आसमान में करतब: नए ट्रिपल स्टार सिस्टम ने बनाया सबसे छोटी परिक्रमा अवधि का रिकॉर्ड

तारकीय तिकड़ी को नासा के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (टीईएसएस) द्वारा देखे गए कॉस्मिक "स्ट्रोब लाइट्स" के माध्यम से खोजा गया
टीआईसी 290061484 नामक प्रणाली में तीन तारे एक दूसरे की बारीकी से परिक्रमा करते हैं।
टीआईसी 290061484 नामक प्रणाली में तीन तारे एक दूसरे की बारीकी से परिक्रमा करते हैं।फोटो साभार: नासा का गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर
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खगोलविदों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से एक अभूतपूर्व खोज की है, जिसमें टीआईसी 290061484 नामक एक अनोखे ट्रिपल स्टार सिस्टम की पहचान की है। इस तारकीय तिकड़ी को नासा के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (टीईएसएस) द्वारा देखे गए कॉस्मिक "स्ट्रोब लाइट्स" के माध्यम से खोजा गया।

टीआईसी 290061484 में जुड़वां सितारों की एक जोड़ी है जो हर 1.8 दिनों में एक दूसरे की परिक्रमा करते हैं, साथ ही एक तीसरा तारा भी है जो मात्र 25 दिनों में दोनों की परिक्रमा करता है। यह अहम खोज ऐसी प्रणालियों में सबसे कम बाहरी कक्षीय अवधि के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ती है, जिसे 1956 में स्थापित किया गया था जब एक तीसरा तारा 33 दिनों में एक आंतरिक जोड़ी की परिक्रमा करता था।

नासा के ग्रीन बेल्ट, मैरीलैंड में गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर और माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया में एसईटीआई संस्थान के शोध वैज्ञानिक ने शोध के हवाले से कहा कि सिस्टम के कॉम्पैक्ट, एज-ऑन कन्फिग्यरेशन की मदद से तारों की कक्षाओं, द्रव्यमानों, आकारों और तापमानों को मापा जा सकता है।अध्ययन में कहा गया है कि सिस्टम कैसे बना इस बात की भविष्यवाणी कर सकते हैं कि यह कैसे विकसित हो सकता है।

तारों की रोशनी में झिलमिलाहट ने इस तिकड़ी को सामने लाने में मदद की, जो सिग्नस नक्षत्र में स्थित है। शोधकर्ता ने शोध में कहा यह प्रणाली हमारे नजरिए से लगभग सपाट है। इसका मतलब है कि तारे अपनी परिक्रमा करते समय एक दूसरे के ठीक सामने से गुजरते हैं या एक दूसरे को छिपा देते हैं। जब ऐसा होता है, तो निकट का तारा दूर के तारे के कुछ प्रकाश को अवरुद्ध कर देता है।

मशीन लर्निंग का उपयोग करते हुए, वैज्ञानिकों ने ग्रहण को उजागर करने वाले मंद होने के पैटर्न की पहचान करने के लिए टीईएसएस से स्टारलाइट के आंकड़ों के विशाल सेट को फिल्टर किया। फिर वैज्ञानिकों की एक टीम ने विशेष रूप से दिलचस्प मामलों को खोजने के लिए सालों के अनुभव और अनौपचारिक प्रशिक्षण पर भरोसा करते हुए आगे फिल्टर किया।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा, हम मुख्य रूप से कॉम्पैक्ट मल्टी-स्टार सिस्टम, बाइनरी सिस्टम में असामान्य सितारों और अजीब वस्तुओं के संकेतों की तलाश कर रहे हैं। इस तरह की प्रणाली की पहचान करना रोमांचक है क्योंकि वे शायद ही कभी पाए जाते हैं, लेकिन वे वर्तमान आंकड़ों से कहीं अधिक सामान्य हो सकते हैं। हमारी आकाशगंगा में कई और भी धब्बे होने की संभावना है, जिन्हें खोजे जाने का इंतजार है।

आंशिक रूप से क्योंकि नए पाए गए सिस्टम में तारे लगभग एक ही तल में परिक्रमा करते हैं, वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तीनों की कक्षाएं सूर्य के चारों ओर बुध की कक्षा की तुलना में एक छोटे इलाके में फिट होती हैं, इसके बावजूद ये बहुत स्थिर है। प्रत्येक तारे का गुरुत्वाकर्षण दूसरों के लिए बहुत अधिक गड़बड़ी पैदा नहीं करता है।

जैसे-जैसे आंतरिक तारे बूढ़े होते जाएंगे, वे फैलेंगे और अंत में विलीन हो जाएंगे, जिससे लगभग दो से चार करोड़ वर्षों में एक सुपरनोवा विस्फोट होगा। इस बीच, खगोलविद और भी छोटी कक्षाओं वाले ट्रिपल तारों की तलाश कर रहे हैं। वर्तमान तकनीक से ऐसा करना मुश्किल है, लेकिन एक नया उपकरण आने वाले दिनों में यह संभव कर सकता है।

शोध में कहा गया है कि नासा के आगामी नैन्सी ग्रेस रोमन स्पेस टेलीस्कोप की तस्वीरें टीईएसएस की तुलना में कहीं ज्यादा विस्तृत होंगी। एक टीईएसएस पिक्सेल द्वारा कवर किए गए आकाश के उसी क्षेत्र में 36,000 से ज्यादा रोमन पिक्सेल समा जाएंगे। रोमन का उच्च-रिज़ॉल्यूशन दृश्य हमें उन तारों से आने वाले प्रकाश को मापने में मदद करेगा जो आमतौर पर एक साथ धुंधले हो जाते हैं, जो हमारी आकाशगंगा में तारा प्रणालियों की प्रकृति पर अब तक का सबसे अच्छा नजरिया प्रदान करता है।

क्योंकि रोमन अपने मुख्य सर्वेक्षणों में से एक के रूप में करोड़ों तारों से आने वाले प्रकाश की निगरानी करेगा, इसलिए यह खगोलविदों को और अधिक ट्रिपल स्टार सिस्टम खोजने में मदद करेगा जिसमें सभी तारे एक दूसरे को ग्रहण करते हैं।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा हमें आश्चर्य है कि हमें इससे पहले इन जैसे स्टार सिस्टम क्यों नहीं मिले हैं जिनकी बाहरी कक्षीय अवधि और भी कम है। रोमन हमें उन्हें खोजने में मदद करेगा और हमें यह पता लगाने के करीब ले जाएगा कि उनकी सीमाएं क्या हो सकती हैं।

द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, रोमन को ग्रहणग्रस्त तारे और भी बड़े समूहों में एक साथ बंधे हुए मिल सकते थे, आधा दर्जन, या शायद इससे भी अधिक, जो एक छत्ते के चारों ओर भिनभिनाती मधुमक्खियों की तरह एक दूसरे की परिक्रमा कर रहे हैं।

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