आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने ऊर्जा भंडारण के लिए विकसित किया किफायती मिश्र धातु

इस अध्ययन में ग्रीन हाइड्रोजन के अर्थव्यवस्था में व्यापक प्रभाव देखा गया है, जिसमें विद्युत रासायनिक पानी के विभाजन के माध्यम से ऊर्जा युक्त हाइड्रोजन को पानी से निकाला जाता है।
फोटो साभार:आईस्टॉक
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गर्म होती दुनिया में तापमान को बढ़ाने वाले जीवाश्म ईंधन पर लगाम लगाना जरूरी है, इसके विकल्प के रूप में स्वछ ईंधन को अपनाया जा रहा है। नवीकरण स्रोतों से ऊर्जा को बदलने और जमा करना आसान नहीं है। अब कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के शोधकर्ताओं ने कहा है कि एक विशेष तरह की मिश्र धातु का उपयोग नवीकरण स्रोतों से ऊर्जा को बदलने और जमा करना आसान और किफायती बना सकता है।

इस धातु का विकास आईआईटी कानपुर के डिपार्टमेंट ऑफ मटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग के प्रोफेसर कृष्णु बिस्वास और उनकी टीम ने किया है। यह शोध साइंस पत्रिका नेचर में प्रकाशित किया गया है।

प्रोफेसर कृष्णु बिस्वास और आईआईटी मंडी, आईआईटी खड़गपुर और आईआईएससी बैंगलोर के साथी शोधकर्ताओं ने एक विशेष प्रकार की सामग्री पर शोध किया, जिसे उच्च एन्ट्रॉपी मिश्र धातु (एचईए) कहा जाता है। जिसमें पांच तत्वों का मिश्रण होता है, कोबाल्ट, लोहा, गैलियम, निकेल और जिंक। पानी और  ऑक्सीजन को इन धातुओं का उपयोग कर हाइड्रोजन में विभाजित करने में किया गया।

इलेक्ट्रोलाइजर, ईंधन सेल और कैटेलिसिस जैसे कई तकनीकी प्रयोगों में पानी का विभाजन आवश्यक है। पानी का विभाजन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध पानी को आसानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में अलग करने की क्षमता है। कुल शून्य उत्सर्जन वाले जीवाश्म ईंधन के लिए हाइड्रोजन को एक स्वच्छ विकल्प माना जाता है।

यह शोध स्पष्ट रूप से इस नए मिश्र धातु की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करता है, जो वर्तमान में इसी उद्देश्य के लिए उपयोग की जाने वाली रूथेनियम ऑक्साइड जैसी महंगी सामग्री के प्रदर्शन और स्थायित्व को पार करता है। अध्ययन की सामग्री पृथ्वी पर पाई जाने वाली प्रचुर तत्वों से बनी है, जो इसे टिकाऊ और उपयोग के लिए आसान बनाती है।

इस अध्ययन में ग्रीन हाइड्रोजन के अर्थव्यवस्था में व्यापक प्रभाव देखा गया है, जिसमें विद्युत रासायनिक पानी के विभाजन के माध्यम से ऊर्जा युक्त हाइड्रोजन को पानी से निकाला जाता है। ग्रीन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन उत्पादन के लिए इलेक्ट्रोकेमिकल पानी के विभाजन एक अत्यधिक आशाजनक टिकाऊ और प्रदूषण मुक्त तरीका है।

इस प्रक्रिया में दो इलेक्ट्रोडों को इलेक्ट्रोलाइट घोल में डुबोने की आवश्यकता होती है। ऑक्सीजन और हाइड्रोजन गैस के उत्पादन को चलाने वाले इलेक्ट्रोड पर रासायनिक प्रतिक्रियाओं के लिए कुशल द्विकार्यात्मक उत्प्रेरक की आवश्यकता होती है।

हालांकि, यह प्रक्रिया अब तक व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं थी, क्योंकि अधिकांश इलेक्ट्रोकेमिकल प्रणालियां दुर्लभ और महंगी धातुओं का उपयोग करती हैं जो बड़े पैमाने पर प्रयोगों में उनके उपयोग को प्रतिबंधित करती हैं। दूसरी ओर, कम लागत वाली प्रणालियां कुशल उत्प्रेरण हासिल करने में सक्षम नहीं हो पा रही थीं।

प्रोफेसर बिस्वास और उनके सहयोगियों द्वारा डिजाइन, विकसित और परीक्षण किया गया नवीन मिश्र धातु उत्प्रेरक, नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा को संग्रहित करने के लिए उच्च-एन्ट्रॉपी मिश्र धातु का उपयोग करके इस प्रक्रिया को आसान और अधिक किफायती बना सकता है। जिससे स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन मिलता है।

यह स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में हमारे कदम को और बढ़ा सकता है, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकता है और ग्लोबल वार्मिंग को कम कर सकता है

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