अनोखी खोज: क्वांटम प्रकाश की मदद से बनेगी पर्यावरण के अनुकूल बायोगैस

अत्याधुनिक क्वांटम कैस्केड लेजर तकनीक अब पर्यावरण के अनुकूल बायोमास रीसाइक्लिंग में मदद करती है।
बायोमास को गैसों में बदला जाता है, तो एक जटिल गैस मिश्रण मिलता है जिसमें न केवल जल वाष्प होता है, बल्कि कई अलग-अलग हाइड्रोकार्बन भी होते हैं।
बायोमास को गैसों में बदला जाता है, तो एक जटिल गैस मिश्रण मिलता है जिसमें न केवल जल वाष्प होता है, बल्कि कई अलग-अलग हाइड्रोकार्बन भी होते हैं। फोटो साभार: एनर्जी कन्वर्शन एंड मैनेजमेंट पत्रिका
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हमारा अधिकतर कचरा इतना मूल्यवान है कि उसे जलाया नहीं जा सकता। यदि इसे सावधानीपूर्वक नियंत्रित तरीके से रीसाइकल किया जाए, तो न केवल तापीय ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है, बल्कि गैस का उपयोग हाइड्रोजन से लेकर मीथेन या मेथनॉल तक मूल्यवान रसायन बनाने के लिए भी किया जा सकता है।

लेकिन इस प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए, जल वाष्प की मात्रा को मापना पड़ता है। यह बेहद कठिन है, क्योंकि गैस की अन्य चीजें माप पर असर डाल सकती हैं। शोधकर्ताओं ने क्वांटम कैस्केड लेजर का उपयोग करके, अब इस समस्या का समाधान कर दिया है।

अब तक गैसीकरण का एक बहुत ही आम उप-उत्पाद जल वाष्प एक सिरदर्द रहा है। गैसीकरण को सफलता से नियंत्रित करने के लिए, उत्पाद गैस की जल सामग्री को यथासंभव सटीक रूप से जानना अहम है। हालांकि पारंपरिक तरीकों से जल सामग्री को मापना मुश्किल हो जाता है।

अब टीयू विएन में प्रक्रिया इंजीनियरिंग और फोटोनिक्स ने एक बहुत ही विशेष प्रकार के प्रकाश स्रोत का उपयोग करके इस समस्या को हल किया है। इसमें क्वांटम कैस्केड लेजर से टेराहर्ट्ज विकिरण अपनाया गया है। अत्याधुनिक क्वांटम तकनीक अब पर्यावरण के अनुकूल बायोमास रीसाइक्लिंग में मदद करती है।

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बायोमास को गैसों में बदला जाता है, तो एक जटिल गैस मिश्रण मिलता है जिसमें न केवल जल वाष्प होता है, बल्कि कई अलग-अलग हाइड्रोकार्बन भी होते हैं।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि उत्पाद गैस के कई रासायनिक घटकों का पता अवरक्त प्रकाश का उपयोग करके लगाया जा सकता है। विभिन्न अणु अवरक्त प्रकाश की विभिन्न तरंगदैर्घ्य को अवशोषित करते हैं। किसी नमूने द्वारा किस तरंगदैर्घ्य का कौन सा भाग अवशोषित किया जाता है, यह मापकर यह निर्धारित करना संभव है कि नमूने में कोई निश्चित पदार्थ है या नहीं।

हालांकि जल वाष्प के साथ ऐसा करना कठिन है, जो एक उप-उत्पाद है जो गैस उत्पादन प्रक्रिया के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। बायोमास को गैसों में बदला जाता है, तो एक जटिल गैस मिश्रण मिलता है जिसमें न केवल जल वाष्प होता है, बल्कि कई अलग-अलग हाइड्रोकार्बन भी होते हैं। उनमें से कुछ पानी के समान आवृत्तियों पर अवरक्त विकिरण को अवशोषित करते हैं।

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बायोमास को गैसों में बदला जाता है, तो एक जटिल गैस मिश्रण मिलता है जिसमें न केवल जल वाष्प होता है, बल्कि कई अलग-अलग हाइड्रोकार्बन भी होते हैं।

