तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले के अरुतला गांव के निवासी 2018-19 के जल संकट को कभी नहीं भूलेंगे। वह आजीविका के लिए पूरी तरह से खेती पर निर्भर रहे हैं। उनकी आजीविका चलती रहे, इसके लिए 835 मिमी की औसत वार्षिक वर्षा जरूरी है। लेकिन, इसके विपरीत 2018 में यहां औसत वर्षा घटकर केवल 600 मिमी और 2019 में 760 मिमी रह गई। पानी की किल्लत के कारण अधिकतर छोटे किसान फसल उगाने और पशुओं को पानी उपलब्ध कराने में असमर्थ हो गए। इस बीच, अमीर किसानों ने तेजी से बोरवेल लगवाना शुरू किया, जिससे बोरवेल के इस्तेमाल में अचानक बढ़त आई और भूजल का स्तर 5 मीटर तक गिर गया।
इस संकट से परेशान होकर लोगों ने गांव से ऊपर की तरफ एक तालाब खोदने के लिए ग्राम पंचायत का रुख किया। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के सहयोग से मई 2022 में पेड्डाबोडु तालाब का निर्माण कराया गया। 0.4 हेक्टेयर में फैले इस तालाब के कायाकल्प के लिए प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) से 3.52 लाख रुपए मिले। तालाब को अमृत सरोवर पहल के तहत भी शामिल किया गया है।
इसमें दो पहाड़ियों को जोड़ने वाला 55 मीटर लंबा और 3 मीटर ऊंचा तटबंध है, जिसकी गहराई 2.5 मीटर और भंडारण क्षमता 14 मिलियन लीटर है। इसका जलभराव वाला क्षेत्र 200 हेक्टेयर से अधिक में फैला है, जिसकी वजह से तालाब को, सतही और उपसतही, दोनों तरह के प्रवाह मिलते हैं। इसकी वजह से बहाव की ओर की 2 हेक्टेयर जमीन, जो पहले बंजर थी, अब कृषि भूमि में बदल गई है, जिससे इसके आस-पास के पांच परिवारों को लाभ हुआ है। इन परिवारों ने इस संसाधन के प्रबंधन के लिए एक जल-उपभोगकर्ता समूह बनाया है।
निचले इलाके में रहने वाले लोग बताते हैं कि 2022 और 2023 की बारिश के बाद भूजल स्तर में 1.5 मीटर की बढ़त हुई है। इससे बोरवेल से सिंचाई और इससे होने वाली पैदावार में बढ़ोतरी हुई है। मिट्टी में नमी बढ़ने और उसके ज्यादा उपजाऊ होने के कारण अब कई परिवार अपने खेतों में मक्का और धान की खेती कर रहे हैं। अरुतला गांव के सरपंच मेगावत राजू नायक कहते हैं, “यहां के किसान अब प्रति हेक्टेयर 60,000-80,000 रुपए सालाना कमाते हैं। इसके अलावा, इस तालाब से पशुओं को पीने का पानी भी मिलता है।”
यहां के निवासी अब तालाब के रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए अलग से जल संरक्षण के प्रयास करने की योजना बना रहे हैं। सतह के नीचे पानी के प्रवाह को बेहतर बनाने जलग्रहण और जल निकासी वाले क्षेत्रों में खाइयों जैसी संरचनाएं बनाई जाएंगी।