71 साल पहले दिखे चमकते ऑब्जेक्ट, क्या तारे थे या फिर एलियन से जुड़े हैं उनके तार

आज से करीब 71 साल पहले दिखे वो प्रकाशित ऑब्जेक्ट क्या तारे थे या फिर उनका संबंध एलियन से था, यह अब तक एक अनसुलझा रहस्य है
71 साल पहले दिखे चमकते ऑब्जेक्ट, क्या तारे थे या फिर एलियन से जुड़े हैं उनके तार
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अंतर्राष्ट्रीय खगोलशास्त्रियों के एक दल ने ऑब्जेक्टस की तरह दिखने वाले 9 तारों से जुड़ी एक विचित्र घटना का पता लगाया है। तारों का यह समूह एक छोटे से क्षेत्र में आधे घंटे से भी कम समय के लिए दिखे और फिर गायब हो गए थे, इससे जुड़े सबूत एक पुरानी फोटोग्राफिक प्लेट से सामने आए हैं।

गौरतलब है कि दुनियाभर के खगोलशास्त्री रात के समय आसमान की ली गई पुरानी छवियों को नई आधुनिक छवियों के साथ तुलना करते रहते हैं, वो आसमान में दिखने और फिर गायब हो जाने वाली खगोलीय वस्तुओं को ट्रैक करते हैं। जिसे एक अप्राकृतिक घटना के रूप में दर्ज किया जाता है और ब्रह्मांड में आ रहे बदलावों को रिकॉर्ड करने के लिए ऐसी घटनाओं की गहन जांच की जाती है। 

इस अध्ययन में स्वीडन, स्पेन, अमेरिका, यूक्रेन तथा भारत के वैज्ञानिक शामिल थे। भारत में एरियस के डॉ आलोक सी.गुप्ता ने भी 12 अप्रैल, 1950 को ली गई फोटोग्राफी के आरंभिक रूप की जांच की थी, रात के समय आसमान के चित्र लेने के लिए उस समय ग्लास प्लेट का उपयोग किया गया था।

इस प्लेट को जब कैलिफोर्निया की पालोमर वैधशाला में एक्सपोज़ किया गया तो इन क्षणिक तारों के विषय में जानकारी सामने आई थी। यह सितारे लगभग आधे घंटे के बाद तस्वीरों में नहीं पाए गए थे और तबसे उनका कुछ पता नहीं चला है। खगोलशास्त्र के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक ही समय में ऐसी वस्तुओं के एक समूह के दिखने और फिर गायब हो जाने की घटना सामने आई है।

हालांकि यह क्या था इस बारे में पूरी तरह जानकारी उपलब्ध नहीं है। खगोलशास्त्रियों ने ग्रेविटेशनल लेंसिंग, फॉस्ट रेडियो बर्स्ट, या ऐसा कोई परिवर्तनीय तारा जो आसमान में तेज बदलावों के इस क्लस्टर के लिए जिम्मेदार हो, जैसे एक सुस्थापित एस्ट्रोफिजिकल घटना होती है उसका कोई स्पष्टीकरण नहीं पाया है। 

यह शोध नेचर के साइंसटिफिक रिपोर्ट्स नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इस शोध में आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेस के वैज्ञानिक आलोक सी. गुप्ता ने भी भाग लिया था। स्टॉकहोम के नॉर्डिक इंस्टीच्यूट ऑफ थैयरोटिकल फिजिक्स के डॉ. बियट्रीज विलारोएल तथा स्पेन के इंस्टीट्यूटो डी एस्ट्रोफिजिका डी कैनिरियास ने डीप सेंकेंड इपोक ऑब्जर्वेशन करने के लिए स्पेन के केनेट्री द्वीप में 10.4एम ग्रैन टेलीस्कोपीयो कैनिरियास का उपयोग किया था, जोकि दुनिया का सबसे बड़ा ऑप्टिकल टेलीस्कोप है।

अभी भी रहस्य है वो अजीब से प्रकाश बिंदु

वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि वे प्लेट पर दिखने और गायब हो जाने वाले प्रत्येक ऑब्जेक्ट की पॉजिशन पर एक काउंटरपार्ट यानी समकक्ष को ढूंढ पाएंगे। हालांकि यह जरुरी नहीं कि पाए गए समकक्ष उन अजीब वस्तुओं से भौतिक रूप से भी जुड़े ही हों। 

वैज्ञानिक अभी भी उन विचित्र क्षणिक तारों को देखे जाने और उसके पीछे के कारणों की तलाश कर रहे है। वे अभी भी निश्चित नहीं हैं कि उन ऑब्जेक्टस के दिखने और गायब हो जाने की क्या वजह थी। आलोक सी. गुप्ता ने बताया कि, 'जो एक मात्र चीज हम निश्चित तौर पर कह सकते है वह यह है कि इन छवियों में तारों जैसी वस्तुएं शामिल है, जिन्हें वहां नहीं होना चाहिए। लेकिन हम नहीं जानते कि वे वहां क्यों हैं।'

इसके साथ ही खगोलशास्त्री उस संभावना की भी जांच कर रहे है कि क्या फोटोग्राफिक प्लेट रेडियोएक्टिव पार्टिकल्स से दूषित थी, जिसकी वजह से प्लेट पर तारों का भ्रम हुआ था। लेकिन अगर यह अवलोकन सही साबित होता है तो एक अन्य सम्भावना यह होगी कि यह ऑब्जेक्ट पहला मानव उपग्रह लॉन्च होने से भी कई साल पहले पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में प्रतिबिंबित, अप्राकृतिक वस्तुओं के सौर प्रतिबिंब हो सकते हैं।

आसमान में गायब और दिखने वाले स्रोतों पर नजर रखने वाले ग्रुप सेंचुरी ऑफ ऑब्जर्वेशन (वास्को) से जुड़े ये खगोलविद अभी भी "एक साथ 9 ट्रांजिएंट्स सितारों" के दिखने की गुत्थी को नहीं सुलझा पाए हैं। वे एलियंस को देख पाने की उम्मीद में 1950 के दशक के इन डिजीटाइज डाटा में सौर प्रतिबिंबों के और सबूत देखने के लिए उत्सुक हैं। आज से करीब 71 साल पहले दिखे वो प्रकाशित ऑब्जेक्ट क्या तारे थे या फिर उनका संबंध एलियन से था, यह अब तक एक अनसुलझा रहस्य है

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