इसका मतलब यह है कि यह कहना संभव नहीं है कि अवशोषण के लिए कौन सा पदार्थ जिम्मेदार है और इसलिए उत्पादित गैस में पानी की मात्रा को सटीक रूप से निर्धारित नहीं किया जा सकता है। गैस के नमूने को ठंडा किया जा सकता है और फिर जमा पानी की मात्रा को माप सकते हैं, लेकिन इसमें समय लगता है। पानी की घटती-बढ़ती मात्रा पर तुरंत प्रतिक्रिया करना संभव नहीं है और इससे कुशल संचालन मुश्किल हो जाता है।

टीयू विएन ने टेराहर्ट्ज विकिरण स्रोत विकसित किए

शोध में कहा गया है कि शोधकर्ता यह दिखाने में सक्षम थे कि टेराहर्ट्ज रेंज में ऐसी आवृत्तियां पाई जा सकती हैं जो विशेष रूप से केवल जल अणुओं द्वारा अवशोषित की जाती हैं, न कि कई अन्य पदार्थों द्वारा जो बायोमास गैसीकरण संयंत्र के उत्पाद गैस में भारी मात्रा में मौजूद होते हैं। इसलिए जल वाष्प का पता लगाने की समस्या को सामान्य विकिरण के बजाय टेराहर्ट्ज विकिरण का उपयोग करके हल किया जा सकता है।

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बायोमास को गैसों में बदला जाता है, तो एक जटिल गैस मिश्रण मिलता है जिसमें न केवल जल वाष्प होता है, बल्कि कई अलग-अलग हाइड्रोकार्बन भी होते हैं।

एनर्जी कन्वर्जन एंड मैनेजमेंट नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुताबिक, टेराहर्ट्ज विकिरण का उत्पादन करना मुश्किल है। टीयू विएन में क्वांटम तकनीकों की तरकीबों का उपयोग क्वांटम कैस्केड लेजर बनाने के लिए किया जा रहा है। नैनोमीटर पैमाने पर एक निर्मित ज्यामितीय संरचना वाले छोटे अर्धचालक जो यह सुनिश्चित करते हैं कि विद्युत वोल्टेज लागू होने पर केवल एक बहुत ही विशिष्ट तरंग दैर्ध्य का विकिरण उत्सर्जित होता है।

इस क्वांटम कैस्केड लेजर को अपने स्वयं के शीतलन की आवश्यकता होती है, लेकिन दो शोधकर्ताओं ने एक कॉम्पैक्ट, पोर्टेबल डिवाइस विकसित करने में सफलता हासिल की है जो टेराहर्ट्ज बीम का उपयोग करके गर्म उत्पाद गैसों में पानी की मात्रा को विश्वसनीय रूप से माप सकता है।

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पहला सफल परीक्षण

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि इस विधि का एक अहम फायदा यह है कि यह जल वाष्प की मात्रा और तापमान की एक विस्तृत श्रृंखला पर विश्वसनीय परिणाम प्रदान करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जिस टेराहर्ट्ज विकिरण का उपयोग किया जाता है, वह विशेष रूप से जल वाष्प द्वारा गहराई से अवशोषित होता है।

यह शोधकर्ताओं को अधिक कॉम्पैक्ट सेटअप का उपयोग करने में मदद करता है। कॉम्पैक्ट डिजाइन का एक और बड़ा फायदा यह है कि मापने वाले सेल में तापमान में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव नहीं होता है, जिससे गलतियों का खतरा कम हो जाता है।

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शोध में कहा गया है कि यह नई विधि पूरी तरह से काम करती है, टीयू विएन के गेट्रेडेमार्कट परिसर में लकड़ी के कचरे का उपयोग करके गैस उत्पादन प्रयोगों में दिखाया गया था। अब शोधकर्ताओं अपनी तकनीक को और भी बेहतर बनाना चाहते हैं।

सबसे पहले, इसे और भी अधिक उपयोगी और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाना और दूसरा, यह जांचना कि क्या टेराहर्ट्ज तकनीक का उपयोग करके उत्पाद गैसों के अन्य चीजों का विश्वसनीय रूप से पता लगाया जा सकता है।

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