कोलेस्ट्रॉल की जांच होगी आसान, भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया ऑप्टिकल सेंसिंग प्लेटफॉर्म

यह प्लेटफॉर्म बेहद सटीक और संवेदनशील होने के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल और किफायती भी है
धमनी में मौजूद कोलेस्ट्रॉल; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
धमनी में मौजूद कोलेस्ट्रॉल; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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भारतीय वैज्ञानिकों ने शरीर में कोलेस्ट्रॉल का पता लगाने के लिए नया ऑप्टिकल सेंसिंग प्लेटफॉर्म विकसित किया है। यह तकनीक न केवल बेहद संवेदनशील और सटीक है, बल्कि साथ ही पर्यावरण के अनुकूल और किफायती भी है।

इस प्लेटफॉर्म का विकास गुवाहाटी स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है। यह प्लेटफॉर्म रेशम के फाइबर और फॉस्फोरिन क्वांटम डॉट्स के उपयोग से विकसित किया गया है, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल की बेहद कम मात्रा का भी पता लगा सकता है।

इससे एथेरोस्क्लेरोसिस, वेनस थ्रोम्बोसिस, कार्डियोवास्कुलर डिजीज, हृदय रोग, मायोकार्डियल इन्फार्क्सन, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसी बीमारियों के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने में भी मदद मिल सकती है।

गौरतलब है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर में प्राकृतिक रूप से बनने वाला एक लिपिड होता है। यह लिवर द्वारा बनता है जो शरीर के लिए बेहद आवश्यक होता है। यह शरीर में विटामिन डी, पित्त रस और हार्मोन को बनाने में मददगार होता है।

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धमनी में मौजूद कोलेस्ट्रॉल; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक

कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है— एलडीएल यानी कम घनत्व वाला लिपोप्रोटीन, इसे खराब कोलेस्ट्रॉल) के रूप में जाना जाता है। वहीं दूसरा एचडीएल मतलब उच्च घनत्व वाला लिपोप्रोटीन (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) होता है। बता दें कि जहां एलडीएल धमनियों में जमा होकर रक्त प्रवाह में ब्लॉकेज पैदा कर सकता है। इससे खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वहीं एचडीएल धमनियों को साफ रखने में मदद करता है।

बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कोलेस्ट्रॉल का संतुलन

ऐसे में अगर शरीर में कोलेस्ट्रॉल का संतुलन बिगड़ जाए, तो यह हार्ट डिजीज, थ्रोम्बोसिस और कैंसर जैसी कई घातक बीमारियों की जड़ बन सकता है। कोलेस्ट्रॉल का उच्च और निम्न स्तर दोनों ही विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकते हैं। यही वजह है कि शरीर में इसके स्तर की नियमित निगरानी बेहद जरूरी है।

इसी समस्या से उबरने के लिए वैज्ञानिकों ने इस सेंसर डिवाइस को फॉस्फोरीन क्वांटम डॉट्स और रेशम के फाइबर का इस्तेमाल कर तैयार किया है। इस सेंसिंग प्लेटफार्म को सेल्यूलोज नाइट्रेट झिल्ली में जोड़ा गया है ताकि यह बेहतर ढंग से काम कर सके। इस बारे में किए अध्ययन का नेतृत्व रिटायर्ड प्रोफेसर नीलोत्पल सेन शर्मा, डॉक्टर आशीष बाला और सीनियर रिसर्च फेलो नसरीन सुल्ताना ने किया है। यह अध्ययन रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के प्रतिष्ठित जर्नल नैनोस्केल में प्रकाशित हुआ है।

अपने अध्ययन में वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में कोलेस्ट्रॉल का पता लगाने के लिए एक पॉइंट-ऑफ-केयर (पीओसी) डिवाइस का विकास किया है। यह डिवाइस कोलेस्ट्रॉल की मामूली मात्रा, यहां तक कि तय सीमा से भी कम मात्रा, को पहचानने में सक्षम है। ऐसे में यह डिवाइस मानव शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर की नियमित और सटीक निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रभावी उपकरण साबित हो सकता है।

इस नई तकनीक से लैस पीओसी (प्वाइंट-ऑफ-केयर) डिवाइस को मानव रक्त, चूहे के रक्त सीरम और दूध पर सफलतापूर्वक परखा गया है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह ऑप्टिकल सेंसिंग प्लेटफॉर्म किसी तरह का ई-कचरा पैदा नहीं करता।

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