अगली पीढ़ी के एंटीबायोटिक्स: वैज्ञानिकों ने एंटीबायोटिक दवाओं के 863,498 संभावित स्रोतों का लगाया पता

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने मशीन लर्निंग तकनीक की मदद से संभावित 863,498 एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स की पहचान की है
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने एंटीबायोटिक दवाओं के करीब दस लाख संभावित स्रोतों की पहचान की है। खास बात यह है कि यह संभावित एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स हमारे प्राकृतिक वातावरण में मौजूद हैं। इस रिसर्च के नतीजे अंतराष्ट्रीय जर्नल सेल में प्रकशित हुए हैं।

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने मशीन लर्निंग की मदद से संभावित 863,498 एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स की पहचान की है। गौरतलब है कि रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स छोटे अणु होते हैं जो संक्रामक रोगाणुओं को पूरी तरह खत्म या उनके विकास को अवरुद्ध कर सकते हैं।

इसमें कोई शक नहीं कि दुनिया एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति बढ़ते रोगाणुरोधी प्रतिरोध से जूझ रही है। इन दवा प्रतिरोधी सुपरबग्स की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में नई एंटीबायोटिक्स दवाओं की तत्काल आवश्यकता है।

क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर लुइस पेड्रो कोएल्हो ने भी प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से कहा है कि, “रोगाणुरोधी प्रतिरोध सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है, जो हर साल 12.7 लाख लोगों की जान ले रहा है।“

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यदि इस समस्या पर अभी ध्यान न दिया गया तो 2050 तक इसकी वजह से हर साल करीब एक करोड़ लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है। ऐसे में उन्होंने एंटीबायोटिक्स की खोज के लिए नए तरीकों की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है। उनका यह भी कहना है कि दुनिया भर में सूक्ष्मजीवों का अध्ययन करने के लिए एआई का उपयोग हमें स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के नए तरीके खोजने में मददगार साबित हो सकता है।

क्या कुछ निकलकर आया है अध्ययन में सामने

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एआई द्वारा दर्शाई संभावनाओं की जांच के लिए प्रयोगशाला में बनाए 100 पेप्टाइड्स का परीक्षण किया, ताकि यह देखा जा सके कि क्या वे रोगाणुओं का मुकाबला करने में सक्षम हैं। जांच में उन्होंने पाया कि है कि इनमें से 79 पेप्टाइड्स बैक्टीरिया की झिल्लियों को नष्ट कर सकते हैं। वहीं 63 पेप्टाइड्स ने विशेष रूप से स्टैफिलोकोकस ऑरियस और एस्चेरिचिया कोलाई (ई कोलाई) जैसे एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया को निशाना बनाया था।

प्रोफेसर कोएल्हो का कहना है कि, "इसके अलावा, कुछ पेप्टाइड्स ने चूहों में संक्रमण को दूर करने में मदद की। इनमें से दो ने विशेष रूप से, बैक्टीरिया को बहुत कम कर दिया।"

संक्रमित चूहों पर किए परीक्षणों में सामने आया है कि, उपचार के लिए इन पेप्टाइड्स का उपयोग पॉलीमिक्सिन बी नामक एक सामान्य एंटीबायोटिक की तरह काम करता है। पॉलीमिक्सिन बी नामक यह एंटीबायोटिक मेनिन्जाइटिस, निमोनिया, सेप्सिस और यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन जैसे संक्रमण के इलाज में मदद करता है।

इस अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने 60,000 से अधिक मेटाजीनोम का विश्लेषण किया है। बता दें कि मेटाजीनोम एक विशिष्ट वातावरण के भीतर जीनोम का एक संग्रह होता है। वैज्ञानिकों ने जिन मेटाजीनोम का विश्लेषण किया है उसमें दस लाख से अधिक जीवों की जीन यानी आनुवंशिक संरचना शामिल थी। यह जीन मिट्टी, महासागर, इंसान और जानवरों की आतों सहित दुनिया के कई अन्य प्राकृतिक वातावरण में मौजूद होते हैं।

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