समुद्र की गहराइयों में खनन से सैकड़ों किलोमीटर तक हो सकता है ध्वनि प्रदूषण

समुद्र की गहराइयों में खनन से सैकड़ों किलोमीटर तक हो सकता है ध्वनि प्रदूषण

नई रिसर्च से पता चला है कि समुद्र की गहराई में मौजूद सिर्फ एक खान 500 किलोमीटर के क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण की वजह बन सकती है, जो वहां रहने वाले जीवों के लिए जानलेवा हो सकता है
Published on

हवाई विश्वविद्यालय द्वारा किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि समुद्र की गहराइयों में मौजूद सिर्फ एक खान 500 किलोमीटर के क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण की वजह बन सकती है, जो समुद्री जीवों के लिए जानलेवा हो सकता है। इस शोध के नतीजे जर्नल साइंस में प्रकाशित हुए हैं।  

इसमें कोई शक नहीं कि समुद्र संसाधनों से समृद्ध है। समुद्र की अथाह गहराइयों में मैगनीज से लेकर कोबाल्ट तक अनेक दुर्लभ खनिज पाए जाते हैं। लेकिन इन खनिजों के खनन का वहां पाई जाने वाली जैवविविधता पर क्या असर होगा इस बारे में बहुत सीमित जानकारी ही उपलब्ध है। समुद्र की गहराइयों में जहां न सूर्य का प्रकाश है न शोर, वहां पाए जाने वाले यह जीव अपने वातावरण के प्रति बहुत संवेदनशील हैं।

यह जीव सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति में ध्वनि तरंगों का उपयोग आपस में संवाद करने, रास्तों को खोजने, भोजन का पता लगाने और शिकारियों से बचने सहित अन्य कार्यों के लिए करते हैं। ऐसे में इनके वातावरण में हल्का सा भी हस्तक्षेप जीवों के लिए हानिकारक हो सकता है।

सिर्फ खनन क्षेत्रों में ही नहीं उसके परे भी जैवविविधता को प्रभावित का सकता है यह शोर

गौरतलब है कि क्लेरियन-क्लिपर्टन जोन (सीसीजेड) में 17 कांट्रेक्टर खनन की संभावनाएं तलाश रहे हैं जोकि हवाई और मैक्सिको के बीच 45 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला क्षेत्र है। इस क्षेत्र में कंपनियों विशेष रूप से गहरे समुद्र में खनन करने में रूचि ले रही हैं।

ऐसे में यदि प्रत्येक कांट्रेक्टर को इस क्षेत्र में एक खान को शुरू करने की अनुमति मिलती है तो करीब 55 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण सीमा से कहीं ज्यादा बढ़ जाएगा। जो वहां रहने वाली प्रजातियों के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकता है।

इस बारे में अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिक क्रेग आर स्मिथ का कहना है कि रिसर्च से पता चला है कि माइनिंग के कारण होने वाला शोर खनन स्थलों से परे भी क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में इन क्षेत्रों में पड़ने वाले प्रभावों को भी खनन सम्बन्धी नियमों के दायरे में लाना जरुरी है। उनका कहना है कि इस तरह के खनन को मंजूरी देने से पहले पर्यावरण नियमों पर दोबारा विचार करने की जरुरत है।

वहीं शोध से जुड़े अन्य शोधकर्ता और ओशियन इनिशिएटिव के सह-संस्थापक रॉब विलियम्स का कहना है कि सिर्फ एक या दो खानों के कारण पैदा हुए शोर के लिए आसपास के क्षेत्रों को प्रभावित करना कितना आसान होगा। वहीं जिन स्थानों पर अनगिनत खानें हैं वहां इनके प्रभावों की गंभीरता को समझना जरुरी है, क्योंकि इनसे होने वाला शोर केवल खनन स्थलों और संरक्षण क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहेगा वो उनकी सीमाओं से परे भी प्रभावित कर सकता है।

Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in