भारतीय खगोलविदों ने एक अनोखे सौर विस्फोट का लगाया पता, जो तापमान को बनाए रखता है

यह एक ऐसी खोज है जिससे यह पता चल सकता है कि, सौर विस्फोट धरती पर संचार प्रणालियों पर कैसे असर डाल सकते हैं, मौसम की निगरानी में भी मदद मिलेगी
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, नासा
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काफी समय पहले हुए एक सौर विस्फोट के केंद्र की ऊर्जा को लेकर वैज्ञानिकों ने इस पर लगातार नजर गड़ाए रखी। उन्होंने पाया कि यह अनोखे तरीके से लगातार एक स्थिर तापमान को बनाए रखता है। क्योंकि यह अंतरिक्ष में सौर कोरोना से ऊर्जित और अत्यधिक चुंबकित प्लाज्मा से निकलता है। यह एक ऐसी खोज है जो सौर विस्फोट को लेकर हमारी समझ में यह सुधार कर सकती है। इससे यह पता चल सकता है कि, विस्फोट पृथ्वी पर संचार प्रणालियों पर कैसे असर डाल सकते हैं

कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) सौर वातावरण से अंतरिक्ष में आवेशित कणों, प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्रों के बड़े पैमाने पर हुए विस्फोट हैं। वे पृथ्वी और अंतरिक्ष-आधारित तकनीकों और उपग्रहों को रोक सकते हैं। इस प्रकार, अंतरग्रहीय अंतरिक्ष के माध्यम से उनके विकास और प्रसार को समझना महत्वपूर्ण है।

ठंडे क्रोमोस्फेरिक सामग्री (लगभग 104 लाख) से लेकर गर्म  प्लाज्मा (लगभग 107 लाख) तक कोरोनल मास इजेक्शन के अंदर प्लाज्मा तापमान की एक विस्तृत श्रृंखला होती है। जब कोरोनल मास इजेक्शन बाहर निकलते हैं, तो वैद्युत, गतिज, संभावित क्षमता, तापीय और इसी तरह की कई प्रक्रियाएं ऊर्जा का आदान-प्रदान कर सकती हैं, जिससे प्लाज्मा गर्म या ठंडा हो जाता है।

इन प्रक्रियाओं को समझने के लिए, कोरोनल मास इजेक्शन के तापगतिकीय (थर्मोडायनामिक) गुणों (जैसे घनत्व, तापमान, थर्मल दबाव, आदि) के विकास का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। इससे अंतरिक्ष से मौसम की निगरानी करने की हमारी क्षमता बढ़ेगी।

अतीत में, वैज्ञानिकों ने सौर कोरोना में कोरोनल मास इजेक्शन के बढ़ते तापमान का अध्ययन किया था। हालांकि, पहले के यह अध्ययन सूर्य से बहुत दूरी पर किए जाने तक सीमित थे। अब इस बात की भी जानकारी है कि कोरोनल मास इजेक्शन सूर्य की त्रिज्या से 3 गुना ऊंचाई में तेजी से विस्तार करता है। हालांकि, मुख्य रूप से इन ऊंचाइयों में उपयुक्त अध्ययनों की कमी के कारण कोरोनल मास इजेक्शन के तापगतिकी (थर्मोडायनामिक) गुणों का विकास अभी तक अच्छी तरह से समझा नहीं गया है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान, आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान (एआरआईईएस) की अगुवाई में यह अध्ययन किया गया। इसमें नैनीताल से डॉ. वैभव पंत और प्रो. दीपांकर बनर्जी एवं शोधकर्ता ज्योति श्योराण, वैज्ञानिकों की एक टीम शामिल थी। साथ ही अमेरिका में बोल्डर के साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉ. रितेश पटेल ने सौर विस्फोट के केंद्र के थर्मोडायनामिक गुणों का अध्ययन  किया।

अध्ययन में, उन्होंने इस कोरोनल मास इजेक्शन के केंद्र के तापमान और घनत्व का अनुमान लगाया और यह पाया कि कोरोनल मास इजेक्शन के केंद्र  अनोखे ढंग से एक लगातार स्थिर तापमान बनाए रखता है। उन्होंने इस उद्देश्य के लिए जमीनी स्तर पर लगाए गए उपकरणों का उपयोग किया, जिसमें मौना लोआ सोलर ऑब्जर्वेटरी के साथ-साथ अंतरिक्ष-आधारित सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी तथा वायुमंडलीय इमेजिंग असेंबली शामिल थे।

खगोलविदों ने टेलीस्कोप से मिले आंकड़ों का उपयोग किया और यह भी स्थापित किया कि कोरोनल मास इजेक्शन के केंद्र का घनत्व लगभग 3.6 गुना कम हो गया था क्योंकि यह बाहर की ओर फैल गया था। खगोलविदों का निष्कर्ष है कि इस कोरोनल मास इजेक्शन के केंद्र का विस्तार एक ऐसी तापगतिकी या थर्मोडायनामिक प्रक्रिया है जिसमें प्रणाली से इसके आस-पास ताप का कोई आदान-प्रदान नहीं होता है।  यह अध्ययन जर्नल फ्रंटियर्स इन एस्ट्रोनॉमी एंड स्पेस साइंसेज पत्रका में प्रकाशित हुआ है। 

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