भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक अजीबोगरीब बाइनरी तारे की खोज की है जिनमें धड़कन देखी गई है। लेकिन तारे में कोई नाड़ी-स्फुरण नहीं है, जैसा कि बाइनरी स्टार के मामले में होता है। यह तारा प्रीसिप (एम-44) में एचडी73619 कहलाता है, जो कर्क तारामंडल में स्थित है। कर्क तारामंडल पृथ्वी के सबसे नजदीक स्थित खुले तारा मंडलों में से एक है।
अभी तक धड़कन वाले कुल मिलाकर लगभग 180 तारों की खोज हो चुकी है। हार्टबीट नाम इंसानी दिल के इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम से निकला हुआ शब्द है। यह बाइनरी तारा प्रणाली है, जहां हर तारा पिंड के सामान्य केंद्र के चारों तरफ उच्च अंडाकार कक्ष में घूमता है। दोनों सितारों के बीच की दूरी अलग-अलग होती है क्योंकि वे एक दूसरे की परिक्रमा करते हैं।
तारे जब बाइनरी सिस्टम के बेहद करीब होते हैं तो उनकी चमक और तीव्रता में अचानक से वृद्धि होती है और यह तीव्रता कई पार्ट्स प्रति हजार (पीपीटी) तक होती है। जैसे-जैसे ये अवयव अलग-अलग होते हैं, प्रकाश में अंतर कम होता जाता है और आखिरकार यह सपाट हो जाता है। इससे यह साफ होता है कि कुल तीव्रता कम हो गई है, जिससे लाइट कर्व्स में अधिक तीव्रता और उतनी ही कमी भी आ जाती है। ऐसे तारों की धड़कन से जुड़ी गतिविधियां इन तारों के अवयवों में होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण होती हैं। ऐसा तब होता है जब ये तारे एक-दूसरे के बिल्कुल करीब होते हैं।
आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) के डॉ संतोष जोशी के नेतृत्व में 33 वैज्ञानिकों की टीम ने फोटोमीट्रिक और एचडी73619 के हाई-रेजोल्यूशन वाले स्पेक्ट्रोस्कोपिक ऑब्जर्वेशंस का विश्लेषण किया। पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों की सतह पर स्थित 8 टेलिस्कॉप के उपयोग से एचडी73619 हासिल हुआ। एआरआईईएस भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी (डीएसटी) विभाग के तहत एक स्वायत्तशासी संस्थान है।
वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि एचडी73619 बाइनरी रासायनिक रूप से ऐसे अजीबोगरीब तारों के हार्टबीट सिस्टम्स का पहला सदस्य है, जो बेहद करीब आने की स्थिति में कोई धड़कन या कंपन नहीं दिखाता है। वैसे तारों को रासायनिक रूप से अजीबोगरीब तारे कहते हैं, जिनमें ऐसे तत्वों की अधिकता होती है, जो सतह पर उपलब्ध हाइड्रोजन और हीलियम से भारी होते हैं। वैज्ञानिकों ने आंकड़ों से यह भी साफ किया कि नए खोजे गए हार्टबीट स्टार या तो काफी कमजोर होते हैं या फिर उनका कोई चुंबकीय क्षेत्र नहीं होता है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि कमजोर चुंबकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति का मतलब है कि एचडी73619 पर किसी काले धब्बे होने का कोई और या फिर अज्ञात कारण हो सकता है, जबकि रोशनी वाले स्थान मजबूत चुंबकीय क्षेत्र के कारण बनते हैं। वैज्ञानिकों की इस खोज को वैज्ञानिक पत्रिका ‘मंथली नोटिसेज ऑफ रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी’ द्वारा प्रकाशित किया गया है।
बिना चुंबकीय क्षेत्र वाले तारों में दिखने वाले ऐसे धब्बों के कारण पैदा होने वाले असमानताओं के अध्ययन के लिहाज से यह खोज काफी महत्वपूर्ण है। यह खोज धड़कन संबंधी विविधताओं के कारण की जांच करने के लिए अहम है। यह शोध नैनीताल-कैप सर्वे का नतीजा है, जो सीपी तारों में आने वाले धड़कन संबंधी बदलावों की जांच और सबसे लंबे जमीन आधारित सर्वे में से एक है। इस खोज की शुरुआत लगभग दो दशक पहले एरीज, नैनीताल और साउथ अफ्रीकन एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी एसएएओ, कैप टाउन के खगोलविदों द्वारा की गई थी।
इस सर्वे के तहत वैज्ञानिकों की टीम ने इससे पहले प्रीसिपी की भी निगरानी की थी। इस समूह के अन्य सदस्य युगांडा, थाईलैंड, अमेरिका, रूस, बेल्जियम, ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, पोलैंड और तुर्की के थे।