करने की सलाह दी गई है। इसके अतिरिक्त, दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), जिला मजिस्ट्रेट और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत बोरवेल के लिए नियम लागू करने का निर्देश दिया गया है।
गौरतलब है कि उपरोक्त तथ्यों का उल्लेख दिल्ली सरकार द्वारा 15 अप्रैल, 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में प्रस्तुत स्थिति रिपोर्ट में किया गया है।
खनन कंपनी द्वारा पर्यावरण मानदंडों का पालन न करने के मामले में एनजीटी ने की सुनवाई, समिति से मांगी गई रिपोर्ट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने खनन कंपनी मैसर्स आशापुर मीनकेम लिमिटेड पर लगे पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के आरोपों पर सुनवाई की है। मामला महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के दापोली तालुका के रोवाले गांव का है। इस मामले में ट्रिब्यूनल ने एक संयुक्त समिति से रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
इस समिति में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय भूजल बोर्ड, और रत्नागिरी के जिला कलेक्टर के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
समिति को आवेदकों के वकील को सूचित करने के बाद साइट का दौरा करने के लिए कहा गया है। साथ ही किसी भी गैर-अनुपालन के मुद्दे पर और पर्यावरणीय क्षति के लिए निर्धारित मुआवजे की राशि पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। ट्रिब्यूनल ने समिति को मानसून सीजन शुरू होने से पहले निरीक्षण करने का भी निर्देश दिया है।
इस समिति में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ&सीसी) समन्वय और लॉजिस्टिक के लिए नोडल एजेंसी होंगें। इस मामले में अगली सुनवाई तीन जुलाई, 2024 को होगी।
यह पूरा मामला बॉक्साइट अयस्क खनन के लिए संचालन की सहमति और पर्यावरण मंजूरी (ईसी) की शर्तों का पालन करने में आशापुर माइनकेम की विफलता से जुड़ा है।